“सोशल मीडिया को राष्ट्रीय सुरक्षा संवर्धन के एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में किस तरह उपयोग में लाया जा सकता है?” समझाइये। (200 Words) [UPPSC 2019]
भारत की समकालीन गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ पारंपरिक सैन्य सुरक्षा से परे जाती हैं और अनेक नए खतरे और संकटों को शामिल करती हैं। ये चुनौतियाँ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर रही हैं और इसके लिए एक समग्र और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यहां कुछ प्रमुख गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ दRead more
भारत की समकालीन गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ पारंपरिक सैन्य सुरक्षा से परे जाती हैं और अनेक नए खतरे और संकटों को शामिल करती हैं। ये चुनौतियाँ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर रही हैं और इसके लिए एक समग्र और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यहां कुछ प्रमुख गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ दी गई हैं:
1. आतंकवाद और उग्रवाद
आंतरिक आतंकवाद: भारत के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद और उग्रवाद की गतिविधियाँ जारी हैं, जैसे कि कश्मीर में आतंकवादी हमले, उत्तर-पूर्वी राज्यों में उग्रवादी गतिविधियाँ, और नक्सलवाद से जुड़ी हिंसा। ये गतिविधियाँ राज्य की स्थिरता और विकास को प्रभावित करती हैं।
सर्विलांस और डिजिटल आतंकवाद: आतंकवादी संगठन डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके भर्ती और संचार करते हैं। साइबर स्पेस का दुरुपयोग करके आतंकी गतिविधियों को फैलाने की कोशिशें बढ़ रही हैं, जैसे कि सोशल मीडिया पर प्रोपेगंडा फैलाना।
2. साइबर सुरक्षा
साइबर हमले: भारत को विभिन्न प्रकार के साइबर हमलों का सामना करना पड़ता है, जिनमें सरकारी, निजी और अवसंरचनात्मक बुनियादी ढांचे पर हमले शामिल हैं। डेटा चोरी, हैकिंग, और साइबर स्पायिंग जैसे खतरे बढ़ रहे हैं।
साइबर युद्ध: साइबर युद्ध के खतरे ने भी चिंता बढ़ा दी है, जिसमें न केवल डेटा चोरी बल्कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को भी निशाना बनाया जा सकता है, जैसे बिजली ग्रिड और संचार नेटवर्क।
3. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट
प्राकृतिक आपदाएँ: जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे बाढ़, सूखा, और चक्रवात, अधिक频频 हो रही हैं। ये आपदाएँ जीवन, संपत्ति और आर्थिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाती हैं और मानव सुरक्षा को खतरे में डालती हैं।
पर्यावरणीय विस्थापन: जलवायु परिवर्तन के कारण कुछ क्षेत्रों में लोगों का विस्थापन बढ़ रहा है। यह विस्थापन सामाजिक तनाव और सुरक्षा के मुद्दों को जन्म देता है, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में।
4. स्वास्थ्य संकट
महामारी: COVID-19 जैसी वैश्विक महामारियाँ स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी दबाव डालती हैं और अर्थव्यवस्था, समाज, और सुरक्षा को प्रभावित करती हैं। ऐसी महामारियाँ वैश्विक और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौती बन सकती हैं।
संक्रामक रोगों की वृद्धि: नई और पुनरुत्थानकारी संक्रामक बीमारियाँ जैसे कि एबोला, हिपेटाइटिस, और अन्य संक्रमण रोगों का प्रसार भी एक गंभीर चिंता का विषय है।
5. आर्थिक असमानता और सामाजिक असंतोष
आर्थिक असमानता: आर्थिक असमानता और गरीबी की समस्याएँ सामाजिक असंतोष को जन्म देती हैं, जिससे आंतरिक स्थिरता और सामाजिक शांति प्रभावित होती है। यह असंतोष आतंकवाद, उग्रवाद, और अन्य अस्थिरता का कारण बन सकता है।
शहरीकरण और सामाजिक तनाव: तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण से जुड़े मुद्दे, जैसे अनियंत्रित झुग्गी-झोपड़ी, प्रदूषण, और अवसंरचनात्मक समस्याएँ, सामाजिक तनाव और संघर्ष को बढ़ावा देती हैं।
