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भारत की आन्तरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सीमा पार से होने वाले साइबर हमलों के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए। साथ ही, इन परिष्कृत हमलों के विरुद्ध रक्षात्मक उपायों की चर्चा कीजिए । (150 words) [UPSC 2021]
सीमा पार से होने वाले साइबर हमलों का भारत की आन्तरिक सुरक्षा पर प्रभाव आन्तरिक सुरक्षा पर प्रभाव: सीमा पार से साइबर हमले महत्वपूर्ण अवसंरचना जैसे ऊर्जा ग्रिड और संचार नेटवर्क को बाधित कर सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होता है। उदाहरण के लिए, 2020 में मुंबई के पावर ग्रिड पर हुआ साइबर हमला,Read more
सीमा पार से होने वाले साइबर हमलों का भारत की आन्तरिक सुरक्षा पर प्रभाव
आन्तरिक सुरक्षा पर प्रभाव: सीमा पार से साइबर हमले महत्वपूर्ण अवसंरचना जैसे ऊर्जा ग्रिड और संचार नेटवर्क को बाधित कर सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होता है। उदाहरण के लिए, 2020 में मुंबई के पावर ग्रिड पर हुआ साइबर हमला, जो राज्य-प्रायोजित समझा जाता है, ने बड़े पैमाने पर ब्लैकआउट किया और सुरक्षा खामियों को उजागर किया। इसके अलावा, साइबर जासूसी जो सरकारी और रक्षा संस्थानों को लक्षित करती है, संवेदनशील जानकारी को जोखिम में डालती है।
परिष्कृत साइबर हमलों के विरुद्ध रक्षात्मक उपाय
साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना: भारत को एक ठोस साइबर सुरक्षा नीति विकसित करनी चाहिए और महत्वपूर्ण अवसंरचना सुरक्षा को बढ़ाना चाहिए। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2023 इन सुरक्षा उपायों को मजबूत करने का लक्ष्य रखती है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: ग्लोबल फोरम ऑन साइबर एक्सपर्टाइज (GFCE) और द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करना, खतरों की जानकारी और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में मदद कर सकता है।
उन्नत प्रौद्योगिकियाँ: AI और मशीन लर्निंग का उपयोग कर खतरे का पता लगाने और नियमित सुरक्षा ऑडिट्स करने से साइबर खतरों का पूर्वानुमान और प्रतिक्रिया क्षमता में सुधार हो सकता है।
इन उपायों को अपनाकर सीमा पार से होने वाले साइबर हमलों के प्रभाव को कम किया जा सकता है और आन्तरिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।
See lessचर्चा कीजिए कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइए । (150 words) [UPSC 2021]
उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण का मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान उभरती प्रौद्योगिकियाँ: डिजिटल मुद्राएँ और क्रिप्टोकरेंसी मनी लॉन्ड्रिंग को सरल बनाती हैं, क्योंकि ये गुमनामी और कम विनियमन प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, बिटकॉइन नेटवर्क का उपयोग अवैध धन को ट्रांसफर करने के लिए किया गया है। फिनटेक नवाचRead more
उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण का मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान
उभरती प्रौद्योगिकियाँ: डिजिटल मुद्राएँ और क्रिप्टोकरेंसी मनी लॉन्ड्रिंग को सरल बनाती हैं, क्योंकि ये गुमनामी और कम विनियमन प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, बिटकॉइन नेटवर्क का उपयोग अवैध धन को ट्रांसफर करने के लिए किया गया है। फिनटेक नवाचार जैसे पियर-टू-पियर लेंडिंग प्लेटफॉर्म भी सीमा पार लेन-देन की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं।
वैश्वीकरण: वैश्विक वित्तीय प्रणाली के आपसी जुड़ाव से अवैध धन सीमाओं को पार करना आसान हो जाता है। ऑफशोर वित्तीय केंद्र और टैक्स हेवन्स जैसे स्थल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों में भिन्नताओं का लाभ उठाते हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के उपाय
राष्ट्रीय उपाय: देशों को वित्तीय संस्थानों के लिए नियम और अनुपालन आवश्यकताओं को सख्त करना चाहिए। उदाहरण के लिए, भारत का मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) और हालिया सुधार जैसे डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट इन समस्याओं को संबोधित करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय उपाय: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसी संगठनों के माध्यम से सहयोग महत्वपूर्ण है। FATF के वैश्विक मानक और सिफारिशें एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग प्रथाओं को मानकीकृत करती हैं। हाल की पहलों में EU का एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग डायरेक्टिव और G20 के एक्शन प्लान शामिल हैं, जो पारदर्शिता और सीमा पार जानकारी साझा करने में सुधार लाने के लिए हैं।
