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क्या बात है जो भारतीय समाज को अपनी संस्कृति को जीवित रखने में अद्वितीय बना देती है ? चर्चा कीजिए । (250 words) [UPSC 2019]
भारतीय समाज को अपनी संस्कृति को जीवित रखने में अद्वितीय बनाने वाली कुछ प्रमुख बातें हैं: धार्मिक विविधता और सहिष्णुता: भारत में विभिन्न धर्मों, सम्प्रदायों और परंपराओं का एक समृद्ध मिश्रण पाया जाता है। धार्मिक सहिष्णुता और एकतावाद भारतीय संस्कृति की मूल विशेषताएं हैं। विभिन्न धर्मों को एक साथ रहने कRead more
भारतीय समाज को अपनी संस्कृति को जीवित रखने में अद्वितीय बनाने वाली कुछ प्रमुख बातें हैं:
समग्र रूप से, भारतीय समाज को अपनी संस्कृति को जीवित रखने में अद्वितीय बनाने वाली ये विशेषताएं भारतीय संस्कृति की अनूठी पहचान को परिभाषित करती हैं और इसके अस्तित्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
See lessभारतीय समाज में जाति, क्षेत्र तथा धर्म के समानांतर 'पंथ' की विशेषता की विवेचना कीजिए । (250 words) [UPSC 2022]
भारतीय समाज में जाति, क्षेत्र, और धर्म के समानांतर 'पंथ' की विशेषता एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक तत्व है। पंथ, धार्मिक और आध्यात्मिक विचारधाराओं का एक समूह है, जो विशिष्ट आस्थाएँ, रीतियाँ, और अनुशासन निर्धारित करता है। यह भारतीय समाज में जाति और धर्म से जुड़े विभिन्न पहलुओं के साथ अंतर्क्रियाRead more
भारतीय समाज में जाति, क्षेत्र, और धर्म के समानांतर ‘पंथ’ की विशेषता एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक तत्व है। पंथ, धार्मिक और आध्यात्मिक विचारधाराओं का एक समूह है, जो विशिष्ट आस्थाएँ, रीतियाँ, और अनुशासन निर्धारित करता है। यह भारतीय समाज में जाति और धर्म से जुड़े विभिन्न पहलुओं के साथ अंतर्क्रियात्मक तरीके से जुड़ा हुआ है।
जाति और पंथ: जाति व्यवस्था भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और पंथ इसके साथ जुड़ी हुई है। विभिन्न जातियों में पंथों की विविधता देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए, सिख पंथ विशेष रूप से पंजाब क्षेत्र की जाति व्यवस्था से जुड़ा हुआ है और इसने जाति आधारित भेदभाव को कम करने का प्रयास किया। इसके विपरीत, कुछ पंथ जाति व्यवस्था की परवाह किए बिना समता और एकता की बात करते हैं।
क्षेत्र और पंथ: पंथों का क्षेत्रीय विस्तार भी भारतीय समाज की विविधता को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, दक्षिण भारत में ‘शैव’ और ‘वैष्णव’ पंथों का प्रभाव है, जबकि उत्तर भारत में ‘सिख’ और ‘भक्ति’ पंथ प्रमुख हैं। इन पंथों ने क्षेत्रीय संस्कृति और परंपराओं को अपनाया और अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली रहे।
धर्म और पंथ: धर्म और पंथ के बीच भी एक गहरा संबंध है। कई पंथ धार्मिक विचारधाराओं से उत्पन्न हुए हैं, जैसे कि सिख धर्म का पंथ, जो हिंदू धर्म और इस्लाम के तत्वों को समेटे हुए है। इसके अलावा, भक्ति आंदोलन ने विभिन्न पंथों को जन्म दिया, जो हिंदू धर्म के भीतर विभिन्न धार्मिक विचारों और आस्थाओं को एकत्रित करते हैं।
पंथ की विशेषता: पंथ समाज में धार्मिक विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। यह विभिन्न धार्मिक प्रथाओं और विश्वासों को संजोए हुए है, और यह जाति, क्षेत्र और धर्म के समानांतर एक समानांतर धार्मिक पहचान बनाता है। पंथ एक ऐसी शक्ति है जो विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों को जोड़ने और सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने में मदद करती है।
