भारत की सरकार द्वारा निर्धनता उन्मूलन के विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के बावजूद, निर्धनता अभी भी विद्यमान है।’ कारण प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
जाति व्यवस्था और नई पहचानों का प्रभाव परिचय: जाति व्यवस्था भारत की सामाजिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नई पहचानों और सहकारी रूपों के साथ विकसित हो रही है। यह व्यवस्था सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं को दर्शाती है, लेकिन इसके उन्मूलन की संभावना पर विचार करते समय यह आवश्यक है कि इसे समग्र दृRead more
जाति व्यवस्था और नई पहचानों का प्रभाव
परिचय: जाति व्यवस्था भारत की सामाजिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नई पहचानों और सहकारी रूपों के साथ विकसित हो रही है। यह व्यवस्था सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं को दर्शाती है, लेकिन इसके उन्मूलन की संभावना पर विचार करते समय यह आवश्यक है कि इसे समग्र दृष्टिकोण से समझा जाए।
जाति व्यवस्था में नई पहचानों का समावेश:
- आधुनिक सामाजिक गतिशीलता:
- जाति व्यवस्था में नई पहचान और सहकारी स्वरूप जैसे कि “जाति आधारित जाति संघ” और “आत्म-सहायता समूह” ने जाति व्यवस्था को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है। उदाहरण के लिए, “स्वर्ण आयोग” और “शहरी अनुसूचित जाति” जैसे प्रयास जाति के पारंपरिक स्वरूप को चुनौती देते हैं और नए सामाजिक ढांचे को बढ़ावा देते हैं।
- आर्थिक और शैक्षिक परिवर्तन:
- आर्थिक प्रगति और शैक्षिक सुधार ने जाति आधारित भेदभाव को कम करने में योगदान दिया है। हाल ही में, “उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति और जनजाति छात्रों की संख्या में वृद्धि” ने जाति की परिभाषा को बदलने में मदद की है।
जाति व्यवस्था का उन्मूलन:
- संविधान और कानूनी सुधार:
- भारतीय संविधान और विभिन्न कानूनी सुधार जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में प्रयासरत हैं। हालांकि, जाति व्यवस्था के कुछ पहलू सामाजिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में गहराई से जुड़े हुए हैं।
- सामाजिक समरसता की दिशा:
- जाति व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करने के बजाय, सामाजिक समरसता और समाज में समानता को बढ़ावा देना अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण हो सकता है। “आत्म-सहायता समूहों” और “कला और सांस्कृतिक आदान-प्रदान” के माध्यम से जाति आधारित भेदभाव को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष: जाति व्यवस्था नई पहचानों और सहकारी रूपों के साथ बदल रही है, लेकिन इसका पूर्ण उन्मूलन एक जटिल प्रक्रिया है। जाति व्यवस्था को समझने और प्रासंगिक सुधार लागू करने की दिशा में सतत प्रयास महत्वपूर्ण हैं। सामाजिक समरसता और समानता को बढ़ावा देने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
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भारत सरकार द्वारा निर्धनता उन्मूलन के लिए कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं, जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA), प्रधानमंत्री आवास योजना और जन धन योजना। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद निर्धनता बनी हुई है, इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: अवसंरचना की कमी: ग्रामीण क्षेत्Read more
भारत सरकार द्वारा निर्धनता उन्मूलन के लिए कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं, जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA), प्रधानमंत्री आवास योजना और जन धन योजना। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद निर्धनता बनी हुई है, इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रभावी नीतियों और कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
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