संयुक्त राज्य अमेरिका एवं ईरान के मध्य हालिया तनाव के के क्या कारण हैं? इस तनाव का भारत के राष्ट्रीय हितों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? भारत को इस परिस्थिति से कैसे निपटना चाहिये? विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
भारत और यू.के. की न्यायिक व्यवस्थाओं में ऐतिहासिक रूप से गहरा संबंध रहा है, क्योंकि भारत की न्यायिक प्रणाली ब्रिटिश कानूनी परंपराओं पर आधारित है। हाल के समय में, दोनों देशों की न्यायिक प्रणालियों में अभिसरण (convergence) और अपसरण (divergence) दोनों देखे जा सकते हैं। अभिसरण: विधि की सर्वोच्चता: दोनोंRead more
भारत और यू.के. की न्यायिक व्यवस्थाओं में ऐतिहासिक रूप से गहरा संबंध रहा है, क्योंकि भारत की न्यायिक प्रणाली ब्रिटिश कानूनी परंपराओं पर आधारित है। हाल के समय में, दोनों देशों की न्यायिक प्रणालियों में अभिसरण (convergence) और अपसरण (divergence) दोनों देखे जा सकते हैं।
अभिसरण:
विधि की सर्वोच्चता: दोनों देशों में विधि का शासन (Rule of Law) महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र बनाता है।
न्यायिक समीक्षा: भारत और यू.के. दोनों में न्यायालयों को संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की समीक्षा करने और असंवैधानिक विधानों को निरस्त करने का अधिकार है।
अपसरण:
संविधानिक संरचना: यू.के. का कोई लिखित संविधान नहीं है, जबकि भारत का एक विस्तृत लिखित संविधान है, जो न्यायालयों को व्यापक अधिकार प्रदान करता है।
न्यायिक सक्रियता: भारत में न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) अधिक है, जहां अदालतें सामाजिक और आर्थिक मुद्दों में भी हस्तक्षेप करती हैं, जबकि यू.के. में न्यायालय आमतौर पर विधायिका के फैसलों का सम्मान करते हैं और सीमित हस्तक्षेप करते हैं।
मानवाधिकार: यू.के. में यूरोपीय मानवाधिकार अधिनियम 1998 के तहत न्यायालय मानवाधिकार मामलों में फैसले लेते हैं, जबकि भारत में संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत न्यायालय मानवाधिकार की रक्षा करते हैं।
इन अभिसरण और अपसरण के बिंदुओं ने दोनों न्यायिक प्रणालियों को समय के साथ अनोखा और गतिशील बनाया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के मध्य हालिया तनाव के कारण **1. न्यूक्लियर प्रोग्राम विवाद संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के बीच हालिया तनाव का मुख्य कारण ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम है। अमेरिका ने 2018 में जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) से बाहर निकलते हुए ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाए, जRead more
संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के मध्य हालिया तनाव के कारण
**1. न्यूक्लियर प्रोग्राम विवाद
संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के बीच हालिया तनाव का मुख्य कारण ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम है। अमेरिका ने 2018 में जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) से बाहर निकलते हुए ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाए, जिससे तनाव बढ़ गया। ईरान ने अपने न्यूक्लियर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
**2. क्षेत्रीय प्रभाव और संघर्ष
दोनों देशों के बीच मध्य पूर्व में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा है। ईरान की सीरिया, इराक, और यमन में सैन्य भागीदारी और हिजबुल्ला जैसे समूहों का समर्थन अमेरिकी हितों और सहयोगियों को चुनौती देता है। हाल के दिनों में इराक में अमेरिकी हितों और सहयोगी स्थलों पर हमले ने तनाव को बढ़ाया है।
**3. आर्थिक प्रतिबंध और कूटनीतिक तनाव
अमेरिका ने ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, जिसका उद्देश्य ईरान की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और उसकी क्षेत्रीय प्रभाव को सीमित करना है। ईरान की प्रतिक्रिया में तेल टैंकरों और सैन्य ठिकानों पर हमले हुए हैं, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
भारत के राष्ट्रीय हितों पर प्रभाव
**1. आर्थिक प्रभाव
भारत ईरानी तेल पर निर्भर है, और बढ़ते तनाव ने तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को जन्म दिया है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है। प्रतिबंधों ने भारत के ईरान के तेल और गैस क्षेत्र में निवेश को भी प्रभावित किया है।
**2. क्षेत्रीय स्थिरता
मध्य पूर्व में अस्थिरता वैश्विक सुरक्षा और व्यापार मार्गों को प्रभावित करती है। भारत के लिए पर्सियन गल्फ के माध्यम से व्यापारिक मार्ग महत्वपूर्ण हैं, और किसी भी विघटन से भारत की आर्थिक हितों और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर असर पड़ सकता है।
**3. कूटनीतिक संबंध
भारत को अमेरिका और ईरान दोनों के साथ सावधानीपूर्वक संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है। बढ़ते तनाव भारत को कठिन विकल्पों का सामना करवा सकते हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
**1. कूटनीतिक सगाई
भारत को कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से तनाव कम करने और दोनों देशों के साथ संवाद बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए।
**2. ऊर्जा विविधीकरण
भारत को ईरानी तेल पर निर्भरता कम करने के लिए ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण करना चाहिए, ताकि आर्थिक संवेदनशीलता को कम किया जा सके।
**3. क्षेत्रीय सहयोग
क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करना और बहुपरकारीय मंचों में भागीदारी बढ़ाना भारत को मध्य पूर्व की भू-राजनीति की जटिलताओं से निपटने में मदद कर सकता है।
निष्कर्ष
संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के बीच तनाव भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। एक संतुलित दृष्टिकोण जिसमें कूटनीतिक सगाई, ऊर्जा विविधीकरण, और क्षेत्रीय सहयोग शामिल हो, भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगा।
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