इन पहलुओं के माध्यम से, पंथ भारतीय समाज की जटिलता और विविधता को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
See lessभारत के जनजातीय समुदायों की विविधताओं को देखते हुए किस विशिष्ट सन्दर्भ के अन्तर्गत उन्हें किसी एकल श्रेणी में माना जाना चाहिए ? (150 words)[UPSC 2022]
भारत के जनजातीय समुदायों की विविधताओं को देखते हुए, उन्हें किसी एकल श्रेणी में वर्गीकृत करना कठिन है क्योंकि ये समुदाय सांस्कृतिक, भौगोलिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत विविध हैं। हालांकि, एक विशिष्ट संदर्भ के तहत इनका वर्गीकरण किया जा सकता है: सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ: भारत के जनजातीय समुदायोंRead more
भारत के जनजातीय समुदायों की विविधताओं को देखते हुए, उन्हें किसी एकल श्रेणी में वर्गीकृत करना कठिन है क्योंकि ये समुदाय सांस्कृतिक, भौगोलिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत विविध हैं। हालांकि, एक विशिष्ट संदर्भ के तहत इनका वर्गीकरण किया जा सकता है:
सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ: भारत के जनजातीय समुदायों को सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ में एकल श्रेणी में माना जा सकता है, जहां इनकी साझा विशेषताएँ जैसे कि पारंपरिक जीवनशैली, आत्मनिर्भरता, और सामूहिकता पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
ये समुदाय सामान्यतः अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान, पारंपरिक प्रथाओं और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता के साथ जीवनयापन करते हैं। इस दृष्टिकोण से, जनजातीय समुदायों को एकल श्रेणी में “संविधानिक रूप से आदिवासी” के रूप में समझा जा सकता है, जो उनकी विशिष्ट पहचान को सम्मानित करता है और उनके अद्वितीय सामाजिक ताने-बाने को ध्यान में रखता है।
See lessसहिष्णुता एवं प्रेम की भावना न केवल अति प्राचीन समय से ही भारतीय समाज का एक रोचक अभिलक्षण रही है, अपितु वर्तमान में भी यह एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सविस्तार स्पष्ट कीजिए । (250 words) [UPSC 2017]
सहिष्णुता और प्रेम की भावना: भारतीय समाज की प्राचीन परंपरा और वर्तमान महत्व परिचय: भारतीय समाज का एक प्रमुख अभिलक्षण सहिष्णुता और प्रेम की भावना रही है, जो प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भावना भारतीय सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है। प्राचीन कRead more
सहिष्णुता और प्रेम की भावना: भारतीय समाज की प्राचीन परंपरा और वर्तमान महत्व
परिचय: भारतीय समाज का एक प्रमुख अभिलक्षण सहिष्णुता और प्रेम की भावना रही है, जो प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भावना भारतीय सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है।
प्राचीन काल में सहिष्णुता और प्रेम:
वर्तमान समय में सहिष्णुता और प्रेम:
निष्कर्ष: सहिष्णुता और प्रेम की भावना भारतीय समाज की प्राचीन परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है और वर्तमान में भी यह विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक विविधताओं के बीच सामंजस्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भावना समाज में एकता, शांति, और सहयोग को प्रोत्साहित करती है, जो भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।
See lessरीति-रिवाजों एवं परम्पराओं द्वारा तर्क को दबाने से प्रगतिविरोध उत्पन्न हुआ है। क्या आप इससे सहमत हैं ? (250 words) [UPSC 2020]