ये संयुक्त प्रयास राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग की बढ़ती चुनौती का मुकाबला करने के लिए आवश्यक हैं।
See lessनक्सलवाद एक सामाजिक, आर्थिक और विकासात्मक मुद्दा है जो एक हिंसक आन्तरिक सुरक्षा ख़तरे के रूप में प्रकट होता है। इस संदर्भ में उभरते हुए मुद्दों की चर्चा कीजिए और नक्सलवाद के ख़तरे से निपटने की बहुस्तरीय रणनीति का सुझाव दीजिए। (250 words) [UPSC 2022]
नक्सलवाद: उभरते मुद्दे और बहुस्तरीय रणनीति **1. उभरते मुद्दे: सामाजिक असंतोष: नक्सलवाद मुख्यतः आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में गहराते सामाजिक असंतोष से उभरता है। छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे क्षेत्रों में भ्रष्टाचार, सामाजिक विषमताएँ और शासन की कमी इस समस्या को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़Read more
नक्सलवाद: उभरते मुद्दे और बहुस्तरीय रणनीति
**1. उभरते मुद्दे:
**2. नक्सलवाद से निपटने के लिए बहुस्तरीय रणनीति:
निष्कर्ष: नक्सलवाद एक जटिल सामाजिक, आर्थिक, और विकासात्मक मुद्दा है जो एक हिंसात्मक आंतरिक सुरक्षा खतरा उत्पन्न करता है। इसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक बहुस्तरीय रणनीति की आवश्यकता है, जिसमें सामाजिक और आर्थिक विकास, सुरक्षा उपाय, मानवाधिकार सम्मान, और जन जागरूकता शामिल होनी चाहिए। इस प्रकार की रणनीति नक्सलवाद के प्रभाव को कम कर सकती है और स्थिरता सुनिश्चित कर सकती है।
See lessसाइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्व क्या हैं ? साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा कीजिए कि भारत ने किस हद तक एक व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति सफलतापूर्वक विकसित की है। (250 words) [UPSC 2022]
साइबर सुरक्षा के तत्त्व और भारत की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति **1. साइबर सुरक्षा के तत्त्व: प्रवेश नियंत्रण: यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि केवल अधिकृत व्यक्ति ही नेटवर्क और डेटा तक पहुँच प्राप्त कर सकें। उदाहरण के लिए, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) का उपयोग किया जाता है। डेटा एन्क्रिप्शन: संवेRead more
साइबर सुरक्षा के तत्त्व और भारत की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति
**1. साइबर सुरक्षा के तत्त्व:
**2. भारत की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति:
निष्कर्ष: भारत ने साइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्वों को ध्यान में रखते हुए एक ठोस राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति तैयार की है, लेकिन साइबर खतरे के विकसित होते परिदृश्य के साथ-साथ, निरंतर उन्नति और सुधार की आवश्यकता है।
See lessभारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं? समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिए की गई संगठनात्मक, तकनीकी और प्रक्रियात्मक पहलों की विवेचना कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
भारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ **1. संगठनात्मक चुनौतियाँ: समन्वय की कमी: विभिन्न एजेंसियों जैसे भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड, और कस्टम्स के बीच समन्वय की कमी सुरक्षा में बाधा डालती है। 2019 के मुंबई हमले ने इस कमी को उजागर किया। **2. तकनीकी चुनौतियाँ: निगरानी की सीमाएँ: वास्तविक समय में समुद्री निRead more
भारत में समुद्री सुरक्षा चुनौतियाँ
**1. संगठनात्मक चुनौतियाँ:
**2. तकनीकी चुनौतियाँ:
**3. प्रक्रियात्मक चुनौतियाँ:
समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिए पहलों की विवेचना
**1. संगठनात्मक पहल:
**2. तकनीकी पहल:
**3. प्रक्रियात्मक पहल:
ये पहलों सुरक्षा चुनौतियों को संबोधित करने और भारत की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक हैं।
See lessसंगठित अपराधों के प्रकारों की चर्चा कीजिए । राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद संगठित अपराध और आतंकवादियों के बीच संबंधों का वर्णन कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
संगठित अपराधों के प्रकार **1. नशीली दवाओं की तस्करी: नशीली दवाओं की तस्करी में अवैध पदार्थों का व्यापार शामिल होता है। कार्टेल्स और सिंडिकेट्स जैसे संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर संचालित होते हैं। हाल के वर्षों में, पश्चिमी भारत में नशीली दवाओं की तस्करी के मामले बढ़े हैं। **2. मानव तस्करी: मानव तस्कRead more
