भारत एवं नेपाल के मध्य तनावपूर्ण संबंधों के पीछे चीनी कारक की भूमिका की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
भारत की उभरती वैश्विक भूमिका और उसकी दीर्घकालिक पहचान के बीच का संबंध एक जटिल और महत्वपूर्ण मुद्दा है। यहाँ पर विस्तार से इस मुद्दे की विवेचना की जा सकती है: 1. भारत की नव-भूमिका: हाल के वर्षों में, भारत ने वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आर्थिक वृद्धि, सामरिक शक्ति, और अंतर्राष्ट्रीयRead more
भारत की उभरती वैश्विक भूमिका और उसकी दीर्घकालिक पहचान के बीच का संबंध एक जटिल और महत्वपूर्ण मुद्दा है। यहाँ पर विस्तार से इस मुद्दे की विवेचना की जा सकती है:
1. भारत की नव-भूमिका:
हाल के वर्षों में, भारत ने वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आर्थिक वृद्धि, सामरिक शक्ति, और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सक्रियता के कारण भारत एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बन चुका है। भारत की नव-भूमिका ने उसे एक महत्वपूर्ण आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में स्थापित किया है, जिससे वह वैश्विक निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
2. उत्पीड़ित और उपेक्षित राष्ट्रों की पहचान:
विगत दशकों में, भारत ने उत्पीड़ित और उपेक्षित राष्ट्रों के अधिकारों की रक्षा और उनकी सहायता के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत ने वैश्विक दक्षिण (Global South) के प्रमुख देश के रूप में विकासशील देशों के मुद्दों को प्रोत्साहित किया और उनके हितों की रक्षा की। इस संदर्भ में, भारत ने दक्षिण-सुत्र सहयोग, विकास सहायता, और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उनकी आवाज उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
3. नव-भूमिका के प्रभाव:
भारत की नई वैश्विक भूमिका ने उसकी पुरानी पहचान को प्रभावित किया है। उसकी बढ़ती आर्थिक और सामरिक शक्ति ने उसे एक प्रमुख शक्ति बना दिया है, जिससे उसका ध्यान अब बड़े वैश्विक मुद्दों और भू-राजनीतिक खेलों पर केंद्रित हो गया है। इस प्रक्रिया में, उत्पीड़ित और उपेक्षित राष्ट्रों के प्रति भारत की पारंपरिक पहचान और भूमिका कम हो गई है।
4. संतुलन बनाए रखने की चुनौती:
भारत को अपनी वैश्विक भूमिका और पारंपरिक पहचान के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। वैश्विक शक्तियों के साथ रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक सहयोग के बावजूद, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह उत्पीड़ित और उपेक्षित राष्ट्रों के प्रति अपनी ऐतिहासिक प्रतिबद्धता को बनाए रखे।
5. आगे की दिशा:
भारत को अपने नव-भूमिका के साथ-साथ अपनी पारंपरिक पहचान को पुनर्जीवित करने के प्रयास करने होंगे। यह आवश्यक है कि भारत अपने विकासशील देशों के साथ सहयोग, सहायता और समर्थन की नीतियों को मजबूत करे और वैश्विक मंच पर उनके अधिकारों की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाए।
इस प्रकार, भारत की उभरती वैश्विक भूमिका ने उसके उत्पीड़ित और उपेक्षित राष्ट्रों के मुखिया के रूप में दीर्घकालिक पहचान को प्रभावित किया है, लेकिन इसे संतुलित करने और समग्र वैश्विक राजनीति में अपने ऐतिहासिक दृष्टिकोण को बनाए रखने की आवश्यकता है।
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भारत-नेपाल के तनावपूर्ण संबंधों में चीनी कारक की भूमिका 1. सीमा विवाद और चीनी प्रभाव (Boundary Disputes and Chinese Influence): चीनी अवसंरचना परियोजनाएँ: नेपाल में चीन की टिब्बत-नेपाल रेलवे जैसी परियोजनाएँ भारत के लिए चिंता का विषय हैं, क्योंकि ये परियोजनाएँ नेपाल की सामरिक स्थिति को प्रभावित करती हRead more
भारत-नेपाल के तनावपूर्ण संबंधों में चीनी कारक की भूमिका
1. सीमा विवाद और चीनी प्रभाव (Boundary Disputes and Chinese Influence):
2. स्ट्रैटेजिक गठबंधनों का विस्तार (Strategic Alliances):
3. भारत-नेपाल संबंधों पर प्रभाव (Impact on India-Nepal Relations):
निष्कर्ष: चीन के बढ़ते प्रभाव ने भारत-नेपाल संबंधों में तनाव को बढ़ावा दिया है, जो रणनीतिक गठबंधनों और सीमा विवादों को प्रभावित करता है।
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