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राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचे को रेखांकित करते हुए, विश्लेषण कीजिए कि यह भारत में भू- स्थानिक अवसंरचना को कैसे सुदृढ़ करेगा। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NSP) के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है: भू-स्थानिक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर: नीति के तहत एक व्यापक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना की जाएगी, जिसमें भू-स्थानिक डेटा को एकत्रित करने, प्रबंधRead more
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NSP) के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है:
यह संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने में मदद करेगा क्योंकि यह डेटा के एकत्रण, प्रबंधन, और उपयोग की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा। इससे सरकारी योजनाओं, विकास परियोजनाओं और आपदा प्रबंधन में अधिक सटीकता और प्रभावशीलता बढ़ेगी। इसके अलावा, यह शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, जिससे समग्र रूप से भू-स्थानिक क्षेत्र में प्रगति होगी।
See lessभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2023 में आदित्य-एल1 को लॉन्ब करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। आदित्य- एल1, आदित्य-1 से कैसे अलग है? साथ ही, आदित्य-एल1 के वैज्ञानिक उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
आदित्य-एल1 और आदित्य-1 में मुख्य अंतर उनकी मिशन प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी में है। आदित्य-1, 2008 में प्रस्तावित किया गया था, परंतु तकनीकी और समय संबंधी मुद्दों के कारण इसे लॉन्च नहीं किया जा सका। आदित्य-एल1, इसकी उन्नत संस्करण है, जिसे 2023 में लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है। आदित्य-एल1 का मRead more
आदित्य-एल1 और आदित्य-1 में मुख्य अंतर उनकी मिशन प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी में है। आदित्य-1, 2008 में प्रस्तावित किया गया था, परंतु तकनीकी और समय संबंधी मुद्दों के कारण इसे लॉन्च नहीं किया जा सका। आदित्य-एल1, इसकी उन्नत संस्करण है, जिसे 2023 में लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है।
आदित्य-एल1 का मुख्य उद्देश्य सूर्य की विभिन्न विशेषताओं का अध्ययन करना है। इसके वैज्ञानिक उद्देश्यों में शामिल हैं:
आदित्य-एल1 इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सूर्य के एक विशेष कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
See lessपृथ्वी पर मौजूद प्रौद्योगिकी और अवसंरचना पर भू-चुंबकीय तूफान के संभावित प्रभाव क्या हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storms) सूर्य की सतह पर होने वाली बड़े पैमाने की सौर गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, जैसे कि सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन (CME)। इन तूफानों के पृथ्वी पर प्रौद्योगिकी और अवसंरचना पर संभावित प्रभाव निम्नलिखित हैं: उपग्रहों पर प्रभाव: भू-चुंबकीय तूफान उपग्रRead more
भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storms) सूर्य की सतह पर होने वाली बड़े पैमाने की सौर गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, जैसे कि सौर तूफान और कोरोनल मास इजेक्शन (CME)। इन तूफानों के पृथ्वी पर प्रौद्योगिकी और अवसंरचना पर संभावित प्रभाव निम्नलिखित हैं:
इन प्रभावों से निपटने के लिए उपग्रह सुरक्षा, विद्युत ग्रिड की मजबूत डिजाइन, और आपातकालीन प्रोटोकॉल लागू किए जाते हैं।
See lessभारत के चन्द्रमा मिशन कार्यक्रम 'चन्द्रयान-3' के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं ? (125 Words) [UPPSC 2023]
भारत के चंद्रमा मिशन कार्यक्रम 'चंद्रयान-3' के प्रमुख उद्देश्य सॉफ्ट लैंडिंग: चंद्रयान-3 का प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा पर एक सफल सॉफ्ट लैंडिंग प्राप्त करना है। पिछली मिशन चंद्रयान-2 में लैंडर का हार्ड लैंडिंग हुआ था, जिसे सुधारने का प्रयास किया गया है। Lunar Surface Exploration: मिशन चंद्रमा की सतह परRead more
भारत के चंद्रमा मिशन कार्यक्रम ‘चंद्रयान-3’ के प्रमुख उद्देश्य
हालिया उदाहरण: 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की, जिससे भारत ने इतिहास रचा और अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी स्थिति को मजबूत किया।
See lessब्लड मून' (Blood moon) किसे कहते हैं? यह कब होता है ? (125 Words) [UPPSC 2023]
'ब्लड मून' (Blood Moon) एक खगोलीय घटना है, जिसे पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा की लालिमा के कारण कहा जाता है। जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो वह सूर्य की सीधी किरणों को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है और इसके वातावरण में बिखरी हुई रोशनी लाल रंग की छटा प्रदान करती है। इस घटना के दौरRead more
‘ब्लड मून’ (Blood Moon) एक खगोलीय घटना है, जिसे पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा की लालिमा के कारण कहा जाता है। जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो वह सूर्य की सीधी किरणों को चंद्रमा तक पहुँचने से रोकती है और इसके वातावरण में बिखरी हुई रोशनी लाल रंग की छटा प्रदान करती है। इस घटना के दौरान, चंद्रमा का रंग लाल, नारंगी या भूरा हो जाता है, जिससे इसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। यह घटना तब होती है जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है, जो औसतन हर 1.5 साल में होता है। चंद्रग्रहण के दौरान, चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरा या आंशिक रूप से ढका होता है, जिससे ‘ब्लड मून’ का प्रभाव देखा जाता है।
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