वर्तमान समय में महात्मा गाँधी के विचारों के महत्व पर प्रकाश डालिए। (150 words) [UPSC 2018]
महात्मा गाँधी और भारतीय राजनीति में मध्यम मार्गी दृष्टिकोण मध्यम मार्ग की अवधारणा: महात्मा गाँधी का मध्यम मार्गी दृष्टिकोण भारतीय राजनीति में अतिवादी विचारधाराओं और प्रतिक्रियात्मक उपायों के बीच संतुलन बनाने पर आधारित था। अहिंसा और सत्याग्रह: गाँधी ने सत्याग्रह (अहिंसात्मक प्रतिरोध) को अपनाया, जो आकRead more
महात्मा गाँधी और भारतीय राजनीति में मध्यम मार्गी दृष्टिकोण
मध्यम मार्ग की अवधारणा: महात्मा गाँधी का मध्यम मार्गी दृष्टिकोण भारतीय राजनीति में अतिवादी विचारधाराओं और प्रतिक्रियात्मक उपायों के बीच संतुलन बनाने पर आधारित था।
अहिंसा और सत्याग्रह: गाँधी ने सत्याग्रह (अहिंसात्मक प्रतिरोध) को अपनाया, जो आक्रामक संघर्ष और निष्क्रिय स्वीकृति के बीच का एक संतुलित रास्ता था। दांडी मार्च (1930) इसका प्रमुख उदाहरण है, जहाँ उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध के माध्यम से ब्रिटिश नीतियों का विरोध किया।
आर्थिक और सामाजिक संतुलन: गाँधी ने खादी और स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया, जो आर्थिक प्रगति और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन स्थापित करता है।
हाल के उदाहरण: गाँधी का मध्यम मार्गी दृष्टिकोण आज भी स्वच्छ भारत अभियान जैसी नीतियों में देखा जा सकता है, जो पारंपरिक प्रथाओं को बिना बाधित किए स्वच्छता और विकास को बढ़ावा देता है।
गाँधी का दृष्टिकोण भारतीय राजनीति में संतुलन और सामंजस्य के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बना हुआ है।
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वर्तमान समय में महात्मा गांधी के विचारों के महत्व 1. नैतिक नेतृत्व: महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा (सत्याग्रह) पर जोर आज के राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है। 'मी टू' आंदोलन जैसे वैश्विक आंदोलनों में सत्य और न्याय की मांग ने गांधी के सिद्धांतों को पुनर्जीवित किया है। 2. पर्यRead more
वर्तमान समय में महात्मा गांधी के विचारों के महत्व
1. नैतिक नेतृत्व: महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा (सत्याग्रह) पर जोर आज के राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत महत्वपूर्ण है। ‘मी टू’ आंदोलन जैसे वैश्विक आंदोलनों में सत्य और न्याय की मांग ने गांधी के सिद्धांतों को पुनर्जीवित किया है।
2. पर्यावरणीय स्थिरता: गांधी का साधारण जीवन और आत्मनिर्भरता का सिद्धांत वर्तमान पर्यावरणीय समस्याओं के संदर्भ में प्रासंगिक है। स्थानीय खाद्य आंदोलन और जिरो-वेस्ट जीवनशैली जैसी पहल गांधी के स्वदेशी विचारों को दर्शाती हैं।
3. सामाजिक न्याय: गांधी का सामाजिक असमानताओं और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष आज के सामाजिक आंदोलनों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। एससी/एसटी अधिकार और लिंग समानता के लिए जारी संघर्ष उनके सिद्धांतों का अनुकरण करते हैं।
4. शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण: गांधी का समग्र शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण आज के शैक्षिक सुधारों में परिलक्षित होता है। हाल के सुधारों में मूल्य आधारित शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जो गांधी के आदर्शों के साथ मेल खाता है।
सारांश में, गांधी के सिद्धांत आज की नैतिक प्रथाओं, पर्यावरणीय स्थिरता, सामाजिक न्याय और शिक्षा सुधारों में प्रासंगिक हैं।
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