“केवल आय पर आधारित गरीबी के निर्धारण में गरीबी का आपतन और तीव्रता अधिक महत्वपूर्ण है”। इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक की नवीनतम रिपोर्ट का विश्लेषण कीजिए । (250 words) [UPSC 2020]
भारत में निर्धनता और भूख के बीच संबंध में एक बढ़ता हुआ अंतर दर्शाता है कि आर्थिक वृद्धि के बावजूद गरीबों की जीवन-यापन की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। यह अंतर कई कारणों से उत्पन्न हो रहा है: 1. सामाजिक व्यय में कमी: सरकारी सामाजिक व्यय में संकुचन के कारण, विशेषकर खाद्य सब्सिडी और सामाजिक सुरक्षाRead more
भारत में निर्धनता और भूख के बीच संबंध में एक बढ़ता हुआ अंतर दर्शाता है कि आर्थिक वृद्धि के बावजूद गरीबों की जीवन-यापन की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। यह अंतर कई कारणों से उत्पन्न हो रहा है:
1. सामाजिक व्यय में कमी:
सरकारी सामाजिक व्यय में संकुचन के कारण, विशेषकर खाद्य सब्सिडी और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में कटौती की जा रही है। इससे निर्धन वर्ग के पास खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधन कम हो जाते हैं।
2. भोजन बजट में कमी:
संकुचित सामाजिक व्यय के चलते निर्धन व्यक्तियों को अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीमित बजट का सामना करना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप, वे भोजन के बजाए अन्य अत्यावश्यक मदों पर अधिक खर्च करने के लिए मजबूर होते हैं।
3. भूख और निर्धनता का संबंध:
इस स्थिति से भूख और निर्धनता के बीच एक बढ़ता हुआ अंतर उत्पन्न हो रहा है। खाद्य व्यय में कमी के कारण, गरीबों की पोषण स्थिति बिगड़ रही है, जबकि सामाजिक सुरक्षा के अन्य क्षेत्रों में भी सुधार की कमी है।
इस प्रकार, सामाजिक व्यय में कटौती के कारण निर्धन वर्ग की खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो रही है, जिससे भूख और निर्धनता के बीच अंतर बढ़ रहा है।
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"केवल आय पर आधारित गरीबी के निर्धारण में गरीबी का आपतन और तीव्रता अधिक महत्वपूर्ण है" इस विचार को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) की नवीनतम रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा सकता है। MPI गरीबी की एक व्यापक परिभाषा प्रदान करता है, जो केवल आय के बजाय विभिन्न सामाजिक और आर्थिक आयामोRead more
“केवल आय पर आधारित गरीबी के निर्धारण में गरीबी का आपतन और तीव्रता अधिक महत्वपूर्ण है” इस विचार को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) की नवीनतम रिपोर्ट का विश्लेषण किया जा सकता है। MPI गरीबी की एक व्यापक परिभाषा प्रदान करता है, जो केवल आय के बजाय विभिन्न सामाजिक और आर्थिक आयामों को भी ध्यान में रखता है।
MPI का विश्लेषण:
संविधानिक निर्धारण:
MPI में गरीबी का निर्धारण आय के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर जैसे आयामों पर आधारित होता है। यह सूचकांक यह मापता है कि कितने लोग इन प्रमुख आयामों में से कितने में गरीब हैं और उनकी गरीबी कितनी गहरी है।
आपतन (Incidence):
MPI में गरीबी का आपतन यह दिखाता है कि एक निश्चित जनसंख्या का कितना प्रतिशत बहुआयामी गरीबी में है। यह निर्धारण गरीबी की व्यापकता को दर्शाता है। नवीनतम रिपोर्ट में दिखाया गया है कि कई देश, विशेषकर विकासशील देशों में, MPI के आधार पर गरीबी का आपतन उच्च है, जो केवल आय आधारित निर्धारण से कहीं अधिक गहराई से दर्शाता है।
तीव्रता (Intensity):
तीव्रता से तात्पर्य है गरीबी के उस स्तर की गहराई, जिसमें गरीब लोग रहते हैं। MPI में, यह दिखाया जाता है कि गरीब लोगों को कितनी संख्या में आवश्यक संसाधनों की कमी है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की शिक्षा, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर में महत्वपूर्ण कमी है, तो उनकी गरीबी की तीव्रता अधिक होगी।
वर्तमान रिपोर्ट के निष्कर्ष:
उच्च आपतन और तीव्रता: नवीनतम MPI रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कई देश, जैसे कि अफ्रीकी और दक्षिण एशियाई देश, उच्च गरीबी आपतन और तीव्रता का सामना कर रहे हैं। ये आंकड़े केवल आय आधारित गरीबी की तुलना में अधिक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक कारक: रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि गरीबी के विभिन्न आयामों की गहराई और तीव्रता सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों से प्रभावित होती है, जैसे कि शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता।
संक्षेप में, MPI का उपयोग केवल आय आधारित निर्धारण की तुलना में गरीबी के गहरे और अधिक समग्र चित्र को प्रस्तुत करता है। यह न केवल गरीबी की मौजूदगी को दिखाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गरीब लोगों को कितनी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है, जिससे नीति निर्धारण और अंतर्राष्ट्रीय सहायता के लिए बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
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