Home/अंतरराष्ट्रीय संबंध/क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते
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"यदि विगत कुछ दशक एशिया के विकास की कहानी के रहे, तो परवर्ती कुछ दशक अफ्रीका के हो सकते हैं।" इस कथन के आलोक में, हाल के वर्षों में अफ्रीका में भारत के प्रभाव का परीक्षण कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
भारत का प्रभाव: अफ्रीका में परिचय: "अफ्रीका के विकास की कहानी" के मामले में, भारत ने हाल के वर्षों में अफ्रीका में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। व्यापार और निवेश: भारतीय कंपनियों ने अफ्रीका में व्यापार और निवेश में बड़ी संख्या में हिस्सा लिया है। उदाहरण के रूप में, Bharti Airtel जैसी कंपनियाँ अफ्रीRead more
भारत का प्रभाव: अफ्रीका में
परिचय:
“अफ्रीका के विकास की कहानी” के मामले में, भारत ने हाल के वर्षों में अफ्रीका में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
व्यापार और निवेश:
भारतीय कंपनियों ने अफ्रीका में व्यापार और निवेश में बड़ी संख्या में हिस्सा लिया है। उदाहरण के रूप में, Bharti Airtel जैसी कंपनियाँ अफ्रीका में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रही हैं।
विकास सहायता:
भारत ने अफ्रीकी देशों को विकास सहायता में भी मदद पहुंचाई है। उदाहरण के लिए, India Africa Forum Summit ने भारत और अफ्रीका के बीच साझेदारी को मजबूती दी है।
कृषि और प्रौद्योगिकी:
भारतीय कृषि और प्रौद्योगिकी के अनुभव ने अफ्रीकी देशों को फायदा पहुंचाया है। खाद्य सुरक्षा और कृषि तकनीक के क्षेत्र में भारतीय अनुभव ने उन्हें सहायक साबित हुआ है।
निष्कर्ष:
See lessइस प्रकार, भारत का अफ्रीका में उभरता प्रभाव विकास की कहानी को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और दिखा रहा है कि भारत अफ्रीका के विकास में एक महत्वपूर्ण साझेदार है।
अब्राहम समझौता पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नयी शुरुआत हैं। व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
अब्राहम समझौते: पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नई शुरुआत 1. पृष्ठभूमि और महत्व (Background and Significance): अब्राहम समझौते: अब्राहम समझौते 2020 में इज़राइल और कई अरब देशों, जैसे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बहरीन के बीच किए गए सामान्यीकरण समझौतों की श्रृंखला हैं। ये समझौते पश्चिम एशिया के भू-राजनीतRead more
अब्राहम समझौते: पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नई शुरुआत
1. पृष्ठभूमि और महत्व (Background and Significance):
2. क्षेत्रीय संबंधों पर प्रभाव (Impact on Regional Relations):
3. सामरिक पुनर्व्यवस्थाएं (Strategic Realignments):
4. इज़राइल-फिलीस्तीनी संघर्ष पर प्रभाव (Impact on the Israeli-Palestinian Conflict):
5. वैश्विक प्रभाव (Broader Global Implications):
निष्कर्ष: अब्राहम समझौते पश्चिम एशिया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो इज़राइल और कई अरब देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देते हैं। ये समझौते व्यावहारिक क्षेत्रीय सहयोग और सामरिक पुनर्व्यवस्थाओं की ओर एक बदलाव का संकेत देते हैं, हालांकि इज़राइल-फिलीस्तीनी संघर्ष से संबंधित चुनौतियां अभी भी जारी हैं। इन समझौतों ने पारंपरिक गठबंधनों को फिर से परिभाषित किया है और क्षेत्रीय राजनीति में नई भू-राजनीतिक गतिशीलता की शुरुआत की है।
See lessआर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
आर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण 1. संरचना (Structure): स्थापना: आर्कटिक परिषद की स्थापना 1996 में ओटावा घोषणा के माध्यम से हुई थी। इसका उद्देश्य आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना है। सदस्य: परिषद में आठ सदस्य राज्य शामिल हैं: कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस, स्वीRead more
आर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण
1. संरचना (Structure):
2. कार्य (Functions):
3. कार्यकारी समूह (Working Groups):
4. अध्यक्षता और बैठकें (Chairmanship and Meetings):
5. चुनौतियाँ और आलोचनाएँ (Challenges and Criticisms):
निष्कर्ष: आर्कटिक परिषद आर्कटिक राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय मुद्दों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी संरचना, जिसमें सदस्य राज्यों और स्वदेशी समूहों दोनों का प्रतिनिधित्व शामिल है, व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव और विभिन्न राष्ट्रीय हित परिषद की प्रभावशीलता के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं।
See lessचतुर्भुज सुरक्षा संवाद' (क्वाड) के बारे में आप क्या जानते हैं? क्या मालाबार सैन्य अभ्यास विश्व राजनीति में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में सफल होगा? (200 Words) [UPPSC 2020]
चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) परिभाषा: चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) एक अप्रत्याशित रणनीतिक मंच है जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसकी स्थापना 2007 में की गई थी, और इसका उद्देश्य आशियान-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग और सामरिक सहयोग को बढ़ावा देना है। हाल कीRead more
चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD)
परिभाषा: चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) एक अप्रत्याशित रणनीतिक मंच है जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसकी स्थापना 2007 में की गई थी, और इसका उद्देश्य आशियान-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग और सामरिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
हाल की गतिविधियाँ: QUAD ने हाल ही में 2021 में अपनी पहली वर्चुअल समिट आयोजित की, जिसमें मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा पर जोर दिया गया। सामरिक साझेदारी और मारिटाइम सुरक्षा पर इसके ध्यान ने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता को बढ़ाया है।
मालाबार सैन्य अभ्यास और चीन के प्रभाव पर इसका प्रभाव:
1. अभ्यास का उद्देश्य: मालाबार सैन्य अभ्यास एक त्रैतीयक समुद्री अभ्यास है जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, और जापान शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया के जुड़ने से यह अभ्यास और भी प्रभावी हो गया है। इसका मुख्य उद्देश्य नौसैनिक सहयोग और संयुक्त कार्यकुशलता को बढ़ाना है।
2. चीन पर प्रभाव: मालाबार अभ्यास, चीन की बढ़ती ताकत और विवादित क्षेत्रीय दावों के खिलाफ एक सामूहिक रणनीतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा है। हालांकि, यह अभ्यास चीन के वैश्विक प्रभाव को सीधे तौर पर रोकने में सफल नहीं हो सकता, परंतु यह सुरक्षा सहयोग और सैन्य दबाव के माध्यम से सामरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
निष्कर्ष: QUAD और मालाबार अभ्यास चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतिरोध करने के लिए एक सामूहिक प्रयास हैं, परंतु उनके प्रभावी परिणाम दीर्घकालिक रणनीतिक संतुलन और गठबंधन की मजबूती पर निर्भर करेंगे।
See lessभारत-अमरीका "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" पर टिप्पणी कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारत-अमरीका "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" पर टिप्पणी 1. "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" का परिचय: "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" एक द्विपक्षीय बातचीत है जिसमें भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश मंत्रालयों के मंत्री शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूती प्रदानRead more
भारत-अमरीका “2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” पर टिप्पणी
1. “2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” का परिचय:
“2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” एक द्विपक्षीय बातचीत है जिसमें भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश मंत्रालयों के मंत्री शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूती प्रदान करना है।
2. महत्वपूर्ण निर्णय और प्रभाव:
3. हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष:
See less“2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश नीति में स्ट्रैटेजिक साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और भूराजनीतिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत ने हाल ही में "नव विकास बैंक" (NDB) और साथ ही "एशियाई आधारिक संरचना निवेश बैंक" (AIIB) के संस्थापक सदस्य बनने के लिये हस्ताक्षर किये हैं। इन दो बैंकों की भूमिकाएं एक दूसरे से किस प्रकार भिन्न होंगी ? भारत के लिये इन दो बैंकों के रणनीतिक महत्व पर चर्चा कीजिये । (200 words) [UPSC 2014]
NDB और AIIB की भूमिकाओं में अंतर: नव विकास बैंक (NDB): NDB की स्थापना BRICS देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इसका ध्यानRead more
NDB और AIIB की भूमिकाओं में अंतर:
भारत के लिये रणनीतिक महत्व:
निष्कर्ष: NDB और AIIB की भूमिकाएँ भिन्न हैं, जहाँ NDB का ध्यान वैश्विक सतत विकास पर है, वहीं AIIB एशियाई बुनियादी ढांचे पर केंद्रित है। भारत के लिए, ये बैंक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाते हैं, और घरेलू आर्थिक विकास का समर्थन करते हैं।
See lessसूचना प्रौद्योगिकी समझौतों (ITA) का उद्देश्य हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों पर सभी करों और प्रशुल्कों को कम करके शून्य पर लाना है। ऐसे समझौतों का भारत के हितों पर क्या प्रभाव होगा ? (200 words) [UPSC 2014]
परिचय सूचना प्रौद्योगिकी समझौतों (ITA) का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों पर सभी करों और प्रशुल्कों को शून्य पर लाना है, जिससे व्यापार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिले। भारत के लिए, जो कि IT क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है, इन समझौतों के कई महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं। सकारात्मक प्रभाव बाजारRead more
