‘चतुर्भुजीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) वर्तमान समय में स्वयं को सैनिक गठबंधन से एक व्यापारिक गुट में रूपान्तरित कर रहा है विवेचना कीजिये ।(250 words) [UPSC 2020]
भारत की भूमिका: एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष का विषाणु "संघर्षों के समाधान में सहयोग": भारत ने एस.सी.ओ. (शंघाई सहयोग संगठन) के भीतर संघर्षों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने सदस्य देशों के बीच तनाव कम करने और सहयोग बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि क्षेत्रीय वार्ता और बहुपरकारीतRead more
भारत की भूमिका: एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष का विषाणु
- “संघर्षों के समाधान में सहयोग”: भारत ने एस.सी.ओ. (शंघाई सहयोग संगठन) के भीतर संघर्षों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने सदस्य देशों के बीच तनाव कम करने और सहयोग बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि क्षेत्रीय वार्ता और बहुपरकारीताएँ।
- “आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा”: भारत ने एस.सी.ओ. के भीतर आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है। इससे सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास और संबंध सुधारने में मदद मिली है। भारत की विभिन्न पहल, जैसे कि इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी, इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
- “सहकारी मंच पर केंद्रित प्रयास”: भारत ने एस.सी.ओ. के भीतर आपसी सहयोग और संवाद को बढ़ावा देने के लिए कई मंचों का आयोजन किया है। इससे सदस्य देशों के बीच संघर्षों को कम करने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष: भारत की इन पहलों और भूमिकाओं ने एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष के विषाणु को कम करने में सहायक भूमिका निभाई है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान होता है।
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चतुर्भुजीय सुरक्षा संवाद (क्वाड), जिसमें अमेरिका, भारत, जापान, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, प्रारंभ में एक सैन्य गठबंधन के रूप में विचारित किया गया था। लेकिन हाल के वर्षों में, यह समूह स्वयं को एक अधिक व्यापारिक और सामरिक गुट में रूपांतरित करता प्रतीत हो रहा है। इस रूपांतरण की विवेचना निम्नलिखित बिंदुओRead more
चतुर्भुजीय सुरक्षा संवाद (क्वाड), जिसमें अमेरिका, भारत, जापान, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, प्रारंभ में एक सैन्य गठबंधन के रूप में विचारित किया गया था। लेकिन हाल के वर्षों में, यह समूह स्वयं को एक अधिक व्यापारिक और सामरिक गुट में रूपांतरित करता प्रतीत हो रहा है। इस रूपांतरण की विवेचना निम्नलिखित बिंदुओं पर की जा सकती है:
1. सामरिक सहयोग से व्यापारिक पहल की ओर:
सामरिक सहयोग: प्रारंभ में, क्वाड का गठन मुख्य रूप से चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ एक सामरिक गठबंधन के रूप में हुआ था। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करना था, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास और सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग शामिल था।
व्यापारिक पहल: हाल के वर्षों में, क्वाड ने व्यापारिक और आर्थिक सहयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है। 2021 में, समूह ने “क्वाड वैक्सीन डिप्लोमेसी” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य COVID-19 वैक्सीनेशन की आपूर्ति और वितरण में मदद करना था। इसके अलावा, क्वाड ने “सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर” और “टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप” पर भी जोर दिया है।
2. सामरिक और आर्थिक लाभ:
सामरिक लाभ: क्वाड का सामरिक पहलू अब भी महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका प्राथमिक ध्यान क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्थिरता के साथ-साथ व्यापारिक हितों पर भी केंद्रित है। यह अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक अवसर प्रदान करता है कि वे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने आर्थिक और सामरिक प्रभाव को बढ़ा सकें।
आर्थिक लाभ: व्यापारिक गुट के रूप में क्वाड ने “इकोनॉमिक रिसिलिएंस” और “विपणन और आपूर्ति श्रृंखला” को मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं। इसने चीन पर निर्भरता को कम करने के प्रयास किए हैं और क्षेत्रीय व्यापारिक नेटवर्क को सशक्त किया है।
3. सदस्य देशों के दृष्टिकोण:
भारत: भारत ने क्वाड को एक व्यापक रणनीतिक और आर्थिक मंच के रूप में देखा है। यह भारत के लिए व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने का एक माध्यम है।
जापान और ऑस्ट्रेलिया: जापान और ऑस्ट्रेलिया भी व्यापारिक और आर्थिक पहल पर ध्यान दे रहे हैं, जिससे वे अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित रख सकें और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ा सकें।
निष्कर्ष:
See lessक्वाड का रूपांतरण एक सैन्य गठबंधन से एक व्यापारिक गुट में हो रहा है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को भी बढ़ावा देता है। इस बदलाव से समूह के सदस्य देशों को सामरिक स्थिरता के साथ-साथ आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहे हैं, जिससे वे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव को व्यापक रूप से सशक्त कर रहे हैं।