भगत सिंह द्वारा प्रतिपादित ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ पर प्रकाश डालिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) की शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति सोच में महत्वपूर्ण अंतर था: शिक्षा की दृष्टि: महात्मा गांधी: गांधीजी ने शिक्षा को आत्मनिर्भरता और चरित्र निर्माण के माध्यम के रूप में देखा। उन्होंने "नैतिक शिक्षा" पर जोर दिया और "नाथूराम विद्यालय" जैसे विद्यालयों में स्वदेशीRead more
महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ ठाकुर (टैगोर) की शिक्षा और राष्ट्रवाद के प्रति सोच में महत्वपूर्ण अंतर था:
- शिक्षा की दृष्टि:
- महात्मा गांधी: गांधीजी ने शिक्षा को आत्मनिर्भरता और चरित्र निर्माण के माध्यम के रूप में देखा। उन्होंने “नैतिक शिक्षा” पर जोर दिया और “नाथूराम विद्यालय” जैसे विद्यालयों में स्वदेशी पद्धतियों पर आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित किया। उनकी शिक्षा प्रणाली में ग्रामीण विकास और स्वदेशी तकनीकों का समावेश था।
- रवींद्रनाथ टैगोर: टैगोर ने शिक्षा को “स्वतंत्रता और सृजनात्मकता” का माध्यम माना। उन्होंने “शांति निकेतन” जैसे स्कूलों की स्थापना की, जहाँ वैश्विक दृष्टिकोण, कला, और संस्कृति को प्रमुखता दी गई। उनकी शिक्षा प्रणाली में पारंपरिक भारतीय ज्ञान के साथ पश्चिमी ज्ञान का था।
- राष्ट्रवाद की दृष्टि:
- महात्मा गांधी: गांधीजी ने “सत्याग्रह” और “अहिंसा” के माध्यम से राष्ट्रवादी आंदोलन को प्रोत्साहित किया। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ जन आंदोलन और स्वराज की ओर ध्यान केंद्रित किया।
- रवींद्रनाथ टैगोर: टैगोर ने “राष्ट्रवाद” को एक “सांस्कृतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण” से देखा। उन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण के माध्यम से स्वतंत्रता का समर्थन किया और अति-राष्ट्रवाद के खिलाफ चेतावनी दी।
इन दृष्टिकोणों ने भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को विविधतापूर्ण रूप से प्रभावित किया।
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भगत सिंह का 'क्रान्तिकारी दर्शन' भगत सिंह भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उनका 'क्रान्तिकारी दर्शन' मार्क्सवाद, समाजवाद और साम्राज्यवाद-विरोधी विचारों से प्रभावित था। इसके कुछ प्रमुख पहलु हैं: साम्राज्यवाद-विरोध और राष्ट्रवाद: भगत सिंह ब्रिटिशRead more
भगत सिंह का ‘क्रान्तिकारी दर्शन’
भगत सिंह भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उनका ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ मार्क्सवाद, समाजवाद और साम्राज्यवाद-विरोधी विचारों से प्रभावित था। इसके कुछ प्रमुख पहलु हैं:
भगत सिंह के आदर्शों को दर्शाने वाले हालिया उदाहरण:
संक्षेप में, भगत सिंह का ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ भारत में सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए चलने वाले चल रहे संघर्ष को प्रेरित और मार्गदर्शित करता है। उनका साम्राज्यवाद-विरोध, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता आज भी प्रासंगिक है।
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