रीति-रिवाजों और परम्पराओं द्वारा तर्क को दबाने से प्रगतिविरोध: विश्लेषण परिचय रीति-रिवाजों और परम्पराओं का समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। ये सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संरचना को बनाए रखते हैं। हालांकि, कभी-कभी ये परम्पराएँ और रीति-रिवाज तर्क और प्रगति के खिलाफ एक बाधा बन सकते हैं। इस प्रश्नRead more
रीति-रिवाजों और परम्पराओं द्वारा तर्क को दबाने से प्रगतिविरोध: विश्लेषण
परिचय
रीति-रिवाजों और परम्पराओं का समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। ये सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संरचना को बनाए रखते हैं। हालांकि, कभी-कभी ये परम्पराएँ और रीति-रिवाज तर्क और प्रगति के खिलाफ एक बाधा बन सकते हैं। इस प्रश्न का विश्लेषण करने के लिए, यह समझना आवश्यक है कि कैसे परम्पराएँ और रीति-रिवाज तर्क को दबा सकती हैं और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
रीति-रिवाजों द्वारा तर्क को दबाने के उदाहरण
प्रगतिविरोध का प्रभाव
निष्कर्ष
रीति-रिवाजों और परम्पराओं द्वारा तर्क को दबाना प्रगतिविरोध उत्पन्न कर सकता है। जबकि ये परम्पराएँ सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, उनका अंधानुकरण समाज के विकास और प्रगति में बाधा उत्पन्न कर सकता है। एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए परम्पराओं का सम्मान करते हुए, लेकिन साथ ही तर्क और विज्ञान पर आधारित निर्णय लेना आवश्यक है ताकि समाज में प्रगति और समरसता को बढ़ावा दिया जा सके।
See lessभारत में, आत्महत्या 15-29 आयु वर्ग के लोगों में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बन गई है। इसके लिए उत्तरदायी कारणों को स्पष्ट करते हुए, राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति के प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में युवाओं के बीच आत्महत्या एक चिंताजनक समस्या बन गई है और 15-29 आयु समूह के लोग इसके प्रमुख प्रभावित हैं। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक दबाव, वित्तीय संकट, नौकरी की अनियमितता और औद्योगिकीकरण के परिणाम स्थायी स्थिति में सुधार की जरूरत है। राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथRead more
भारत में युवाओं के बीच आत्महत्या एक चिंताजनक समस्या बन गई है और 15-29 आयु समूह के लोग इसके प्रमुख प्रभावित हैं। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, सामाजिक दबाव, वित्तीय संकट, नौकरी की अनियमितता और औद्योगिकीकरण के परिणाम स्थायी स्थिति में सुधार की जरूरत है।
राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति को सफल बनाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रदान महत्वपूर्ण है। युवाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य के लिए सुविधाएं बढ़ाना और सामाजिक चेतना बढ़ाना भी आवश्यक है।
दूसरी ओर, युवाओं के लिए रोजगार संभावनाएं और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना भी महत्वपूर्ण है। कौशल विकास और उचित प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें स्वावलंबी बनाना चाहिए।
समाज में जागरूकता फैलाने के लिए सामाजिक संगठनों और सरकारी अभियानों की आवश्यकता है। विभिन्न स्तरों पर शिक्षा, प्रशासनिक सुधार और संबंधित नीतियों का विकास करना आवश्यक है ताकि युवा जनसंख्या के बीच आत्महत्या को रोकने के लिए सामाजिक और मानसिक समर्थन में सुधार हो सके।
See lessभारतीय समाज पारम्परिक सामाजिक मूल्यों में निरंतरता कैसे बनाए रखता है ? इनमें होने वाले परिवर्तनों का विवरण दीजिए। (250 words) [UPSC 2021]
