द्वीपसमूह से आप क्या समझते हैं? इनके निर्माण में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को उदाहरण सहित समझाइए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
दीर्घ ज्वार (Spring Tides) वे ज्वार होते हैं जिनमें समुद्र की लहरें अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं और लुढ़कने की ऊँचाई भी अत्यधिक कम हो जाती है। ये ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर एकसाथ कार्य करती है। इसका परिणाम होता है अधिकतम ज्वारीय अंतर (Tidal Range), जिसRead more
दीर्घ ज्वार (Spring Tides) वे ज्वार होते हैं जिनमें समुद्र की लहरें अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं और लुढ़कने की ऊँचाई भी अत्यधिक कम हो जाती है। ये ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर एकसाथ कार्य करती है। इसका परिणाम होता है अधिकतम ज्वारीय अंतर (Tidal Range), जिससे समुद्र की लहरें बहुत ऊँचाई पर जाती हैं और निम्न ज्वार बहुत नीचे चले जाते हैं।
दीर्घ ज्वार के उत्पन्न होने के प्रमुख समय:
- चंद्रमा और सूर्य की संरेखण (Alignment)
दीर्घ ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के एक ही सीध में होते हैं। यह संरेखण दो स्थितियों में होता है:- नया चाँद (New Moon): जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच होता है, तब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बलों का संयोग होता है।
- पूर्ण चाँद (Full Moon): जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच होती है, तब भी गुरुत्वाकर्षण बलों का संयोजन होता है।
- ज्वारीय अंतर (Tidal Range)
दीर्घ ज्वार के दौरान ज्वारीय अंतर अधिकतम होता है। इसका मतलब है कि उच्च ज्वार बहुत ऊँचा होता है और निम्न ज्वार बहुत नीचे चला जाता है। यह अत्यधिक ज्वारीय अंतर तटीय क्षेत्रों में प्रमुख प्रभाव डाल सकता है, जैसे तटीय कटाव और बाढ़। - हाल के उदाहरण:
- अम्फान चक्रवात (2020): यह चक्रवात दीर्घ ज्वार के साथ मेल खाता था, जिससे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों में भारी बाढ़ आई। दीर्घ ज्वार और चक्रवात की संयुक्त प्रभाव ने प्रभावित क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव डाला।
- 2011 जापान सुनामी: दीर्घ ज्वार की स्थिति ने सुनामी के दौरान तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के पैमाने को प्रभावित किया। जापान के तटीय क्षेत्रों में दीर्घ ज्वार ने बाढ़ की स्थिति को और बढ़ा दिया।
- आवृत्ति और पूर्वानुमान
दीर्घ ज्वार लगभग हर दो हफ्ते में होते हैं, जब नया चाँद और पूर्ण चाँद आते हैं। इन्हें ज्वारीय चार्ट और खगोलशास्त्रीय डेटा के माध्यम से पूर्वानुमानित किया जा सकता है। तटीय समुदाय अक्सर इन ज्वारों के लिए तैयार रहते हैं ताकि मछली पकड़ने, शिपिंग, और तटीय संरचनाओं पर संभावित प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके। - वैश्विक प्रभाव
- संयुक्त किंगडम: यहाँ दीर्घ ज्वारों की निगरानी की जाती है क्योंकि ये समुद्री गतिविधियों और तटीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, पूर्वी इंग्लैंड में सर्दियों के दौरान दीर्घ ज्वारों के समय तटीय बाढ़ का जोखिम बढ़ जाता है।
- भारत: भारत में, दीर्घ ज्वार विशेष रूप से सुंदरबन क्षेत्र में प्रभाव डालते हैं, जहाँ ज्वार की वृद्धि स्थानीय वनस्पति और समुद्री जीवन को प्रभावित कर सकती है। 2023 में, सुंदरबन में दीर्घ ज्वारों के कारण जल की लवणता में वृद्धि हुई, जिससे कृषि और मछली पालन पर असर पड़ा।
निष्कर्ष
दीर्घ ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के साथ एक संरेखण में होते हैं, विशेषकर नए चाँद और पूर्ण चाँद के दौरान। इन ज्वारों का ज्वारीय अंतर अधिकतम होता है, जिससे समुद्र की लहरें उच्च और निम्न सीमा तक जाती हैं। हाल के उदाहरण जैसे चक्रवात अम्फान और जापान की सुनामी ने यह प्रदर्शित किया है कि दीर्घ ज्वारों की समझ और पूर्वानुमान तटीय प्रबंधन और आपदा तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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द्वीपसमूह एक ऐसी भौगोलिक संरचना है जिसमें कई छोटे-छोटे द्वीप एक समूह के रूप में स्थित होते हैं। ये द्वीप समुद्र, समुद्री झीलों, या अन्य जलाशयों में फैले हुए हो सकते हैं। द्वीपसमूहों के निर्माण में विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं: वोल्कैनिक गतिविधि: जैसे हवाई द्वीपसमूह, जो कि एक ज्वालामुRead more
द्वीपसमूह एक ऐसी भौगोलिक संरचना है जिसमें कई छोटे-छोटे द्वीप एक समूह के रूप में स्थित होते हैं। ये द्वीप समुद्र, समुद्री झीलों, या अन्य जलाशयों में फैले हुए हो सकते हैं। द्वीपसमूहों के निर्माण में विभिन्न प्राकृतिक प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं:
ये प्रक्रियाएँ द्वीपसमूहों को भौगोलिक और पारिस्थितिक दृष्टिकोण से विशिष्ट बनाती हैं।
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