6. मानवाधिकार और शरणार्थी संकट
शरणार्थी संकट: नागरिक संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बड़े पैमाने पर शरणार्थियों की आमद होती है, जो सीमा प्रबंधन और संसाधनों पर दबाव डालती है।
मानवाधिकार उल्लंघन: मानवाधिकार उल्लंघन और असमानता से जुड़े मुद्दे सामाजिक अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
7. विदेशी हस्तक्षेप और जियो-पॉलिटिकल तनाव
सुरक्षा साझेदारी और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा: भारत के पड़ोसी देशों के साथ जियो-पॉलिटिकल तनाव और सुरक्षा साझेदारी की रणनीतियाँ भारत की सुरक्षा नीति को प्रभावित करती हैं। सीमा विवाद और क्षेत्रीय प्रभाव क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा कर सकती हैं।
संप्रभुता और संप्रभुता पर खतरे: विदेशी हस्तक्षेप और संप्रभुता की समस्याएँ भी चिंता का विषय हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को प्रभावित करती हैं।
इन चुनौतियों का प्रभावी रूप से मुकाबला करने के लिए एक समग्र और बहुआयामी सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है, जिसमें तकनीकी, सामरिक, सामाजिक, और आर्थिक पहलुओं को शामिल किया जाए। इस तरह की रणनीति से भारत इन गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर सकता है और एक सुरक्षित और स्थिर राष्ट्र की दिशा में अग्रसर हो सकता है।
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सोशल मीडिया और राष्ट्रीय सुरक्षा 1. सुरक्षा जागरूकता: सोशल मीडिया को सुरक्षा जागरूकता फैलाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। सरकारी एजेंसियाँ और सुरक्षा बल सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर सुरक्षा सलाहकार नोटिफिकेशन, सतर्कता संदेश, और सामाजिक समर्पण अभियान चला सकते हैं, जिससे नागरिकों को आतंकवाद, साइबर हमRead more
सोशल मीडिया और राष्ट्रीय सुरक्षा
1. सुरक्षा जागरूकता: सोशल मीडिया को सुरक्षा जागरूकता फैलाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। सरकारी एजेंसियाँ और सुरक्षा बल सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर सुरक्षा सलाहकार नोटिफिकेशन, सतर्कता संदेश, और सामाजिक समर्पण अभियान चला सकते हैं, जिससे नागरिकों को आतंकवाद, साइबर हमलों और अन्य सुरक्षा खतरे के प्रति सतर्क किया जा सके।
2. संकट प्रबंधन और आपातकालीन सूचना: आपातकालीन स्थिति में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण संचार चैनल के रूप में कार्य करता है। उदाहरण के लिए, प्राकृतिक आपदाओं या सुरक्षा संकटों के दौरान, यह तत्काल सूचना और संकट प्रबंधन निर्देश प्रदान करने में सहायक हो सकता है, जिससे जनता और सुरक्षा बलों के बीच सूचना का आदान-प्रदान त्वरित और प्रभावी होता है।
3. आतंकवाद और अपराध की निगरानी: सोशल मीडिया पर आतंकवादी प्रचार और उग्रवादी गतिविधियों की निगरानी की जा सकती है। साइबर इंटेलिजेंस का उपयोग करके, सुरक्षा एजेंसियाँ धमकीपूर्ण संदेशों और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान कर सकती हैं, जिससे समय पर सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं।
4. सामाजिक सद्भावना और आतंकवाद विरोधी प्रचार: सोशल मीडिया का उपयोग सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा देने और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए किया जा सकता है। सकारात्मक प्रचार और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से, यह अस्वीकृत विचारधाराओं और कट्टरपंथी गतिविधियों के खिलाफ काम कर सकता है।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया को राष्ट्रीय सुरक्षा में एक प्रभावी साधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है, यदि इसे सुरक्षा जागरूकता, आपातकालीन सूचना, आतंकवाद निगरानी, और सामाजिक सद्भावना के क्षेत्रों में सही ढंग से लागू किया जाए।
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