संगठित अपराधों के प्रकार
**1. नशीली दवाओं की तस्करी:
**2. मानव तस्करी:
**3. हथियारों की तस्करी:
**4. मनी लॉन्डरिंग:
संगठित अपराध और आतंकवादियों के बीच संबंध
**1. राष्ट्रीय स्तर:
**2. अंतर्राष्ट्रीय स्तर:
संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच के ये संबंध वैश्विक सुरक्षा प्रयासों को जटिल बनाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
See lessभारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत और इन स्रोतों की कटौती के लिए किए गए प्रयासों को बताइए। इस आलोक में, हाल ही में नयी दिल्ली में नवंबर 2022 में हुई 'आतंकवाद के लिए धन नहीं (एन० एम० एफ० टी०)' संगोष्ठी के लक्ष्य एवं उद्देश्य की भी विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत और कटौती के प्रयास 1. आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत: सीमा पार वित्तपोषण: भारत में आतंकवाद का एक प्रमुख स्रोत सीमा पार से प्राप्त वित्तपोषण है। विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों को पाकिस्तान से समर्थन मिलता है। उदाहरण के तौर पRead more
भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत और कटौती के प्रयास
1. आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोत:
2. स्रोतों की कटौती के लिए किए गए प्रयास:
3. ‘आतंकवाद के लिए धन नहीं (NMFT)’ संगोष्ठी के लक्ष्य और उद्देश्य:
लक्ष्य और उद्देश्य:
संक्षेप में, भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रमुख स्रोतों में सीमा पार वित्तपोषण, हवाला लेन-देन, चैरिटेबल संस्थाएँ और अवैध गतिविधियाँ शामिल हैं। इन स्रोतों की कटौती के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं, और ‘आतंकवाद के लिए धन नहीं (NMFT)’ संगोष्ठी ने वैश्विक सहयोग और प्रभावी ढाँचों को मजबूत करने के प्रयास किए हैं।
See lessभारत द्वारा सामना की जाने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं? ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिए नियुक्त केन्द्रीय खुफिया और जाँच एजेंसियों की भूमिका बताइए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत द्वारा सामना की जाने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ 1. आतंकवाद और विद्रोह: भारत आतंकवाद और विद्रोह से लगातार जूझ रहा है। जम्मू और कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूह जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। पुलवामा हमला (2019) इस खतरे का एक प्रमुख उदाहरण है। इसके अलावा,Read more
भारत द्वारा सामना की जाने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ
1. आतंकवाद और विद्रोह: भारत आतंकवाद और विद्रोह से लगातार जूझ रहा है। जम्मू और कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी समूह जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है। पुलवामा हमला (2019) इस खतरे का एक प्रमुख उदाहरण है। इसके अलावा, नक्सल-माओवाद से प्रभावित क्षेत्र, जैसे छत्तीसगढ़ और झारखंड, में हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
2. जातीय और सांप्रदायिक हिंसा: भारत में जातीय और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ समय-समय पर होती रहती हैं। हाल ही में, मणिपुर हिंसा (2023) ने विभिन्न जातीय समूहों के बीच झगड़ों और विस्थापन की समस्या को उजागर किया है।
3. वामपंथी चरमपंथ: नक्सलवादी समूह भारतीय राज्यों में सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं। सुकमा हमला (2023) ने सुरक्षा बलों पर हुए हमलों की गंभीरता को दर्शाया है और नक्सलियों की बढ़ती सक्रियता को दिखाया है।
4. साइबर सुरक्षा के खतरे: डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती निर्भरता के साथ साइबर हमलों और डेटा उल्लंघनों में वृद्धि हो रही है। हाल की AIIMS रैनसमवेयर हमला (2023) ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में खामियों को उजागर किया है।
केन्द्रीय खुफिया और जाँच एजेंसियों की भूमिका
1. रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW): RAW विदेशी खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसने कई आतंकवादी हमलों को रोकने में मदद की है और बाहरी खतरों की निगरानी करता है।
2. इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB): IB घरेलू खुफिया जानकारी और आंतरिक सुरक्षा मामलों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह आतंकवाद, विद्रोह, और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए राज्य एजेंसियों के साथ समन्वय करता है और समय पर हस्तक्षेप करता है।
3. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA): NIA आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जांच और अभियोजन का कार्य करती है। इसने पुलवामा हमला जैसे महत्वपूर्ण मामलों को हैंडल किया है और राज्यों के बीच आतंकवाद से निपटने में एक केंद्रीकृत दृष्टिकोण प्रदान करता है।
4. सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI): CBI गंभीर और जटिल अपराधों की जांच करती है, जिसमें भ्रष्टाचार और प्रमुख वित्तीय अपराध शामिल हैं। यह आतंकवाद और संगठित अपराध से संबंधित मामलों की जांच में भी सहायक होती है।
5. नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG): NSG आतंकवाद विरोधी और बंधक बचाव ऑपरेशनों में विशेषज्ञ है। मुंबई हमलों (2008) के दौरान इसकी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता ने इसे प्रमुख सुरक्षा एजेंसी के रूप में स्थापित किया है।
हाल की पहल:
भारतीय सरकार ने राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (NCTC) जैसी पहल की है और पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन बढ़ाया है। खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय और तकनीकी क्षमताओं में सुधार की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
संक्षेप में, भारत आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में आतंकवाद, जातीय हिंसा, वामपंथी चरमपंथ, और साइबर सुरक्षा के खतरे जैसे कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। केंद्रीय खुफिया और जाँच एजेंसियाँ इन खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, उनके द्वारा की गई कार्रवाइयाँ देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करती हैं।
See lessसीमा पार से शत्रुओं द्वारा हथियार /गोला-बारूद, ड्रग्स आदि मानवरहित हवाई वाहनों (यू० ए० वी०) की मदद से पहुँचाया जाना हमारी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इस खतरे से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों पर टिप्पणी कीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
यूवी (मानवरहित हवाई वाहन) द्वारा खतरा: मानवरहित हवाई वाहन (यूवी), या ड्रोन, सीमा पार से शत्रुओं द्वारा हथियार, गोला-बारूद, और ड्रग्स की तस्करी के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं। ये ड्रोन पारंपरिक सुरक्षा उपायों को обход कर सकते हैं और तस्करी के लिए प्रभावी उपकरण साबित हो रहे हैं। खतरे से निपटने के उपायRead more
यूवी (मानवरहित हवाई वाहन) द्वारा खतरा:
खतरे से निपटने के उपाय:
निष्कर्ष: यूवी द्वारा अवैध गतिविधियों का उपयोग आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। उन्नत सर्विलांस, सुरक्षा प्रोटोकॉल का उन्नयन, सख्त नियम, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जैसे उपाय इस खतरे को संबोधित करने और कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
See lessकृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में होने वाली प्रगति से राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से अवसरों के साथ-साथ चुनौतियों में भी वृद्धि होगी। भारत के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत के संदर्भ में अवसर और चुनौतियाँ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में हो रही प्रगति राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण अवसर और चुनौतियाँ दोनों प्रस्तुत करती है। भारत में, AI का उपयोग सुरक्षा प्रबंधन और रक्षा प्रणाली को समृद्ध करने के साRead more
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत के संदर्भ में अवसर और चुनौतियाँ
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में हो रही प्रगति राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण अवसर और चुनौतियाँ दोनों प्रस्तुत करती है। भारत में, AI का उपयोग सुरक्षा प्रबंधन और रक्षा प्रणाली को समृद्ध करने के साथ-साथ कई नए खतरों को भी जन्म दे रहा है।
अवसर:
चुनौतियाँ:
निष्कर्ष:
AI में प्रगति भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इसके अवसरों का सही उपयोग और चुनौतियों का प्रभावी समाधान करने के लिए एक संतुलित और सुविचारित रणनीति की आवश्यकता है। AI को सुरक्षा के दृष्टिकोण से मजबूत और सुसंगठित ढंग से लागू करके भारत एक सुरक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है।
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