परिचय
सूचना प्रौद्योगिकी समझौतों (ITA) का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों पर सभी करों और प्रशुल्कों को शून्य पर लाना है, जिससे व्यापार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिले। भारत के लिए, जो कि IT क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है, इन समझौतों के कई महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं।
सकारात्मक प्रभाव
चुनौतियाँ
निष्कर्ष
ITA समझौतों से भारत के IT क्षेत्र को महत्वपूर्ण लाभ हो सकते हैं, लेकिन इनसे जुड़े संभावित जोखिमों को संतुलित करने के लिए रणनीतिक नीतिगत उपायों की आवश्यकता होगी।
See less“भारत में बढ़ते हुए सीमापारीय आतंकी हमले और अनेक सदस्य राज्यों के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान द्वारा बढ़ता हुआ हस्तक्षेप सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के भविष्य के लिए सहायक नहीं हैं।" उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए । (200 words) [UPSC 2016]
भारत में सीमापारीय आतंकी हमलों और पाकिस्तान के हस्तक्षेप का सार्क के भविष्य पर प्रभाव परिचय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का उद्देश्य दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग और विकास को बढ़ावा देना है। हालांकि, भारत में बढ़ते सीमापारीय आतंकी हमले और पाकिस्तान द्वारा सदस्य देशों के आंतरिक मामलRead more
भारत में सीमापारीय आतंकी हमलों और पाकिस्तान के हस्तक्षेप का सार्क के भविष्य पर प्रभाव
परिचय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का उद्देश्य दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग और विकास को बढ़ावा देना है। हालांकि, भारत में बढ़ते सीमापारीय आतंकी हमले और पाकिस्तान द्वारा सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ने सार्क की प्रभावशीलता को प्रभावित किया है।
सीमापारीय आतंकी हमले
पाकिस्तान का आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप
सार्क पर प्रभाव
निष्कर्ष भारत में बढ़ते सीमापारीय आतंकी हमले और पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ने सार्क के भविष्य के लिए गंभीर चुनौतियाँ पेश की हैं। इन समस्याओं ने क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा को प्रभावित किया है, जिससे सार्क की प्रभावशीलता और विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधाएँ उत्पन्न हुई हैं।
See lessचीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के बारे में बढ़ती आशंकाओं के बीच, चर्चा कीजिए कि क्या G7 का बिल्ड बैंक बेटर वर्ल्ड (B3W) और यूरोपीय संघ का ग्लोबल गेटवे वैश्विक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक विकल्प प्रदान कर सकता है। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) ने वैश्विक बुनियादी ढांचे के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इसके साथ-साथ कई आशंकाएँ भी उत्पन्न हुई हैं, जैसे कि ऋण जाल, पारदर्शिता की कमी, और क्षेत्रीय प्रभुत्व की संभावना। इन चिंताओं के जवाब में, G7 का बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) और यूरोपीय संघ कRead more
चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) ने वैश्विक बुनियादी ढांचे के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इसके साथ-साथ कई आशंकाएँ भी उत्पन्न हुई हैं, जैसे कि ऋण जाल, पारदर्शिता की कमी, और क्षेत्रीय प्रभुत्व की संभावना। इन चिंताओं के जवाब में, G7 का बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) और यूरोपीय संघ का ग्लोबल गेटवे जैसी पहलकदमियाँ वैश्विक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वैकल्पिक रास्ते प्रदान करने का प्रयास कर रही हैं।
B3W का दृष्टिकोण: G7 देशों ने B3W पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को उच्च गुणवत्ता वाले, पारदर्शी, और टिकाऊ बुनियादी ढांचे के लिए निवेश उपलब्ध कराना है। यह पहल तीन मुख्य स्तंभों पर केंद्रित है: डिजिटल, जलवायु और ऊर्जा, और स्वास्थ्य। B3W का लक्ष्य है कि यह BRI के समकक्ष एक विकल्प प्रस्तुत करें जो कि गुणवत्ता, स्थिरता और पारदर्शिता पर जोर देता है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रभावी और समावेशी विकास को बढ़ावा देना है, साथ ही साथ विकासशील देशों को ऐसे निवेश की सुविधा प्रदान करना है जो उन्हें वित्तीय और पर्यावरणीय दबावों से बचाए।
ग्लोबल गेटवे की रणनीति: यूरोपीय संघ का ग्लोबल गेटवे भी B3W के समान सिद्धांतों पर आधारित है। यह पहल 300 बिलियन यूरो के निवेश के साथ, 2030 तक विश्व भर में बुनियादी ढांचे के विकास को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखती है। ग्लोबल गेटवे मुख्य रूप से डिजिटल कनेक्टिविटी, स्थायी परिवहन, और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उपायों पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य यूरोपीय संघ के साझेदार देशों के साथ मिलकर, विश्वसनीय, पारदर्शी, और टिकाऊ बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को लागू करना है।
