भारत में निर्धनता और पर्यावरण क्षरण के बीच संबंध पर प्रकाश डालिए। निर्धनता में कमी करने से संबंधित प्रयास किस प्रकार संधारणीय विकास को बढ़ावा देने और पर्यावरण की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं? (250 शब्दों में ...
भारत में मलिन बस्तियों के निर्माण और प्रसार के कारक भारत में मलिन बस्तियाँ (slums) एक जटिल समस्या हैं, जिनके निर्माण और प्रसार के कई कारक हैं: शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि: तेजी से शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण नगरों और शहरों में आवास की मांग में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इससे गरीब तबकों को अस्थायी औRead more
भारत में मलिन बस्तियों के निर्माण और प्रसार के कारक
भारत में मलिन बस्तियाँ (slums) एक जटिल समस्या हैं, जिनके निर्माण और प्रसार के कई कारक हैं:
- शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि: तेजी से शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या के कारण नगरों और शहरों में आवास की मांग में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इससे गरीब तबकों को अस्थायी और अव्यवस्थित आवास मिलते हैं, जो मलिन बस्तियों का रूप ले लेते हैं।
- आर्थिक असमानता: आर्थिक असमानता और गरीबों की अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ भी मलिन बस्तियों के निर्माण में योगदान करती हैं। उच्च भूमि मूल्य और महंगे आवास विकल्प गरीबों के लिए उपलब्ध नहीं होते, जिसके परिणामस्वरूप वे मलिन बस्तियों में बस जाते हैं।
- प्रशासनिक और नियामक कमी: अव्यवस्थित भूमि उपयोग, कमजोर शहरी नियोजन, और प्रभावी नीति का अभाव मलिन बस्तियों के विस्तार को बढ़ावा देते हैं।
प्रधान मंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना में सुधार की आवश्यकता
1. योजना का दायरा और कार्यान्वयन
वर्तमान में, इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना का कार्यान्वयन असमान है। योजना को अधिक समावेशी और व्यापक बनाने की आवश्यकता है ताकि सभी मलिन बस्तियों को शामिल किया जा सके।
2. वित्तीय और तकनीकी सहायता
स्थानीय निकायों को आवश्यक वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए। इसके साथ ही, निर्माण और पुनर्विकास के लिए समुदाय आधारित दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए ताकि स्थानीय जरूरतों और प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समायोजित किया जा सके।
3. सामाजिक और आर्थिक स्थिरता
मलिन बस्तियों के पुनर्विकास में केवल भौतिक पुनर्निर्माण पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्थिरता पर भी ध्यान देना चाहिए। रोजगार सृजन, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
4. जनसहभागिता और निगरानी
योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जनसहभागिता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना चाहिए। स्थानीय निवासियों की भागीदारी से योजना की स्वीकार्यता बढ़ेगी और समस्याओं का समय पर समाधान हो सकेगा।
निष्कर्ष
मलिन बस्तियों की समस्या का समाधान एक बहुआयामी दृष्टिकोण की मांग करता है, जिसमें बेहतर नियोजन, वित्तीय प्रबंधन, और सामाजिक नीतियों का समन्वय शामिल हो। प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत इन-सीटू स्लम पुनर्विकास योजना में सुधार करके इस समस्या को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है।
निर्धनता और पर्यावरण क्षति दो गंभीर समस्याएं हैं जो एक-दूसरे से गहरे रूप से जुड़ी हैं। निर्धनता कम करने के प्रयास और पर्यावरण की सुरक्षा में सहायक हो सकते हैं। निर्धनता कम करने से संधारणीय विकास को बढ़ावा मिल सकता है। उचित आर्थिक संसाधनों के प्रयोग से निर्धन वर्ग को उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करनेRead more
निर्धनता और पर्यावरण क्षति दो गंभीर समस्याएं हैं जो एक-दूसरे से गहरे रूप से जुड़ी हैं। निर्धनता कम करने के प्रयास और पर्यावरण की सुरक्षा में सहायक हो सकते हैं।
निर्धनता कम करने से संधारणीय विकास को बढ़ावा मिल सकता है। उचित आर्थिक संसाधनों के प्रयोग से निर्धन वर्ग को उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद मिल सकती है। इससे उन्हें उचित शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और नौकरी के अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
पर्यावरण की सुरक्षा के मामले में, निर्धनता कम करने के प्रयास पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। धरती के संसाधनों का सही उपयोग करने के लिए निर्धन वर्ग को पर्यावरण संरक्षण के माध्यमों और तकनीकों की जानकारी प्रदान करने से उन्हें अपने पर्यावरण को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा, उचित जल, ऊर्जा, और वन्यजीव संसाधनों के उपयोग के लिए निर्धन वर्ग को प्रशिक्षण और संवेदनशीलता प्रदान करने से पर्यावरण की सुरक्षा में सुधार हो सकता है।
इस तरह, निर्धनता कम करने के प्रयास और पर्यावरण की सुरक्षा को बढ़ावा देने में विवेकपूर्ण एवं संवेदनशील प्रयासों के माध्यम से जोड़ा जा सकता है।
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