भगत सिंह द्वारा प्रतिपादित ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ पर प्रकाश डालिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
अंग्रेज़ किस कारण भारत से करारबद्ध श्रमिक अन्य उपनिवेशों में ले गए थे? 1. श्रमिकों की कमी: ब्रिटिश उपनिवेशों में, विशेषकर चीनी बागानों और खनन उद्योगों में श्रमिकों की कमी थी। इसे पूरा करने के लिए, अंग्रेज़ों ने भारत से करारबद्ध श्रमिक लाने का निर्णय लिया। इससे उपनिवेशों में आवश्यक श्रम की कमी को पूरRead more
अंग्रेज़ किस कारण भारत से करारबद्ध श्रमिक अन्य उपनिवेशों में ले गए थे?
1. श्रमिकों की कमी: ब्रिटिश उपनिवेशों में, विशेषकर चीनी बागानों और खनन उद्योगों में श्रमिकों की कमी थी। इसे पूरा करने के लिए, अंग्रेज़ों ने भारत से करारबद्ध श्रमिक लाने का निर्णय लिया। इससे उपनिवेशों में आवश्यक श्रम की कमी को पूरा किया जा सका।
2. आर्थिक लाभ: करारबद्ध श्रमिकों का उपयोग सस्ते श्रम के रूप में किया गया। भारत से लाए गए श्रमिकों को कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए अनुबंधित किया गया, जिससे उपनिवेशों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक साबित हुआ।
3. पहले से मौजूद व्यापारिक मार्ग: ब्रिटिशों ने भारत से अन्य उपनिवेशों में श्रमिकों को लाने के लिए पहले से स्थापित व्यापारिक मार्ग और प्रवासन नेटवर्क का उपयोग किया, जिससे प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सस्ता बनाया गया।
सांस्कृतिक पहचान की परिरक्षा
1. सांस्कृतिक संरक्षित करना: कठिन परिस्थितियों के बावजूद, कई करारबद्ध श्रमिक अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में सफल रहे। उदाहरण के लिए, त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय त्योहार जैसे दीवाली और होली आज भी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
2. सांस्कृतिक अनुकूलन: समय के साथ, भारतीय समुदाय ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अपनी सांस्कृतिक पहचान को अनुकूलित किया। फिजी में भारतीय परंपराओं का स्थानीय रीति-रिवाजों के साथ मिश्रण देखने को मिलता है, जैसे नृत्य और संगीत में भारतीय प्रभाव।
3. चुनौतियाँ: सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में चुनौतियाँ भी आईं। समेकन का दबाव और संस्कृतिक विरूपण भी हुआ। उदाहरण के लिए, दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदायों को स्थानीय समाज के साथ समेकित होते समय अपनी सांस्कृतिक प्रथाओं को बनाए रखने में कठिनाई का सामना करना पड़ा।
हाल के उदाहरण: कैरेबियाई देशों और फिजी में हाल की सांस्कृतिक गतिविधियाँ और अध्ययन इस बात को दर्शाते हैं कि करारबद्ध श्रमिकों की सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, बावजूद इसके कि उन्होंने ऐतिहासिक चुनौतियों का सामना किया है।
निष्कर्ष: ब्रिटिशों ने भारत से करारबद्ध श्रमिकों का उपयोग आर्थिक लाभ के लिए किया, जबकि श्रमिकों ने अपने सांस्कृतिक पहचान को विभिन्न उपनिवेशों में संजोने और अनुकूलित करने में सफलता प्राप्त की।
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भगत सिंह का 'क्रान्तिकारी दर्शन' भगत सिंह भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उनका 'क्रान्तिकारी दर्शन' मार्क्सवाद, समाजवाद और साम्राज्यवाद-विरोधी विचारों से प्रभावित था। इसके कुछ प्रमुख पहलु हैं: साम्राज्यवाद-विरोध और राष्ट्रवाद: भगत सिंह ब्रिटिशRead more
भगत सिंह का ‘क्रान्तिकारी दर्शन’
भगत सिंह भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उनका ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ मार्क्सवाद, समाजवाद और साम्राज्यवाद-विरोधी विचारों से प्रभावित था। इसके कुछ प्रमुख पहलु हैं:
भगत सिंह के आदर्शों को दर्शाने वाले हालिया उदाहरण:
संक्षेप में, भगत सिंह का ‘क्रान्तिकारी दर्शन’ भारत में सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए चलने वाले चल रहे संघर्ष को प्रेरित और मार्गदर्शित करता है। उनका साम्राज्यवाद-विरोध, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता आज भी प्रासंगिक है।
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