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समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत के रणनीतिक गौर आर्थिक हितों की सुरक्षा का मूलभूत आधार क्यों माना जाता है? इस संदर्भ में समुद्री जलदस्युता रोधी अधिनियम (मेरीटाइम एंटी-पायरेसी एक्ट) का क्या महत्व है? (150 शब्दों में उत्तर दें)
समुद्री सुरक्षा भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों की सुरक्षा का मूलभूत आधार है क्योंकि भारत का अधिकांश व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। भारतीय तटों और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि व्यापारिक मार्ग सुरक्षित रहें और समुद्री संसाधनों का संरक्षण हो सके। समुद्री जलदस्युता रोधीRead more
समुद्री सुरक्षा भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों की सुरक्षा का मूलभूत आधार है क्योंकि भारत का अधिकांश व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। भारतीय तटों और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि व्यापारिक मार्ग सुरक्षित रहें और समुद्री संसाधनों का संरक्षण हो सके।
समुद्री जलदस्युता रोधी अधिनियम (मेरीटाइम एंटी-पायरेसी एक्ट) इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समुद्री डकैती और अपराधों के खिलाफ कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम के तहत, समुद्री जलदस्युओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत को कानूनी अधिकार और उपकरण मिलते हैं, जो समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ बनाते हैं। यह अधिनियम अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा मानकों के साथ मेल खाता है और व्यापारिक मार्गों को सुरक्षित रखने में मदद करता है, जिससे भारत के आर्थिक हित और सामरिक स्थिति की रक्षा होती है।
See lessवैश्वीकरण के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
वैश्वीकरण के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ वैश्वीकरण, जो देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक, और संस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, ने राष्ट्रीय सुरक्षा को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कराया है: साइबर हमले: वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप डिजिटल तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग बढ़ाRead more
वैश्वीकरण के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ
वैश्वीकरण, जो देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक, और संस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, ने राष्ट्रीय सुरक्षा को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कराया है:
निष्कर्ष: वैश्वीकरण ने राष्ट्रीय सुरक्षा को साइबर खतरे, आतंकवाद, अंतर्राष्ट्रीय अपराध, स्वास्थ्य संकट, और सामाजिक अस्थिरता जैसी चुनौतियाँ प्रदान की हैं। इनसे निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, साइबर सुरक्षा उपाय, और स्वास्थ्य प्रबंधन पर ध्यान देना आवश्यक है।
See lessवामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में आने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा करें। (125 Words) [UPPSC 2018]
वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में शामिल करने के सुधारक रणनीतियाँ: सामाजिक समावेशन: शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार सुनिश्चित कर नागरिकों को आधारभूत सेवाएँ प्रदान की जानी चाहिए। सामाजिक जागरूकता अभियानों के माध्यम से वामपंथी उग्रवादी वRead more
वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में शामिल करने के सुधारक रणनीतियाँ:
निष्कर्ष: वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा, आर्थिक अवसर, स्थानीय भागीदारी, और कानूनी उपाय महत्वपूर्ण हैं। इन उपायों से समाज में सामाजिक समावेशन और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है।
See less"सोशल मीडिया को राष्ट्रीय सुरक्षा संवर्धन के एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में किस तरह उपयोग में लाया जा सकता है?" समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2019]
सोशल मीडिया और राष्ट्रीय सुरक्षा 1. सुरक्षा जागरूकता: सोशल मीडिया को सुरक्षा जागरूकता फैलाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। सरकारी एजेंसियाँ और सुरक्षा बल सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर सुरक्षा सलाहकार नोटिफिकेशन, सतर्कता संदेश, और सामाजिक समर्पण अभियान चला सकते हैं, जिससे नागरिकों को आतंकवाद, साइबर हमRead more
सोशल मीडिया और राष्ट्रीय सुरक्षा
1. सुरक्षा जागरूकता: सोशल मीडिया को सुरक्षा जागरूकता फैलाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। सरकारी एजेंसियाँ और सुरक्षा बल सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर सुरक्षा सलाहकार नोटिफिकेशन, सतर्कता संदेश, और सामाजिक समर्पण अभियान चला सकते हैं, जिससे नागरिकों को आतंकवाद, साइबर हमलों और अन्य सुरक्षा खतरे के प्रति सतर्क किया जा सके।
