भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिए। (250 words) [UPSC 2017]
OBOR के आलोक में भारत-चीन संबंधों की प्रकृति 1. OBOR का अवलोकन वन बेल्ट वन रोड (OBOR), जिसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के नाम से भी जाना जाता है, चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। यह परियोजना 2013 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बीच व्यापार मार्गों को सुदृढ़ करनाRead more
OBOR के आलोक में भारत-चीन संबंधों की प्रकृति
1. OBOR का अवलोकन
वन बेल्ट वन रोड (OBOR), जिसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के नाम से भी जाना जाता है, चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। यह परियोजना 2013 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बीच व्यापार मार्गों को सुदृढ़ करना और बुनियादी ढांचा निर्माण के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
2. भारत की चिंताएँ
- भू-राजनीतिक तनाव: भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पर आपत्ति जताई है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। इससे भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि हुई है। हाल ही में डोकलाम स्टैंडऑफ (2017) ने OBOR के संदर्भ में भारत-चीन के बीच की रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को स्पष्ट किया।
- रणनीतिक प्रतिस्पर्धा: भारत को OBOR को चीन के भू-राजनीतिक प्रभाव के विस्तार के रूप में देखता है, जो भारतीय महासागर क्षेत्र और दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति को चुनौती दे सकता है।
3. आर्थिक और व्यापारिक संबंध
- सहयोग के अवसर: OBOR से आर्थिक अवसर भी उत्पन्न हो सकते हैं। बेहतर कनेक्टिविटी और व्यापार मार्गों से भारत को लाभ मिल सकता है, यदि सही तरीके से उपयोग किया जाए। एशिया-आफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर जैसे क्षेत्रीय परियोजनाएँ OBOR के विकल्प के रूप में देखी जाती हैं।
- व्यापार असंतुलन: भारत और चीन के बीच व्यापार असंतुलन एक बड़ी चिंता है। OBOR के माध्यम से इस असंतुलन को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
4. कूटनीतिक और क्षेत्रीय सहभागिता
- रणनीतिक साझेदारियाँ: भारत ने कूटनीतिक संबंध और क्षेत्रीय ब्लॉक्स जैसे क्वाड के साथ साझेदारी को बढ़ाया है, ताकि चीन के प्रभाव का मुकाबला किया जा सके। ASEAN और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भारत की भागीदारी इसका उदाहरण है।
निष्कर्ष
OBOR के संदर्भ में भारत-चीन संबंधों में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक अवसर दोनों ही प्रमुख तत्व हैं। भारत चीन के बढ़ते प्रभाव के प्रति सतर्क है, लेकिन वह कूटनीतिक और आर्थिक अवसरों को भी संतुलित करने की कोशिश कर रहा है।
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भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पश्चिम एशियाई देशों के साथ सहयोग परिचय भारत की ऊर्जा सुरक्षा उसकी आर्थिक प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता और विविधता भारत के औद्योगिक विकास और समग्र आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग में महत्वपूRead more
भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पश्चिम एशियाई देशों के साथ सहयोग
परिचय भारत की ऊर्जा सुरक्षा उसकी आर्थिक प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता और विविधता भारत के औद्योगिक विकास और समग्र आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पश्चिम एशिया की रणनीतिक महत्वता पश्चिम एशिया, विशेषकर सऊदी अरब, यूएई, और ईरान, ऊर्जा संसाधनों से भरपूर क्षेत्र है। भारत की तेल की 80% से अधिक आवश्यकता इन देशों से पूरी होती है। इस पर निर्भरता भारत की ऊर्जा सुरक्षा की रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
द्विपक्षीय समझौते और निवेश भारत ने ऊर्जा सुरक्षा के लिए कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं:
हालिया विकास 2023 में भारत और ईरान ने चाबहार पोर्ट परियोजना पर चर्चा फिर से शुरू की, जो ऊर्जा व्यापार के लिए बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, भारत-यूएई स्ट्रैटेजिक ऑइल रिजर्व्स एग्रीमेंट भारत को आपातकालीन परिस्थितियों में तेल भंडार बनाए रखने में मदद करता है।
चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ हालांकि सहयोग मजबूत है, ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंध जैसी भौगोलिक तनावों से चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। भविष्य में, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अवसरों की खोज की जाएगी।
निष्कर्ष पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत का ऊर्जा नीति सहयोग ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और आर्थिक विकास को समर्थन प्रदान करता है। रणनीतिक समझौते और निवेश इस सहयोग को और अधिक प्रभावी बनाते हैं, जबकि क्षेत्रीय चुनौतियों को भी ध्यान में रखते हैं।
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