भारतीय समाज पारंपरिक सामाजिक मूल्यों में निरंतरता बनाए रखना और उनके परिवर्तनों का विवरण पारंपरिक सामाजिक मूल्यों में निरंतरता: संस्कार और परंपराएँ: भारतीय समाज में पारंपरिक संस्कार और परंपराएँ जैसे कि अतिथि देवो भवः, परिवार की केंद्रीय भूमिका, और आध्यात्मिकता को विशेष महत्व दिया जाता है। ये मूल्य पीRead more
भारतीय समाज पारंपरिक सामाजिक मूल्यों में निरंतरता बनाए रखना और उनके परिवर्तनों का विवरण
पारंपरिक सामाजिक मूल्यों में निरंतरता:
पारंपरिक मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों का विवरण:
निष्कर्ष:
भारतीय समाज पारंपरिक सामाजिक मूल्यों को निरंतर बनाए रखता है, जो संस्कार, धार्मिक आयोजनों, और संस्थागत परंपराओं के माध्यम से संभव होता है। हालांकि, आर्थिक और सामाजिक बदलाव, महिलाओं का सशक्तिकरण, तकनीकी प्रगति, और धार्मिक-सांस्कृतिक विविधता के चलते इन मूल्यों में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे जा रहे हैं। इन परिवर्तनों के साथ संतुलन बनाए रखना और समकालीन संदर्भ में पारंपरिक मूल्यों को पुनर्निर्मित करना भारतीय समाज के लिए एक चुनौती है।
See lessभारत में जातीय अस्मिता गतिशील और स्थिर दोनों ही क्यों है? (250 words) [UPSC 2023]
गतिशीलता के कारण: आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन: वैश्वीकरण, औद्योगिकीकरण, और शहरीकरण के साथ, जातीय अस्मिता की पहचान और अनुभव में परिवर्तन आया है। आर्थिक अवसरों और सामाजिक गतिशीलता के कारण जातियों के पारंपरिक कागजात और स्थिति में बदलाव देखा गया है। शैक्षिक और रोजगार के अवसर: शिक्षा और रोजगार के कRead more
गतिशीलता के कारण:
स्थिरता के कारण:
इस प्रकार, जातीय अस्मिता भारत में गतिशीलता और स्थिरता दोनों को दर्शाती है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के साथ बदलती है, जबकि पारंपरिक मान्यताएँ और सामाजिक संरचनाएँ इसे स्थिर बनाए रखने में योगदान करती हैं।
See lessवैदिक समाज और धर्म की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? क्या आप सोचते हैं कि उनमें से कुछ विशेषताएँ भारतीय समाज में अभी भी प्रचलित हैं? (250 words) [UPSC 2023]
वैदिक समाज और धर्म की मुख्य विशेषताएँ: धार्मिक ग्रंथ: वैदिक समाज की धार्मिक आस्थाएँ वेदों पर आधारित थीं, जिनमें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद शामिल हैं। वेदों में धार्मिक, दार्शनिक और वैज्ञानिक ज्ञान का समावेश था। धार्मिक अनुष्ठान: वैदिक धर्म में यज्ञ और हवन जैसे अनुष्ठान महत्वपूर्ण थे। इन अRead more
वैदिक समाज और धर्म की मुख्य विशेषताएँ:
समकालीन भारतीय समाज में प्रचलित विशेषताएँ:
हालांकि वैदिक समाज की संरचना और कुछ प्रथाएँ आधुनिक समाज में बदलाव के साथ विकसित हुई हैं, कई विशेषताएँ अब भी भारतीय समाज में प्रचलित हैं।
See lessक्या आप सोचते हैं कि, आधुनिक भारत में विवाह एक संस्कार के रूप में अपना मूल्य खोता जा रहा है? ( 150 Words) [UPSC 2023]
आधुनिक भारत में विवाह एक संस्कार के रूप में अपना पारंपरिक मूल्य खोता दिखाई दे रहा है, इसके कई कारण हैं: आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन: तेजी से बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्यों ने विवाह की परंपरागत धारणाओं को चुनौती दी है। महिलाओं की शिक्षा और रोजगार में वृद्धि ने विवाह की पारंपरिक भूमिका को बदल दियाRead more
आधुनिक भारत में विवाह एक संस्कार के रूप में अपना पारंपरिक मूल्य खोता दिखाई दे रहा है, इसके कई कारण हैं:
इन बदलते परिदृश्यों ने विवाह के पारंपरिक संस्कारात्मक मूल्य को चुनौती दी है, हालांकि कुछ क्षेत्रों और समुदायों में यह मूल्य अभी भी मजबूत है।
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