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समुद्री पारिस्थितिकी पर 'मृतक्षेत्रों' (डैड ज़ोन्स) के विस्तार के क्या-क्या परिणाम होते हैं ? (150 words) [UPSC 2018]
समुद्री पारिस्थितिकी में 'मृतक्षेत्रों' के विस्तार के परिणाम निम्नलिखित हैं: जीवविविधता का नाश: मृतक्षेत्रों में जीवों की संख्या में कमी होती है, जिससे कई प्रजातियों के नाश की संभावना रहती है। मछली पालन का침: मृतक्षेत्रों से मछली की संख्या में कमी आती है, जिससे व्यापारिक और遊ग्रामिक मछली पालन के लिए आRead more
समुद्री पारिस्थितिकी में ‘मृतक्षेत्रों’ के विस्तार के परिणाम निम्नलिखित हैं:
इन परिणामों से पता चलता है कि मृतक्षेत्रों के लिए Pollution और जलवायु परिवर्तन जैसे根本 कारणों को हल करना महत्वपूर्ण है, ताकि समुद्र तटीय पारिस्थितिकी और इन पर निर्भर समुदायों की रक्षा की जा सके।
See lessदीर्घ ज्वार कब उत्पन्न होते हैं?
दीर्घ ज्वार (Spring Tides) वे ज्वार होते हैं जिनमें समुद्र की लहरें अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं और लुढ़कने की ऊँचाई भी अत्यधिक कम हो जाती है। ये ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर एकसाथ कार्य करती है। इसका परिणाम होता है अधिकतम ज्वारीय अंतर (Tidal Range), जिसRead more
दीर्घ ज्वार (Spring Tides) वे ज्वार होते हैं जिनमें समुद्र की लहरें अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं और लुढ़कने की ऊँचाई भी अत्यधिक कम हो जाती है। ये ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर एकसाथ कार्य करती है। इसका परिणाम होता है अधिकतम ज्वारीय अंतर (Tidal Range), जिससे समुद्र की लहरें बहुत ऊँचाई पर जाती हैं और निम्न ज्वार बहुत नीचे चले जाते हैं।
दीर्घ ज्वार के उत्पन्न होने के प्रमुख समय:
दीर्घ ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के एक ही सीध में होते हैं। यह संरेखण दो स्थितियों में होता है:
दीर्घ ज्वार के दौरान ज्वारीय अंतर अधिकतम होता है। इसका मतलब है कि उच्च ज्वार बहुत ऊँचा होता है और निम्न ज्वार बहुत नीचे चला जाता है। यह अत्यधिक ज्वारीय अंतर तटीय क्षेत्रों में प्रमुख प्रभाव डाल सकता है, जैसे तटीय कटाव और बाढ़।
दीर्घ ज्वार लगभग हर दो हफ्ते में होते हैं, जब नया चाँद और पूर्ण चाँद आते हैं। इन्हें ज्वारीय चार्ट और खगोलशास्त्रीय डेटा के माध्यम से पूर्वानुमानित किया जा सकता है। तटीय समुदाय अक्सर इन ज्वारों के लिए तैयार रहते हैं ताकि मछली पकड़ने, शिपिंग, और तटीय संरचनाओं पर संभावित प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके।
निष्कर्ष
दीर्घ ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के साथ एक संरेखण में होते हैं, विशेषकर नए चाँद और पूर्ण चाँद के दौरान। इन ज्वारों का ज्वारीय अंतर अधिकतम होता है, जिससे समुद्र की लहरें उच्च और निम्न सीमा तक जाती हैं। हाल के उदाहरण जैसे चक्रवात अम्फान और जापान की सुनामी ने यह प्रदर्शित किया है कि दीर्घ ज्वारों की समझ और पूर्वानुमान तटीय प्रबंधन और आपदा तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessमहासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिये और अंध महासागर की जल धाराओं का नाम बताइये। (200 Words) [UPPSC 2018]
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक और अंध महासागर की जल धाराएँ महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक: 1. वायु प्रवाह (Wind Patterns): महासागरीय धाराएँ मुख्यतः वायु प्रवाह द्वारा संचालित होती हैं। वह हवा जो त्रैतीयक क्षेत्रों में बहती है, जैसे ट्रेड विंड्स और वेस्टर्स,Read more
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक और अंध महासागर की जल धाराएँ
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक:
