“वंचितों के विकास और कल्याण की योजनाएं अपनी प्रकृति से ही दृष्टिकोण में भेदभाव करने वाली होती हैं।” क्या आप सहमत हैं ? अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिए । (250 words) [UPSC 2023]
भारत में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की भूमिका को मज़बूत करने के उपाय और मुख्य बाध्यताएँ **1. वित्तीय संसाधनों और समर्थन में वृद्धि: उपाय: एनजीओ को पर्यावरणीय परियोजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना चाहिए। उदाहरण: "ग्रामीन विकास के लिए एनजीओ के पास सीमित फंड होते हैं,Read more
भारत में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की भूमिका को मज़बूत करने के उपाय और मुख्य बाध्यताएँ
**1. वित्तीय संसाधनों और समर्थन में वृद्धि:
- उपाय: एनजीओ को पर्यावरणीय परियोजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना चाहिए। उदाहरण: “ग्रामीन विकास के लिए एनजीओ के पास सीमित फंड होते हैं, जिससे पर्यावरणीय परियोजनाओं की गति धीमी हो जाती है।”
- बाध्यता: असंगठित फंडिंग और आय के अस्थिर स्रोत एनजीओ की परियोजनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
**2. क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण:
- उपाय: एनजीओ को परियोजना प्रबंधन, अनुसंधान और समुदाय संघटन में प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। उदाहरण: “पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण में कार्यरत एनजीओ जैसे ‘ग्रीनपीस’ ने तकनीकी प्रशिक्षण द्वारा अपने प्रभाव को बढ़ाया है।”
- बाध्यता: तकनीकी कौशल की कमी और प्रशिक्षण के लिए संसाधनों की कमी एनजीओ की क्षमता को सीमित करती है।
**3. नीति और नियामक समर्थन:
- उपाय: नियमों को सरल बनाना और समर्थनकारी नीतियाँ बनाना एनजीओ की कार्यक्षमता को बेहतर बना सकता है। उदाहरण: “एनजीओ ‘सचेत’ ने वनों की रक्षा के लिए सरकारी समर्थन प्राप्त करने में कठिनाइयाँ झेली हैं।”
- बाध्यता: प्रशासनिक जटिलताएँ और ब्यूरोक्रेटिक बाधाएँ एनजीओ की प्रभावशीलता को बाधित करती हैं।
**4. सहयोग और नेटवर्किंग:
- उपाय: एनजीओ, सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। उदाहरण: “सभी साझेदारों के साथ काम करने से ‘विकास’ ने अपने परियोजनाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाया है।”
- बाध्यता: असंगठित प्रयास और साझेदारी की कमी परियोजनाओं के समन्वय को प्रभावित करती है।
**5. जन जागरूकता और प्रचार:
- उपाय: सार्वजनिक अभियान और शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना चाहिए। उदाहरण: “एनजीओ ‘एन्वायर्नमेंटलिस्ट’ ने पर्यावरणीय शिक्षा के लिए सफल अभियानों का संचालन किया है।”
- बाध्यता: सार्वजनिक संलग्नता की कमी और सीमित पहुंच एनजीओ के प्रभाव को सीमित करती है।
निष्कर्ष: भारत में एनजीओ की पर्यावरणीय विकास कार्यों में प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए वित्तीय, क्षमता निर्माण, नियामक, सहयोग, और जागरूकता के क्षेत्रों में सुधार आवश्यक हैं। इन बाध्यताओं को पार करके, एनजीओ पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
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वंचितों के विकास और कल्याण की योजनाएं अपनी प्रकृति से ही दृष्टिकोण में भेदभाव करने वाली होती हैं," इस विचार से सहमत होने के कई कारण हैं। 1. विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति: वंचित वर्गों के लिए बनाई गई योजनाएं सामान्य योजनाओं से भिन्न होती हैं, क्योंकि उनका उद्देश्य विशिष्ट सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को दRead more
वंचितों के विकास और कल्याण की योजनाएं अपनी प्रकृति से ही दृष्टिकोण में भेदभाव करने वाली होती हैं,” इस विचार से सहमत होने के कई कारण हैं।
1. विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति: वंचित वर्गों के लिए बनाई गई योजनाएं सामान्य योजनाओं से भिन्न होती हैं, क्योंकि उनका उद्देश्य विशिष्ट सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को दूर करना होता है। उदाहरण के लिए, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए विशेष आरक्षण, सब्सिडी, और अन्य सहायता योजनाएं बनती हैं। ये योजनाएं सामान्य वर्ग के लिए उपलब्ध साधनों और अवसरों से अलग होती हैं, ताकि वंचित वर्ग को उनकी स्थिति के आधार पर समान अवसर प्राप्त हो सकें।
2. समानता की ओर कदम: वंचित वर्गों के लिए विशेष योजनाओं का उद्देश्य समानता प्राप्त करना होता है। यदि ये योजनाएं सामान्य वर्ग के लिए समान होतीं, तो वंचित वर्ग की विशिष्ट समस्याएं और आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पातीं। उदाहरण के लिए, एक सामान्य शिक्षा नीति सभी बच्चों को एक समान शिक्षा देने का प्रयास करती है, लेकिन वंचित वर्ग के बच्चों के लिए अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता होती है, जैसे कि निःशुल्क शिक्षा, किताबें, और अन्य संसाधन।
3. प्रभावशीलता में अंतर: विशेष योजनाएं उन लोगों तक पहुँचती हैं जिन्हें सामान्य योजनाओं से लाभ नहीं होता। इन योजनाओं की संरचना और कार्यान्वयन वंचित वर्ग की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए की जाती हैं, जिससे उनकी प्रभावशीलता में सुधार होता है।
4. समान अवसरों की स्थापना: वंचित वर्ग के लिए विशेष योजनाएं उनके सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए आवश्यक हैं। यह दृष्टिकोण भेदभावपूर्ण नहीं होता, बल्कि असमानता को दूर करने का प्रयास होता है, ताकि सभी वर्गों को समान अवसर मिल सकें।
इन कारणों से, वंचितों के विकास और कल्याण के लिए बनाई गई योजनाएं अक्सर दृष्टिकोण में भेदभावपूर्ण लगती हैं, लेकिन उनका उद्देश्य असल में समानता और समावेशिता को बढ़ावा देना होता है।
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