यू.एस.ए. और रूस के बीच स्पष्ट तनाव के बावजूद, भारत अब तक अपने हितों को प्राथमिकता देते हुए दोनों देशों के साथ अपने अनुकूल द्विपक्षीय संबंधों को सफलतापूर्वक बनाए रखने में सक्षम रहा है। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में ...
पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति का अनावरण भारत के लिए कई महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रश्न प्रस्तुत करता है: आतंकवाद की नीति: पाकिस्तान की सुरक्षा नीति में आतंकवाद के प्रति अपनाए गए दृष्टिकोण का प्रभाव भारत पर सीधा पड़ता है। यदि पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का आश्वासन नहीं दिया, तो भारतRead more
पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति का अनावरण भारत के लिए कई महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रश्न प्रस्तुत करता है:
आतंकवाद की नीति: पाकिस्तान की सुरक्षा नीति में आतंकवाद के प्रति अपनाए गए दृष्टिकोण का प्रभाव भारत पर सीधा पड़ता है। यदि पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का आश्वासन नहीं दिया, तो भारत के लिए सीमा पर और आतंकवादी गतिविधियों की बढ़ती चुनौतियाँ हो सकती हैं।
क्षेत्रीय असंतुलन: पाकिस्तान की सुरक्षा नीति में भारतीय सीमा के साथ संघर्ष प्रबंधन या कश्मीर पर दृष्टिकोण भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा सकता है। नीति में भारत के प्रति संभावित आक्रामक या सामरिक रणनीतियाँ भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।
सैन्य क्षमता और सहयोग: पाकिस्तान की नई नीति में सैन्य क्षमता में वृद्धि या अंतरराष्ट्रीय सहयोग की संभावनाएँ भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं, विशेषकर यदि इससे पाकिस्तान की सेना की आक्रामक क्षमता में वृद्धि होती है।
इन पहलुओं के कारण, भारत को पाकिस्तान की सुरक्षा नीति पर करीबी निगरानी रखनी होगी और अपनी रणनीतियों को सुसंगत रूप से अनुकूलित करना होगा।
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यू.एस.ए. और रूस के बीच स्पष्ट तनाव के बावजूद, भारत ने अपनी रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के साथ मजबूत और संतुलित द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने में सफलता प्राप्त की है। भारत की यह कूटनीतिक सफलताएँ उसके बहुपरकारी विदेश नीति और रणनीतिक संतुलन की क्षमताओं को दर्शाती हैं।Read more
यू.एस.ए. और रूस के बीच स्पष्ट तनाव के बावजूद, भारत ने अपनी रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के साथ मजबूत और संतुलित द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने में सफलता प्राप्त की है। भारत की यह कूटनीतिक सफलताएँ उसके बहुपरकारी विदेश नीति और रणनीतिक संतुलन की क्षमताओं को दर्शाती हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध: भारत और अमेरिका के बीच संबंध पिछले दो दशकों में काफी मजबूत हुए हैं, विशेषकर व्यापार, रक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग में। भारत और अमेरिका ने कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जैसे कि नागरिक परमाणु समझौता और रक्षा साझेदारी। इन समझौतों ने व्यापार और निवेश के क्षेत्र में वृद्धि की है और भारत को अमेरिका के रक्षा प्रौद्योगिकी और सुरक्षा सहयोग का लाभ मिला है। अमेरिका की “प्रो-इंडिया” नीति भी भारत के वैश्विक स्थिति को सुदृढ़ करती है, खासकर Indo-Pacific क्षेत्र में।
रूस के साथ संबंध: भारत और रूस के बीच भी ऐतिहासिक और मजबूत रिश्ते हैं, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में। रूस ने भारत को सैन्य उपकरण और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति की है, जो भारतीय सुरक्षा नीति के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों देशों ने कई प्रमुख रक्षा सौदे किए हैं, और रूस भारत का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। इसके अलावा, भारत और रूस की साझेदारी संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी महत्वपूर्ण रही है, जहां दोनों देशों ने अक्सर एक दूसरे का समर्थन किया है।
भारत की कूटनीति: भारत ने इन दोनों शक्तियों के साथ संबंधों को संतुलित रखते हुए अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा की है। भारत की विदेश नीति की बहुपरकारी दृष्टि ने उसे अमेरिका और रूस दोनों के साथ अनुकूल संबंध बनाए रखने में सक्षम बनाया है, जिससे भारत ने वैश्विक कूटनीतिक खेल में अपनी भूमिका को मजबूती प्रदान की है।
इस तरह, भारत ने यू.एस.ए. और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद अपने कूटनीतिक कौशल का प्रदर्शन करते हुए दोनों देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती से बनाए रखा है।
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