1. वायु प्रवाह (Wind Patterns): महासागरीय धाराएँ मुख्यतः वायु प्रवाह द्वारा संचालित होती हैं। वह हवा जो त्रैतीयक क्षेत्रों में बहती है, जैसे ट्रेड विंड्स और वेस्टर्स, सतह के जल को धक्का देती हैं, जिससे महासागरीय धाराएँ उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, गाल्फ स्ट्रीम वेस्टर्स द्वारा प्रभावित होती है।
2. पृथ्वी की घूर्णन गति (Coriolis Effect): कोरियोलिस प्रभाव, जो पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है, जल के प्रवाह को मोड़ता है। यह उत्तरी गोलार्ध में दायें और दक्षिणी गोलार्ध में बायें मोड़ता है, जिससे समुद्री धाराओं में घुमाव आता है।
3. तापमान और लवणता के अंतर (Temperature and Salinity Differences): जल के तापमान और लवणता में भिन्नता महासागरीय धाराओं को संचालित करती है। ठंडे और घने पानी के ध्वस्त होने से थर्मोहालाइन परिपथ उत्पन्न होता है। जैसे, उत्तर अटलांटिक डीप वाटर (NADW) वैश्विक थर्मोहालाइन परिपथ का एक प्रमुख हिस्सा है।
4. तटीय और भूगर्भीय विशेषताएँ (Coastal and Topographical Features): तटीय आकृतियाँ और समुद्री भूगर्भीय विशेषताएँ (जैसे रिड्ज़, वैलीज़, और महाद्वीपीय शेल्फ) धाराओं की दिशा और प्रवाह को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, बेयरिंग स्ट्रेट अलास्का धाराओं को प्रभावित करता है।
अंध महासागर की जल धाराएँ:
**1. अधवा की धारा (Antarctic Circumpolar Current): यह सबसे महत्वपूर्ण धारा है जो अंध महासागर के चारों ओर बहती है और साउथ पॉल की ठंडी धाराओं को वितरित करती है।
2. पश्चिमी अंध महासागर धारा (West Wind Drift): यह धारा पश्चिमी अंध महासागर में दक्षिण की ओर बहती है और दक्षिणी ध्रुव के चारों ओर घूमती है।
3. दक्षिणी समुद्री धारा (South Indian Ocean Current): यह धारा दक्षिणी अंध महासागर में बहती है और भारतीय महासागर के दक्षिणी हिस्से को प्रभावित करती है।
4. अंध महासागर की पूर्वी धारा (East Australian Current): यह धारा पूर्वी अंध महासागर में बहती है और ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर प्रभाव डालती है।
निष्कर्ष: महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति वायु प्रवाह, पृथ्वी की घूर्णन गति, तापमान और लवणता के अंतर, और तटीय विशेषताओं पर निर्भर करती है। अंध महासागर में महत्वपूर्ण जल धाराएँ जैसे अधवा की धारा, पश्चिमी अंध महासागर धारा, दक्षिणी समुद्री धारा, और पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई धारा हैं, जो वैश्विक जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
See lessउत्तरी आंध्र महासागर की जलधाराओं पर उनके उत्पत्ति के कारण सहित एक क्रमबद्ध लेख लिखिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
1. Introduction to North Andhra Ocean Currents: The North Andhra region, located along the eastern coast of India, experiences a variety of ocean currents that play a significant role in the marine ecosystem and climate of the area. These currents are influenced by both local and global climatic patRead more
1. Introduction to North Andhra Ocean Currents: The North Andhra region, located along the eastern coast of India, experiences a variety of ocean currents that play a significant role in the marine ecosystem and climate of the area. These currents are influenced by both local and global climatic patterns.
2. Key Currents and Their Origins:
a. East India Coastal Current (EICC):
b. Andaman Current:
c. Gulf of Mannar Current:
3. Impacts on Local Environment:
Conclusion: The ocean currents along the North Andhra coast, such as the East India Coastal Current, Andaman Current, and Gulf of Mannar Current, are vital for the region’s climate, marine ecology, and economic activities. Understanding their origins and behaviors helps in managing marine resources and disaster preparedness.