विकल्प के रूप में भूमिका: B3W और ग्लोबल गेटवे, दोनों ही चीन की BRI का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। ये पहलकदमियाँ न केवल विकासशील देशों को एक स्थायी और पारदर्शी निवेश विकल्प प्रदान करती हैं, बल्कि वे वैश्विक बुनियादी ढांचे के विकास में एक सकारात्मक और संतुलित प्रतिस्पर्धा को भी प्रोत्साहित करती हैं। इसके अलावा, ये पहलें उच्च गुणवत्ता और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से मजबूत परियोजनाओं को प्राथमिकता देती हैं, जो कि BRI की आलोचनाओं का सामना करती हैं।
निष्कर्ष: G7 का B3W और यूरोपीय संघ का ग्लोबल गेटवे, वैश्विक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक प्रभावी विकल्प प्रदान कर सकते हैं। ये पहलें पारदर्शिता, गुणवत्ता, और स्थिरता पर जोर देती हैं, और वे वैश्विक स्तर पर समावेशी और टिकाऊ विकास को प्रोत्साहित करती हैं। जबकि BRI ने वैश्विक बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इन नए विकल्पों के माध्यम से विकासशील देशों को एक बेहतर और अधिक संतुलित विकास मार्ग मिल सकता है।
See lessऐसे तर्क दिए गए हैं कि पुरानी वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था बढ़ती चुनौतियों का प्रबंधन करने में विफल रही है, जबकि मुद्दे- आधारित गठबंधन लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं और कार्यात्मक सहयोग के क्षेत्र बन गए हैं। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, पुरानी वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था—जैसे कि संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन—बढ़ती चुनौतियों के प्रबंधन में विफल रही है। इसके विपरीत, मुद्दे-आधारित गठबंधन और कार्यात्मक सहयोग के क्षेत्र लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं। यह बदलाव वैश्विक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधोंRead more
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, पुरानी वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था—जैसे कि संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन—बढ़ती चुनौतियों के प्रबंधन में विफल रही है। इसके विपरीत, मुद्दे-आधारित गठबंधन और कार्यात्मक सहयोग के क्षेत्र लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं। यह बदलाव वैश्विक राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए महत्वपूर्ण संकेतक हैं।
पुरानी बहुपक्षीय व्यवस्था की चुनौतियाँ: पारंपरिक बहुपक्षीय संस्थाएँ अक्सर जटिल निर्णय प्रक्रिया, सदस्य देशों के विविध हितों, और प्रबंधकीय अक्षमताओं के कारण प्रभावी कार्रवाई में असफल होती हैं। उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य संकट, और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दों पर पुरानी संस्थाओं की प्रतिक्रिया अक्सर धीमी और असंगठित रही है। निर्णय प्रक्रिया में असहमति और सुधार के लिए आवश्यक समर्थन की कमी ने इन संस्थाओं की कार्यक्षमता को सीमित किया है।
मुद्दे-आधारित गठबंधन: इसके विपरीत, मुद्दे-आधारित गठबंधन जैसे कि जी-20, पेरिस जलवायु समझौता, और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी गठबंधन ने विशेष मुद्दों पर लक्षित और प्रभावी कार्रवाई की है। ये गठबंधन सामान्य हितों और लक्ष्यों पर आधारित होते हैं, जिससे निर्णय प्रक्रिया तेज और अधिक प्रभावी होती है। उदाहरण के लिए, पेरिस जलवायु समझौते ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्पष्ट और सुसंगत लक्ष्यों को स्थापित किया और विभिन्न देशों को एक साझा एजेंडा के तहत संगठित किया।
कार्यात्मक सहयोग: कार्यात्मक सहयोग के क्षेत्र जैसे कि स्वास्थ्य, विज्ञान, और ऊर्जा में भी तेजी से वृद्धि देखी गई है। ये क्षेत्र विशिष्ट समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित करते हैं और तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम होते हैं। महामारी के दौरान, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बजाय, देशों ने बायोटेक कंपनियों और वैश्विक स्वास्थ्य नेटवर्क्स के साथ मिलकर त्वरित समाधान खोजे।
निष्कर्ष: पुरानी वैश्विक बहुपक्षीय व्यवस्था की सीमाओं और चुनौतियों ने मुद्दे-आधारित गठबंधनों और कार्यात्मक सहयोग के क्षेत्र को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है। यह नया परिदृश्य दर्शाता है कि विशिष्ट समस्याओं पर लक्षित और लचीले दृष्टिकोण वैश्विक समस्याओं के समाधान में अधिक प्रभावी हो सकते हैं। यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नई दिशा और रणनीतियों की आवश्यकता को स्पष्ट करता है, जिसमें अधिक लचीलापन और प्राथमिकता आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया शामिल है।
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