गरीबी एवं भुखमरी से संबंधित मुख्य मुद्दे क्या है? (200 Words) [UPPSC 2018]
"केवल आय पर आधारित गरीबी के निर्धारण में गरीबी का आपतन और तीव्रता अधिक महत्वपूर्ण है" इस विचार को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) की नवीनतम रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा सकता है। MPI गरीबी की एक व्यापक परिभाषा प्रदान करता है, जो केवल आय के बजाय विभिन्न सामाजिक और आर्थिक आयामोRead more
“केवल आय पर आधारित गरीबी के निर्धारण में गरीबी का आपतन और तीव्रता अधिक महत्वपूर्ण है” इस विचार को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) की नवीनतम रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा सकता है। MPI गरीबी की एक व्यापक परिभाषा प्रदान करता है, जो केवल आय के बजाय विभिन्न सामाजिक और आर्थिक आयामों को भी ध्यान में रखता है।
MPI का विश्लेषण:
संविधानिक निर्धारण:
MPI में गरीबी का निर्धारण आय के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर जैसे आयामों पर आधारित होता है। यह सूचकांक यह मापता है कि कितने लोग इन प्रमुख आयामों में से कितने में गरीब हैं और उनकी गरीबी कितनी गहरी है।
आपतन (Incidence):
MPI में गरीबी का आपतन यह दिखाता है कि एक निश्चित जनसंख्या का कितना प्रतिशत बहुआयामी गरीबी में है। यह निर्धारण गरीबी की व्यापकता को दर्शाता है। नवीनतम रिपोर्ट में दिखाया गया है कि कई देश, विशेषकर विकासशील देशों में, MPI के आधार पर गरीबी का आपतन उच्च है, जो केवल आय आधारित निर्धारण से कहीं अधिक गहराई से दर्शाता है।
तीव्रता (Intensity):
तीव्रता से तात्पर्य है गरीबी के उस स्तर की गहराई, जिसमें गरीब लोग रहते हैं। MPI में, यह दिखाया जाता है कि गरीब लोगों को कितनी संख्या में आवश्यक संसाधनों की कमी है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर में महत्वपूर्ण कमी है, तो उनकी गरीबी की तीव्रता अधिक होगी।
वर्तमान रिपोर्ट के निष्कर्ष:
उच्च आपतन और तीव्रता: नवीनतम MPI रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कई देश, जैसे कि अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई देश, उच्च गरीबी आपतन और तीव्रता का सामना कर रहे हैं। ये आंकड़े केवल आय आधारित गरीबी की तुलना में अधिक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक कारक: रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि गरीबी के विभिन्न आयामों की गहराई और तीव्रता सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों से प्रभावित होती है, जैसे कि शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता।
संक्षेप में, MPI का उपयोग केवल आय आधारित निर्धारण की तुलना में गरीबी के गहरे और अधिक समग्र चित्र को प्रस्तुत करता है। यह न केवल गरीबी की मौजूदगी को दिखाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गरीब लोगों को कितनी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है, जिससे नीति निर्धारण और अंतर्राष्ट्रीय सहायता के लिए बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
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गरीबी और भुखमरी से संबंधित मुख्य मुद्दे 1. आर्थिक असमानता भारत में आय असमानता एक प्रमुख समस्या बनी हुई है। हाल ही में आर्थिक सर्वे 2022-23 ने दिखाया कि अमीरों की आय में भारी वृद्धि हुई है, जबकि गरीबों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, जिससे गरीबी में वृद्धि हो रही है। 2. बुनियादी सेवाओं की अपर्याप्त पहुRead more
गरीबी और भुखमरी से संबंधित मुख्य मुद्दे
1. आर्थिक असमानता
भारत में आय असमानता एक प्रमुख समस्या बनी हुई है। हाल ही में आर्थिक सर्वे 2022-23 ने दिखाया कि अमीरों की आय में भारी वृद्धि हुई है, जबकि गरीबों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, जिससे गरीबी में वृद्धि हो रही है।
2. बुनियादी सेवाओं की अपर्याप्त पहुँच
गरीब घरानों को स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सेवाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। NITI Aayog के 2023 SDG इंडिया इंडेक्स ने विभिन्न राज्यों में SDGs की उपलब्धियों में असमानता को उजागर किया है, जिससे गरीब राज्यों में स्वास्थ्य और शिक्षा की समस्याएँ बढ़ रही हैं।
3. खाद्य असुरक्षा
लोक वितरण प्रणाली (PDS) जैसी योजनाओं के बावजूद, खाद्य असुरक्षा एक गंभीर समस्या है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 ने भारत को “गंभीर” स्तर की भूख वाले देशों में रखा है, जो खाद्य सुरक्षा उपायों की बेहतर कार्यान्वयन की आवश्यकता को दर्शाता है।
4. आर्थिक संवेदनशीलता
COVID-19 महामारी जैसे संकटों ने गरीबों पर विशेष प्रभाव डाला है, जिससे रोजगार की कमी और आय में अस्थिरता बढ़ी है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट ने महामारी के दौरान कम आय वाले श्रमिकों के बीच बेरोजगारी और अर्द्ध-बेरोजगारी में वृद्धि को दर्शाया है।
5. ग्रामीण-शहरी असमानताएँ
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानता स्पष्ट है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और खाद्य असुरक्षा की समस्या अधिक है। ग्रामीण और शहरी गरीबी की स्थिति 2024 की रिपोर्ट ने ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता को बल दिया है।
इन समस्याओं का समाधान एक बहुपरकारी दृष्टिकोण की मांग करता है, जिसमें आर्थिक सुधार, बेहतर शासन और सामाजिक सुरक्षा जाल को सुधारना शामिल है।
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