See lessहिंद महासागर के संसाधनों के शोषण और उपयोग से जुड़ी विभिन्न पारिस्थितिकीय समस्याओं पर प्रकाश डालिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
हिंद महासागर के संसाधनों के शोषण और उपयोग से जुड़ी पारिस्थितिकीय समस्याएँ हिंद महासागर (Indian Ocean) में उपलब्ध संसाधनों का शोषण और उपयोग विभिन्न पारिस्थितिकीय समस्याओं को जन्म दे रहा है। निम्नलिखित समस्याएँ प्रमुख हैं: 1. समुद्री प्रदूषण: हिंद महासागर में पेट्रोलियम उत्पादों और रसायनों का रिसाव समRead more
हिंद महासागर के संसाधनों के शोषण और उपयोग से जुड़ी पारिस्थितिकीय समस्याएँ
हिंद महासागर (Indian Ocean) में उपलब्ध संसाधनों का शोषण और उपयोग विभिन्न पारिस्थितिकीय समस्याओं को जन्म दे रहा है। निम्नलिखित समस्याएँ प्रमुख हैं:
1. समुद्री प्रदूषण:
हिंद महासागर में पेट्रोलियम उत्पादों और रसायनों का रिसाव समुद्री प्रदूषण का प्रमुख कारण है। ऑस्ट्रेलिया के ग्रीट बैरियर रीफ के पास तेल रिसाव ने समुद्री जीवन को नुकसान पहुँचाया है। प्लास्टिक प्रदूषण भी बढ़ रहा है, जो मछलियों और पशु जीवन को प्रभावित कर रहा है।
2. ओवरफिशिंग:
मछली पकड़ने की अत्यधिक गतिविधियाँ मछलियों की प्रजातियों के असंतुलन का कारण बन रही हैं। सॉफ्टशेल कछुओं और व्हेल शार्क जैसी प्रजातियाँ संकट में हैं। लॉन्गलाइन फिशिंग जैसे विधियाँ गैर-लक्षित प्रजातियों को भी प्रभावित कर रही हैं।
3. प्रवाल भित्तियों का क्षय:
वातावरणीय बदलाव और समुद्री तापमान में वृद्धि के कारण प्रवाल भित्तियों का क्षय हो रहा है। मालदीव और श्रीलंका जैसे देशों में, कोरल ब्लिचिंग ने प्रवाल भित्तियों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है।
4. तटीय कटाव:
तटीय क्षेत्रों में अतिक्रमण और अवसंरचना विकास के कारण तटीय कटाव बढ़ रहा है। भारत के पश्चिमी तट और स्रीलंका की तटीय रेखाओं पर यह समस्या देखी जा रही है।
5. जलवायु परिवर्तन:
जलवायु परिवर्तन से समुद्री स्तर में वृद्धि और समुद्री तूफान की आवृत्ति बढ़ रही है, जो तटीय पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित कर रही है।
निष्कर्ष:
See lessहिंद महासागर के संसाधनों का अविवेकपूर्ण शोषण और उपयोग पारिस्थितिकीय समस्याओं का कारण बन रहा है, जिससे समुद्री जीवन और तटीय पारिस्थितिक तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इन समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सतत प्रबंधन की आवश्यकता है।
महासागरी धाराओं की उत्पत्ति के उत्तरदायी कारकों को स्पष्ट कीजिए। वे प्रादेशिक जलवायुओं, समुद्री जीवन तथा नौचालन को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ? (200 words) [UPSC 2015]
महासागरी धाराएँ (Ocean Currents) महासागरों में निरंतर बहने वाली जलधाराएँ हैं, जो विभिन्न कारकों से उत्पन्न होती हैं। ये धाराएँ वैश्विक जलवायु, समुद्री जीवन, और नौचालन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। धाराओं की उत्पत्ति के उत्तरदायी कारक: वातावरणीय कारक: पवन: पवन की दिशा और गति महासागरी धाराओं को प्रभRead more
महासागरी धाराएँ (Ocean Currents) महासागरों में निरंतर बहने वाली जलधाराएँ हैं, जो विभिन्न कारकों से उत्पन्न होती हैं। ये धाराएँ वैश्विक जलवायु, समुद्री जीवन, और नौचालन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
धाराओं की उत्पत्ति के उत्तरदायी कारक:
वातावरणीय कारक:
पवन: पवन की दिशा और गति महासागरी धाराओं को प्रभावित करती हैं। विशेषकर ट्रेड विंड्स और वेस्टरलिज़ की भूमिका प्रमुख है, जो सतही धाराओं को संचालित करती हैं।
वातावरणीय दबाव: उच्च और निम्न दबाव क्षेत्र भी धाराओं के निर्माण में योगदान देते हैं।