2. संकट प्रबंधन और आपातकालीन सूचना: आपातकालीन स्थिति में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण संचार चैनल के रूप में कार्य करता है। उदाहरण के लिए, प्राकृतिक आपदाओं या सुरक्षा संकटों के दौरान, यह तत्काल सूचना और संकट प्रबंधन निर्देश प्रदान करने में सहायक हो सकता है, जिससे जनता और सुरक्षा बलों के बीच सूचना का आदान-प्रदान त्वरित और प्रभावी होता है।
3. आतंकवाद और अपराध की निगरानी: सोशल मीडिया पर आतंकवादी प्रचार और उग्रवादी गतिविधियों की निगरानी की जा सकती है। साइबर इंटेलिजेंस का उपयोग करके, सुरक्षा एजेंसियाँ धमकीपूर्ण संदेशों और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान कर सकती हैं, जिससे समय पर सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं।
4. सामाजिक सद्भावना और आतंकवाद विरोधी प्रचार: सोशल मीडिया का उपयोग सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा देने और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए किया जा सकता है। सकारात्मक प्रचार और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से, यह अस्वीकृत विचारधाराओं और कट्टरपंथी गतिविधियों के खिलाफ काम कर सकता है।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया को राष्ट्रीय सुरक्षा में एक प्रभावी साधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है, यदि इसे सुरक्षा जागरूकता, आपातकालीन सूचना, आतंकवाद निगरानी, और सामाजिक सद्भावना के क्षेत्रों में सही ढंग से लागू किया जाए।
See less"विगत दो दशकों में अनियंत्रित ढंग से बढ़े अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से विश्वशांति को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इससे निबटने के लिये प्रत्येक राष्ट्र को वैश्विक स्तर पर एक साथ मिलकर लड़ना होगा।" इस कथन की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और वैश्विक शांति विगत दो दशकों में, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। आतंकवादी समूहों ने विभिन्न देशों में हिंसा, उग्रवाद और अस्थिरता फैलाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और नेटवर्किंग का उपयोग किया है। 1. आतंकवाद का वैश्विक स्वरूप: आधRead more
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और वैश्विक शांति
विगत दो दशकों में, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। आतंकवादी समूहों ने विभिन्न देशों में हिंसा, उग्रवाद और अस्थिरता फैलाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और नेटवर्किंग का उपयोग किया है।
1. आतंकवाद का वैश्विक स्वरूप: आधुनिक आतंकवाद ने सार्वभौमिक स्तर पर सीमा पार की है। 9/11 हमले, पेरिस में आईएसआईएस के हमले, और धार्मिक कट्टरपंथ से प्रेरित हिंसक गतिविधियाँ इसका स्पष्ट उदाहरण हैं। आतंकवादी संगठनों की नेटवर्किंग और सूचना साझा करने की क्षमता ने इसे अधिक व्यापक और घातक बना दिया है।
2. वैश्विक सहयोग की आवश्यकता: आतंकवाद का सामना करने के लिए एकल देश की कोशिशें अपर्याप्त हैं। सहयोगात्मक रणनीतियों और सूचना साझा करने की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय पुलिस (इंटरपोल) को सशक्त बनाना अनिवार्य है। देशों को सुरक्षा नीतियों, वित्तीय निगरानी, और गुप्तचर सहयोग के माध्यम से एक साथ काम करना होगा।
3. वैश्विक शांति की रक्षा: आतंकवाद से निपटने के लिए संविधानिक और कानूनी उपाय आवश्यक हैं, जो मानवाधिकार और सामाजिक न्याय की रक्षा करें। वैश्विक स्तर पर सहयोग से ही शांति और सुरक्षा को बनाए रखा जा सकता है।
निष्कर्ष: अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की बढ़ती चुनौती ने स्पष्ट किया है कि वैश्विक शांति के लिए सभी देशों को सामूहिक प्रयास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, साझा रणनीतियाँ और मजबूत वैश्विक गठबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
See lessआंतरिक सुरक्षा के प्रति खतरे के रूप में भ्रष्टाचार का विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
आंतरिक सुरक्षा के प्रति खतरे के रूप में भ्रष्टाचार 1. प्रशासनिक अक्षमता: भ्रष्टाचार कानून प्रवर्तन एजेंसियों और प्रशासनिक कार्यप्रणाली की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। इससे सुरक्षा बलों और सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता कम होती है, जिससे आंतरिक सुरक्षा में कमी आती है। 2. संस्थानिक क्षति: भ्रष्टाचारRead more
आंतरिक सुरक्षा के प्रति खतरे के रूप में भ्रष्टाचार
1. प्रशासनिक अक्षमता: भ्रष्टाचार कानून प्रवर्तन एजेंसियों और प्रशासनिक कार्यप्रणाली की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। इससे सुरक्षा बलों और सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता कम होती है, जिससे आंतरिक सुरक्षा में कमी आती है।
