भारत और उसके पड़ोसियों के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क स्थल के रूप में स्थापित होने से पहले, भारत को अपने पूर्वोत्तर क्षेत्र की आंतरिक और बाह्य दोनों तरह की अंतर्निहित चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिए। (250 ...
ऋण-जाल कूटनीति (Debt-Trap Diplomacy) एक रणनीति है जिसका उपयोग देश ऋण देने वाले देश करते हैं ताकि उधार लेने वाले देश को आर्थिक रूप से निर्भर और कमजोर किया जा सके। इसमें, देश बड़े पैमाने पर ऋण प्रदान करते हैं, लेकिन जब उधारकर्ता ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाता है, तो वह अपनी संसाधन या सम्पत्ति के बदले ऋणRead more
ऋण-जाल कूटनीति (Debt-Trap Diplomacy) एक रणनीति है जिसका उपयोग देश ऋण देने वाले देश करते हैं ताकि उधार लेने वाले देश को आर्थिक रूप से निर्भर और कमजोर किया जा सके। इसमें, देश बड़े पैमाने पर ऋण प्रदान करते हैं, लेकिन जब उधारकर्ता ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाता है, तो वह अपनी संसाधन या सम्पत्ति के बदले ऋण देने वाले देश के नियंत्रण में चला जाता है।
चीन की ऋण-जाल कूटनीति भारत के पड़ोसी देशों में भारतीय हितों को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों में चीन द्वारा बड़े पैमाने पर ऋण दिए गए हैं। जब ये देश ऋण चुकाने में विफल रहते हैं, तो चीन को प्रमुख सामरिक और आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण मिल जाता है। इससे भारत के पड़ोसी देशों में चीन का प्रभाव बढ़ता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन पर असर पड़ता है।
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भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण संपर्क स्थल के रूप में स्थापित करने से पहले, भारत को इस क्षेत्र की आंतरिक और बाह्य दोनों तरह की अंतर्निहित चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। यह क्षेत्र, जो भारत के सात राज्यों को शामिल करता है, रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है लेकिन विभिन्न समस्याओं काRead more
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण संपर्क स्थल के रूप में स्थापित करने से पहले, भारत को इस क्षेत्र की आंतरिक और बाह्य दोनों तरह की अंतर्निहित चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। यह क्षेत्र, जो भारत के सात राज्यों को शामिल करता है, रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है लेकिन विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहा है।
आंतरिक चुनौतियाँ:
बाहरी चुनौतियाँ:
उपसंहार:
पूर्वोत्तर क्षेत्र की आंतरिक और बाहरी चुनौतियों को सुलझाना भारत के लिए महत्वपूर्ण है ताकि इसे एक प्रभावशाली संपर्क स्थल के रूप में स्थापित किया जा सके। यह न केवल क्षेत्रीय विकास और सुरक्षा में सुधार लाएगा, बल्कि भारत की रणनीतिक और आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा। सही नीतियों और रणनीतियों के साथ, भारत पूर्वोत्तर क्षेत्र की पूर्ण संभावनाओं को साकार कर सकता है।
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