सांस्कृतिक अंतर:
जल तापमान: महासागर की सतह का तापमान भी धाराओं को प्रभावित करता है। गर्म जल अधिक तैराक होता है और ठंडा जल अधिक घना होता है, जिससे धाराएँ उत्पन्न होती हैं।
लवणता: जल की लवणता (सालिनिटी) भी धाराओं के निर्माण में भूमिका निभाती है। उच्च लवणता वाले क्षेत्र ठंडे और घने जल का निर्माण करते हैं, जिससे धाराएँ बनती हैं।
पृथ्वी की घूर्णन:
कोरिओलिस प्रभाव: पृथ्वी के घूर्णन के कारण, धाराएँ पूर्व से पश्चिम की ओर झुकी होती हैं। यह प्रभाव धाराओं के मार्ग को मोड़ता है और घूर्णनशील धाराओं का निर्माण करता है।
प्रभाव:
प्रादेशिक जलवायु:
जलवायु परिवर्तन: महासागरी धाराएँ समुद्र के तापमान को नियंत्रित करती हैं, जिससे तटीय जलवायु में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। उदाहरण के लिए, गोल्फ स्ट्रीम यूरोप के तटीय क्षेत्रों को गर्म बनाती है।
मौसमी पैटर्न: धाराएँ मौसमी जलवायु पैटर्न को प्रभावित करती हैं, जैसे मानसून की प्रणाली।
समुद्री जीवन:
पोषण चक्र: धाराएँ समुद्री पोषण (nutrient) चक्र को प्रभावित करती हैं, जो समुद्री जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। उपसागर धाराएँ पोषक तत्वों को ऊपरी सतह पर लाती हैं, जिससे उत्पादकता बढ़ती है।
प्रवासन मार्ग: धाराएँ समुद्री जीवों के प्रवासन और वितरण को प्रभावित करती हैं।
नौचालन:
नौपरिवहन: महासागरी धाराएँ नौचालन को प्रभावित करती हैं, जिससे जहाजों की गति और दिशा में बदलाव आता है। धाराओं के अनुसार मार्ग योजना बनाना आवश्यक होता है।
See lessसमुद्री मौसम: धाराओं का प्रभाव समुद्री मौसम और मौसम पूर्वानुमान पर भी पड़ता है, जो नौचालन के लिए महत्वपूर्ण होता है।
इस प्रकार, महासागरी धाराएँ जलवायु, समुद्री जीवन, और नौचालन पर गहरा प्रभाव डालती हैं, और इनका अध्ययन विभिन्न समुद्री और जलवायु प्रक्रियाओं को समझने में महत्वपूर्ण है।
अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) से आप क्या समझते हैं? हाल ही में, AMOC के कमजोर पड़ने के लिए उत्तरदायी कारणों और इसके प्रभाव पर प्रकाश डालिए।। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) एक महत्वपूर्ण महासागरीय धारा प्रणाली है, जो अटलांटिक महासागर में गर्म और ठंडी जल धाराओं के आपसी आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है। यह प्रणाली गर्म सतही पानी को उत्तरी अटलांटिक में ले जाती है, जहां यह ठंडा होकर डूबता है और फिर दक्षिणी अटलांटिक में वापस लौRead more
अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) एक महत्वपूर्ण महासागरीय धारा प्रणाली है, जो अटलांटिक महासागर में गर्म और ठंडी जल धाराओं के आपसी आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है। यह प्रणाली गर्म सतही पानी को उत्तरी अटलांटिक में ले जाती है, जहां यह ठंडा होकर डूबता है और फिर दक्षिणी अटलांटिक में वापस लौटता है।
हाल ही में, AMOC के कमजोर पड़ने के प्रमुख कारणों में ग्लोबल वार्मिंग और आर्कटिक बर्फ का पिघलना शामिल हैं। इन कारणों से उत्तरी अटलांटिक में ठंडे और भारी पानी का प्रवाह कम हो गया है, जिससे AMOC की ताकत में कमी आई है।
इसके प्रभाव गंभीर हो सकते हैं:
इस प्रकार, AMOC की कमजोरी वैश्विक जलवायु और मौसम प्रणालियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
See lessद्वीपसमूह से आप क्या समझते हैं? इनके निर्माण में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को उदाहरण सहित समझाइए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