2. संस्थानिक क्षति: भ्रष्टाचार संस्थानों की विश्वसनीयता और अधिकारी की ईमानदारी को कमजोर करता है। इससे मामलों की रिपोर्टिंग और जांच में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
3. आतंकवाद और अपराध: भ्रष्टाचार आतंकवादी और आपराधिक समूहों को वित्तीय और प्रशासनिक समर्थन प्रदान करता है। यह संविधानिक और कानूनी ढांचे को कमजोर करता है।
उदाहरण: आतंकवादी वित्तपोषण के मामलों में भ्रष्टाचार की भूमिका, जैसे पैसे की तस्करी और वेतन घोटाले, जो आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं।
निष्कर्ष: भ्रष्टाचार आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है, क्योंकि यह प्रशासनिक अक्षमता, संस्थानिक क्षति और आतंकवाद को बढ़ावा देने का काम करता है। इससे निपटने के लिए कठोर नीतियाँ और सुधारात्मक उपाय आवश्यक हैं।
See lessभारत में नक्सलवाद का सामना करने के लिये सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2020]
भारत में नक्सलवाद का सामना करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम 1. सुरक्षा उपाय: सैन्य और पैरामिलिटरी बलों का उपयोग: सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सीआरपीएफ और सेंटरल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईएसएफ) जैसे बलों की तैनाती की है। विशेष बल और अभियानों: सिआरपीएफ की स्पेशल टास्क फोर्स और सर्च और क्लीयरRead more
भारत में नक्सलवाद का सामना करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
1. सुरक्षा उपाय:
2. विकासात्मक पहल:
3. सामुदायिक प्रयास:
4. कानूनी और प्रशासनिक सुधार:
निष्कर्ष: भारत सरकार ने नक्सलवाद का सामना करने के लिए सुरक्षा, विकासात्मक पहल, सामुदायिक प्रयास, और कानूनी सुधार के एक बहुआयामी दृष्टिकोण को अपनाया है। इन उपायों से नक्सलवाद की चुनौती को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
See less'मनी लॉन्ड्रिंग' एवं 'मानव तस्करी' की गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियों के रूप में समीक्षा कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी: गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियाँ मनी लॉन्ड्रिंग: आर्थिक प्रभाव: यह अवैध धन को वैधता प्रदान करता है, जिससे काले धन की अर्थव्यवस्था में घुसपैठ होती है। इससे आर्थिक अस्थिरता और वित्तीय प्रणाली में भ्रष्टाचार बढ़ता है। जटिलता: यह वित्तीय प्रणाली का दुरुपयोग करके जटिल लेन-देनRead more
मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी: गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियाँ
निष्कर्ष: मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियाँ हैं जो आर्थिक, सामाजिक, और मानवाधिकार के दृष्टिकोण से गंभीर समस्याएँ उत्पन्न करती हैं। इनसे निपटने के लिए प्रभावी कानूनी और सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता है।
See less'नाकों आतंकवाद' भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा है। इसकी विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
नक्सलवाद और भारत की आंतरिक सुरक्षा नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है: सुरक्षा चुनौती: नक्सलवादी समूहों द्वारा हिंसात्मक गतिविधियों, जैसे कि लैंडमाइंस और आत्मघाती हमले, से सुरक्षा बलों और नागरिकों की जान जोखिम में पड़ती है। उदाहरण: छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सलवादी हमलों से कई मRead more
नक्सलवाद और भारत की आंतरिक सुरक्षा
नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है:
निष्कर्ष: नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करता है, जिसमें सुरक्षा चुनौतियाँ, सामाजिक अशांति और विकास में रुकावट शामिल हैं। इसे रोकने के लिए समन्वित सुरक्षा उपायों और विकासात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।
See lessसाइबर डोम परियोजना क्या है? भारत में इंटरनेट अपराध रोकने में यह कैसे उपयोगी है? व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
साइबर डोम परियोजना केरल पुलिस द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक विशेष केंद्र बनाना है। यह परियोजना अत्याधुनिक तकनीकी और विशेषज्ञ संसाधनों का एकीकरण करती है ताकि साइबर अपराध की जांच और प्रतिक्रिया में सुधार किया जा सके। साइबर डोम की विशेषताएँ: केंद्रीRead more
साइबर डोम परियोजना केरल पुलिस द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक विशेष केंद्र बनाना है। यह परियोजना अत्याधुनिक तकनीकी और विशेषज्ञ संसाधनों का एकीकरण करती है ताकि साइबर अपराध की जांच और प्रतिक्रिया में सुधार किया जा सके।
साइबर डोम की विशेषताएँ:
भारत में इंटरनेट अपराध रोकने में उपयोगिता:
निष्कर्ष: साइबर डोम परियोजना भारत में साइबर अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो समन्वय, तकनीकी सहायता, और प्रशिक्षण के माध्यम से सुरक्षा बढ़ाता है और अपराधों को नियंत्रित करता है।
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