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प्रेस की आजादी के लिये संघर्ष में राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक के योगदान का वर्णन कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
बाल गंगाधर तिलक का प्रेस की आज़ादी के संघर्ष में योगदान 1. पत्रकारिता का प्रचार: पत्रिकाएँ: बाल गंगाधर तिलक ने केसरी (मराठी) और द महरट्टा (अंग्रेज़ी) जैसे समाचार पत्रों के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को गति दी। इन पत्रिकाओं के माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश शासन की आलोचना की और राष्ट्रीय भावनाओं को प्रRead more
बाल गंगाधर तिलक का प्रेस की आज़ादी के संघर्ष में योगदान
1. पत्रकारिता का प्रचार:
2. प्रेस सेंसरशिप के खिलाफ संघर्ष:
3. सार्वजनिक जागरूकता:
4. कानूनी संघर्ष:
निष्कर्ष: बाल गंगाधर तिलक का प्रेस की आज़ादी के लिए संघर्ष ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और उन्होंने स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया।
See lessआधुनिक शिक्षा में सर सैयद अहमद खान के योगदान पर एक टिप्पणी लिखिए । (125 Words) [UPPSC 2023]
आधुनिक शिक्षा में सर सैयद अहमद खान के योगदान पर टिप्पणी सर सैयद अहमद खान ने आधुनिक शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने मुस्लिम समाज को शिक्षा की महत्वता का एहसास कराया और पारंपरिक शिक्षा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा। **1. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी: 1875 में, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटीRead more
आधुनिक शिक्षा में सर सैयद अहमद खान के योगदान पर टिप्पणी
सर सैयद अहमद खान ने आधुनिक शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने मुस्लिम समाज को शिक्षा की महत्वता का एहसास कराया और पारंपरिक शिक्षा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा।
**1. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी: 1875 में, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की, जो आधुनिक शिक्षा के प्रचार का महत्वपूर्ण केंद्र बनी।
**2. प्रेरणा और सुधार: उन्होंने मुस्लिम समाज के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पश्चिमी शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।
**3. साहित्य और प्रकाशन: उनके द्वारा संपादित “असारुस सानादीद” जैसे लेखन, और “दस्तरख्वान” जैसी पत्रिकाओं ने शिक्षा और जागरूकता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी शिक्षा नीति और सामाजिक सुधार ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को आधुनिक दृष्टिकोण प्रदान किया और समाज में सकारात्मक बदलाव किया।
See lessभगत सिंह द्वारा प्रतिपादित 'क्रान्तिकारी दर्शन' पर प्रकाश डालिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
भगत सिंह द्वारा प्रतिपादित 'क्रान्तिकारी दर्शन' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो मुख्यतः निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है: 1. **आत्मनिर्भर क्रांति**: भगत सिंह ने आत्मनिर्भर क्रांति की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना था कि स्वतंत्रता की प्राप्ति और समाज में पRead more
भगत सिंह द्वारा प्रतिपादित ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो मुख्यतः निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:
1. **आत्मनिर्भर क्रांति**: भगत सिंह ने आत्मनिर्भर क्रांति की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना था कि स्वतंत्रता की प्राप्ति और समाज में परिवर्तन के लिए एक सशक्त क्रांतिकारी आंदोलन की आवश्यकता है, जो पूरी तरह से विदेशी शासकों के खिलाफ हो।
2. **सामाजिकवाद और समानता**: वे मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित थे और समाजवादी व्यवस्था की ओर उन्मुख थे। उनका उद्देश्य एक ऐसा समाज स्थापित करना था जहाँ वर्ग भेदभाव समाप्त हो, और सभी लोगों को समान अवसर और अधिकार मिलें।
3. **हिंसात्मक क्रांति**: भगत सिंह ने अहिंसात्मक आंदोलनों के प्रभावी होने पर संदेह किया और क्रांतिकारी हिंसा को समाज में बदलाव लाने का एक वैध माध्यम माना। उनका मानना था कि जब अन्य विकल्प असफल हो जाएं, तो सशस्त्र संघर्ष आवश्यक हो जाता है।
4. **युवाओं की भूमिका**: उन्होंने युवाओं को क्रांतिकारी आंदोलन की अग्रिम पंक्ति में देखा। उनका मानना था कि युवा वर्ग ही समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सक्षम है और उसे क्रांति की दिशा में प्रेरित किया जाना चाहिए।