द्वीपसमूह एक ऐसी भौगोलिक संरचना है जिसमें कई छोटे-छोटे द्वीप एक समूह के रूप में स्थित होते हैं। ये द्वीप समुद्र, समुद्री झीलों, या अन्य जलाशयों में फैले हुए हो सकते हैं। द्वीपसमूहों के निर्माण में विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं: वोल्कैनिक गतिविधि: जैसे हवाई द्वीपसमूह, जो कि एक ज्वालामुRead more
द्वीपसमूह एक ऐसी भौगोलिक संरचना है जिसमें कई छोटे-छोटे द्वीप एक समूह के रूप में स्थित होते हैं। ये द्वीप समुद्र, समुद्री झीलों, या अन्य जलाशयों में फैले हुए हो सकते हैं। द्वीपसमूहों के निर्माण में विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं:
ये प्रक्रियाएँ द्वीपसमूहों को भौगोलिक और पारिस्थितिक दृष्टिकोण से विशिष्ट बनाती हैं।
See lessट्रिपल डिप ला नीना परिघटना क्या है? विश्व के विभिन्न क्षेत्रों पर इसके संभावित प्रभाव की विवेचना कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
**ट्रिपल डिप ला नीना** परिघटना वह स्थिति है जब ला नीना, एक ठंडी समुद्री सतह का तापमान परिघटना, लगातार तीन सर्दियों तक बनी रहती है। सामान्यतः, ला नीना हर कुछ वर्षों में एक बार होती है, लेकिन "ट्रिपल डिप" के मामले में यह असामान्य रूप से लंबी अवधि तक जारी रहती है। **प्रभाव:** 1. **अमेरिका:** दक्षिणी अमRead more
**ट्रिपल डिप ला नीना** परिघटना वह स्थिति है जब ला नीना, एक ठंडी समुद्री सतह का तापमान परिघटना, लगातार तीन सर्दियों तक बनी रहती है। सामान्यतः, ला नीना हर कुछ वर्षों में एक बार होती है, लेकिन “ट्रिपल डिप” के मामले में यह असामान्य रूप से लंबी अवधि तक जारी रहती है।
**प्रभाव:**
1. **अमेरिका:** दक्षिणी अमेरिका में सूखा और उत्तरी अमेरिका में ठंडी और गीली सर्दियां हो सकती हैं। कृषि और जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती हैं।
2. **ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया:** भारी वर्षा और बाढ़ का खतरा बढ़ता है, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है और जनजीवन प्रभावित हो सकता है।
3. **पूर्वी अफ्रीका:** सूखा और खाद्यान्न की कमी की संभावना होती है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर संकट उत्पन्न हो सकता है।
4. **भारत:** मॉनसून पर असर पड़ सकता है, जिससे कृषि उत्पादन में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
ट्रिपल डिप ला नीना वैश्विक जलवायु पैटर्न को प्रभावित करती है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में मौसम संबंधी असामान्यताएं उत्पन्न होती हैं।
See lessमहासागरीय लवणता में विभिन्नताओं के कारण बताइए तथा इसके बहु-आयामी प्रभावों की विवेचना कीजिए । (250 words) [UPSC 2017]
महासागरीय लवणता (ocean salinity) समुद्र के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती है, और इसके विभिन्न कारण हैं जिनका गहरा प्रभाव समुद्री पारिस्थितिकी और वैश्विक जलवायु पर पड़ता है। लवणता में विविधताओं के कारण: वृष्टि और वाष्पीकरण: उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में वाष्पीकरण की दर अधिक होती है, जिससे समRead more
महासागरीय लवणता (ocean salinity) समुद्र के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती है, और इसके विभिन्न कारण हैं जिनका गहरा प्रभाव समुद्री पारिस्थितिकी और वैश्विक जलवायु पर पड़ता है।
लवणता में विविधताओं के कारण:
बहु-आयामी प्रभाव:
इस प्रकार, महासागरीय लवणता में विविधताएँ समुद्री पारिस्थितिकी, वैश्विक जलवायु, और तटीय मौसम पर गहरा प्रभाव डालती हैं, और इनका अध्ययन महत्वपूर्ण है ताकि समुद्री और जलवायु प्रबंधन में बेहतर निर्णय लिए जा सकें।
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