ग्लोबल साउथ द्वारा सामना की जाने वाली नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती देने में भारत द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
AUKUS (Australia, United Kingdom, United States) त्रि-राष्ट्र साझेदारी का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक महत्त्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना है। यह समझौता विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों से लैस करने पर केंद्रित है, जो इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन कRead more
AUKUS (Australia, United Kingdom, United States) त्रि-राष्ट्र साझेदारी का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक महत्त्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना है। यह समझौता विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों से लैस करने पर केंद्रित है, जो इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बदलने का प्रयास है।
AUKUS का गठन क्वाड (Quadrilateral Security Dialogue) जैसी मौजूदा साझेदारियों का स्थान लेने के लिए नहीं, बल्कि इन्हें सुदृढ़ करने के लिए किया गया है। AUKUS और क्वाड दोनों ही चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र और उद्देश्य अलग-अलग हैं। जहां AUKUS मुख्य रूप से रक्षा और सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है, वहीं क्वाड का ध्यान व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और समुद्री सुरक्षा पर है।
वर्तमान परिदृश्य में, AUKUS ने इंडो-पैसिफिक में सैन्य शक्ति के संतुलन को प्रभावित किया है। ऑस्ट्रेलिया के लिए परमाणु-संचालित पनडुब्बियों की आपूर्ति क्षेत्र में चीन के नौसैनिक प्रभाव का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण हो सकती है। इसके अलावा, AUKUS ने क्षेत्र में अन्य देशों को भी अपनी रक्षा रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि, यह साझेदारी क्षेत्र में केवल तीन देशों तक सीमित है, जिससे इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ सकते हैं, विशेष रूप से चीन के प्रभाव को सीमित करने के लिए एक व्यापक क्षेत्रीय गठबंधन की आवश्यकता हो सकती है।
AUKUS की शक्ति और प्रभाव को उसकी सफलताओं, जैसे परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती, और क्षेत्रीय देशों के साथ सामरिक सहयोग में बढ़ोतरी के माध्यम से मापा जाएगा।
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ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों का समूह) की नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है: नीति निर्माण में नेतृत्व: भारत ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भूमिका निभा सकता है, जैसे कि ब्रिक्स, जी-77, और संयुक्त राष्ट्र। भारत के नेतृत्Read more
ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों का समूह) की नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:
इस प्रकार, भारत ग्लोबल साउथ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए वैश्विक स्तर पर समान विकास और सहयोग को प्रोत्साहित कर सकता है।
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