5. **धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीयता**: भगत सिंह ने एक धर्मनिरपेक्ष और एकजुट भारत की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें सभी धर्मों और जातियों का समान अधिकार हो।
भगत सिंह का क्रान्तिकारी दर्शन स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी और सामाजिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है, जो हिंसा, सामाजिकवाद और युवा सशक्तिकरण पर आधारित था।
See lessशिक्षा और विदेशी मामलों के क्षेत्र में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान को वर्णित कीजिए। (उत्तर 250 शब्दों में दें)
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारतीय राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्, और भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान शिक्षा और विदेशी मामलों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राधाकृष्णन ने भारतीय शिक्षा के विकास में अहम भूमिका निभाई और शिक्षा को जनता तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चRead more
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारतीय राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्, और भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान शिक्षा और विदेशी मामलों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राधाकृष्णन ने भारतीय शिक्षा के विकास में अहम भूमिका निभाई और शिक्षा को जनता तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चलाई।
उन्होंने भारतीय संस्कृति और दर्शन के महत्व को विदेशों में प्रस्तुत किया और इससे भारत की पहचान को बढ़ाया। उन्होंने भारतीय संस्कृति को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुत किया और विश्व भर में भारतीय दर्शन की महिमा को बढ़ावा दिया।
उनकी शिक्षा और विदेशी मामलों में उनकी विचारशीलता, विद्वत्ता, और समर्पण ने एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। उनके योगदान से भारतीय शिक्षा और संस्कृति को ग्लोबल स्तर पर मान्यता मिली और उन्होंने भारत की पहचान को विश्व स्तर पर मजबूत किया।
See lessमहात्मा गाँधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर में शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति सोच में क्या अंतर था? (150 Words) [UPSC 2023]
महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) की शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति सोच में महत्वपूर्ण अंतर था: शिक्षा की दृष्टि: महात्मा गांधी: गांधीजी ने शिक्षा को आत्मनिर्भरता और चरित्र निर्माण के माध्यम के रूप में देखा। उन्होंने "नैतिक शिक्षा" पर जोर दिया और "नाथूराम विद्यालय" जैसे विद्यालयों में स्वदेशीRead more
महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) की शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति सोच में महत्वपूर्ण अंतर था:
इन दृष्टिकोणों ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को विविधतापूर्ण रूप से प्रभावित किया।
See lessअपने समय के प्रख्यात अर्थशास्त्रियों में से एक के रूप में, दादाभाई नौरोजी ने व्यवस्थित रूप से आर्थिक त्रुटियों पर विचार किया और भारतीयों की आर्थिक दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कारकों का विल्लेषण किया। सविस्तार वर्णन कीजिए। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
दादाभाई नौरोजी एक प्रमुख भारतीय अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने आर्थिक विकास और दुर्दशा के मुद्दों पर गहरा ध्यान दिया। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए उदार विचार प्रस्तुत किए, विशेषकर उद्योगों को प्रोत्साहित किया और देश के आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उपाय सुझाए। नौरोजी ने आर्थिक त्रुटियोRead more
दादाभाई नौरोजी एक प्रमुख भारतीय अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने आर्थिक विकास और दुर्दशा के मुद्दों पर गहरा ध्यान दिया। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए उदार विचार प्रस्तुत किए, विशेषकर उद्योगों को प्रोत्साहित किया और देश के आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उपाय सुझाए। नौरोजी ने आर्थिक त्रुटियों का परिचय देते हुए उनके मुख्य कारकों पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने भारतीयों की आर्थिक दुर्दशा के लिए समाज, सरकारी नीतियां, और अर्थव्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया और सुधार के लिए सुझाव दिए। नौरोजी के विचारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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