Discuss the features of Mauryan art and architecture and its relationship with Buddhism. [64th BPSC Mains Exam 2018]
भारत में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। ये दल राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अक्सर राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन बनाने की आवश्यकता होती है। क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव ने भारतीय राजनीति की संरचना में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। 1. क्षेत्रीय दलोRead more
भारत में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। ये दल राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अक्सर राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन बनाने की आवश्यकता होती है। क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव ने भारतीय राजनीति की संरचना में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं।
1. क्षेत्रीय दलों का बढ़ता प्रभाव
भारत में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती ताकत और प्रभाव का मुख्य कारण देश के विभिन्न हिस्सों में उनके द्वारा किए गए चुनावी अभियानों और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है। ये दल राष्ट्रीय दलों के मुकाबले अपने राज्यों में ज्यादा प्रभावी होते हैं, और इनकी राजनीति आमतौर पर स्थानीय लोगों की जरूरतों और उनकी समस्याओं पर केंद्रित रहती है।
उदाहरण:
- तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS): तेलंगाना राज्य की राजनीति में TRS का प्रभाव अत्यधिक बढ़ा है। तेलंगाना के गठन में पार्टी का महत्वपूर्ण योगदान था और अब यह राज्य में सत्ता का प्रमुख दल है।
- आम आदमी पार्टी (AAP): दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में AAP ने अपनी पहचान बनाई है। पार्टी ने अपने चुनावी प्रचार में शिक्षा, स्वास्थ्य, और आम नागरिकों के अधिकारों को प्रमुख मुद्दा बनाया और चुनावी जीत हासिल की।
- **वह एक प्रमुख दल जो उत्तर भारत में जातिवाद और सामाजिक मुद्दों पर चुनावी लाभ उठाता है, जैसे सपा, बसपा, और रालोद।
2. राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव
क्षेत्रीय दलों का बढ़ता प्रभाव केवल राज्य स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि ये राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये दल कभी-कभी सरकार गठन में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, विशेषकर जब कोई पार्टी पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं कर पाती।
उदाहरण:
- यूपीए और एनडीए गठबंधन: भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियाँ अक्सर क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करती हैं ताकि वे केंद्र में सरकार बना सकें। उदाहरण के तौर पर, यूपीए और एनडीए दोनों ही सरकारें क्षेत्रीय दलों के समर्थन से चल रही हैं।
- राजीव गांधी के समय में क्षेत्रीय दलों का गठबंधन: 1989 में राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार क्षेत्रीय दलों के दबाव के कारण ही गिर गई थी। इसके बाद से केंद्र सरकारों को क्षेत्रीय दलों के समर्थन की आवश्यकता महसूस होने लगी।
3. क्षेत्रीय मुद्दों की प्रधानता
क्षेत्रीय दलों का सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह है कि वे स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय राजनीति में प्राथमिकता देते हैं। उदाहरण के तौर पर, किसान आंदोलन, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, बिहार में शिक्षा सुधार, और पानी, सड़क, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ हमेशा इनके चुनावी घोषणापत्र में प्रमुख मुद्दे होते हैं।
उदाहरण:
- ममता बनर्जी (TMC): पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी ने हमेशा राज्य के हितों को राष्ट्रीय राजनीति में उठाया है, खासकर बंगाली संस्कृति और राज्य की स्वायत्तता के मामलों पर।
- जयललिता (AIADMK): तमिलनाडु में जयललिता का प्रभाव भी राज्य की सांस्कृतिक और राजनीतिक अस्मिता पर आधारित था।
4. क्षेत्रीय दलों के लाभ और चुनौतियाँ
लाभ:
- स्थानीय समस्याओं पर फोकस: क्षेत्रीय दल राज्य के विकास के लिए समर्पित होते हैं और स्थानीय समस्याओं का समाधान निकालने में रुचि रखते हैं।
- राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव: ये दल सत्ता में आने के लिए राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन कर राष्ट्रीय निर्णयों पर प्रभाव डाल सकते हैं।
चुनौतियाँ:
- जातिवाद और संकीर्ण राजनीति: कुछ क्षेत्रीय दल अपनी राजनीति में जातिवाद और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देते हैं, जिससे समाज में असंतुलन और अस्थिरता पैदा हो सकती है।
- संकीर्ण दृष्टिकोण: क्षेत्रीय दल अक्सर अपने राज्य की सीमाओं तक ही सीमित रहते हैं, जिससे समग्र राष्ट्रीय विकास में कुछ हद तक रुकावट आ सकती है।
5. निष्कर्ष
भारत में क्षेत्रीय दलों का बढ़ता प्रभाव एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन है। ये दल स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और केंद्र सरकार के निर्णयों में भी अपनी भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इन दलों की राजनीति को कभी-कभी जातिवाद और क्षेत्रवाद जैसी समस्याओं से जोड़ा जाता है, लेकिन इनकी ताकत और प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। आने वाले समय में, क्षेत्रीय दल भारतीय राजनीति में और अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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The Mauryan Empire (321–185 BCE) marked a significant era in Indian history, known for its advancements in art and architecture. Much of this art was closely linked to Buddhism, reflecting Emperor Ashoka's adoption of the faith and his efforts to promote its principles. Features of Mauryan Art and ARead more
The Mauryan Empire (321–185 BCE) marked a significant era in Indian history, known for its advancements in art and architecture. Much of this art was closely linked to Buddhism, reflecting Emperor Ashoka’s adoption of the faith and his efforts to promote its principles.
Features of Mauryan Art and Architecture
1. Stone Pillars:
2. Stupas:
3. Rock-Cut Architecture:
4. Use of Polished Stone:
5. Simplicity and Symbolism:
Relationship Between Mauryan Art and Buddhism
Examples of Mauryan Art
Conclusion
Mauryan art and architecture played a crucial role in shaping India’s cultural and religious heritage. Its association with Buddhism was instrumental in spreading the faith across Asia while laying the foundation for Indian monumental art. The Mauryan Empire’s contributions remain a testament to the fusion of political power and spiritual ideals
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