खाप पंचायतें संविधानेतर प्राधिकरणों के तौर पर प्रकार्य करने, अक्सर मानवाधिकार उल्लंघनों की कोटि में आने वाले निर्णयों को देने के कारण खबरों में बनी रही हैं। इस संबंध में स्थिति को ठीक करने के लिए विधानमंडल, कार्यपालिका और न्यायपालिका ...
दबाव समूहें सामाजिक, राजनीतिक, या आर्थिक दबाव बनाने के लिए संगठित या असंगठित तरीकों से एकत्रित व्यक्तियों के समूह होते हैं। ये समूह अक्सर अपने हितों को प्राप्त करने के लिए शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और निर्णयकर्ताओं पर दबाव डालते हैं। दबाव समूहों के उपयोग कई रूपों में देखे जा सकते हैं। कुछ उदाहरण निRead more
दबाव समूहें सामाजिक, राजनीतिक, या आर्थिक दबाव बनाने के लिए संगठित या असंगठित तरीकों से एकत्रित व्यक्तियों के समूह होते हैं। ये समूह अक्सर अपने हितों को प्राप्त करने के लिए शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और निर्णयकर्ताओं पर दबाव डालते हैं।
दबाव समूहों के उपयोग कई रूपों में देखे जा सकते हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- लॉबी ग्रुप्स: व्यापारिक संगठन जो सरकारी नीतियों पर अपने हितों की प्राथमिकता प्राप्त करने के लिए लॉबिंग करते हैं।
- उद्योग संगठन: उद्योगों के समूह जो अपने हितों के प्राप्ति के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करते हैं।
- सामाजिक दबाव समूह: राजनीतिक या सामाजिक मुद्दों पर दबाव बनाने वाले समूह जैसे किसान मोर्चे, युवा संगठनें, महिला समूहें आदि।
- धर्मिक संगठन: धर्म से जुड़े समूह जो अपने धार्मिक मान्यताओं की रक्षा के लिए दबाव डालते हैं।
इन समूहों का दबाव अक्सर नीतिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं पर असर डालता है और समाज में बदलाव लाने में मददगार हो सकता हैं।
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दबाव समूह और भारतीय राजनीतिक प्रक्रम दबाव समूह भारतीय राजनीतिक प्रक्रम को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं: 1. नीतिगत प्रभाव: दबाव समूह सरकार और राजनीतिक दलों पर नीतिगत फैसलों को प्रभावित करने का दबाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, किसान संघ और संघटन कृषि नीतियों में बदलाव के लिए प्रभावशाली रहे हैं। 2Read more
दबाव समूह और भारतीय राजनीतिक प्रक्रम
दबाव समूह भारतीय राजनीतिक प्रक्रम को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं:
1. नीतिगत प्रभाव: दबाव समूह सरकार और राजनीतिक दलों पर नीतिगत फैसलों को प्रभावित करने का दबाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, किसान संघ और संघटन कृषि नीतियों में बदलाव के लिए प्रभावशाली रहे हैं।
2. जनमत निर्माण: ये समूह जनमत को आकार देते हैं और सार्वजनिक मुद्दों पर सचेतता फैलाते हैं, जिससे सरकार की नीतियों पर प्रभाव पड़ता है।
3. लॉबीइंग और शिष्टाचार: दबाव समूह अक्सर लॉबीइंग और शिष्टाचार के माध्यम से अपने मुद्दों को प्रमुखता दिलाते हैं, जिससे सरकार की प्राथमिकताओं पर असर पड़ता है।
अनौपचारिक बनाम औपचारिक दबाव समूह: हाल के वर्षों में, अनौपचारिक दबाव समूह, जैसे कि सोशल मीडिया के माध्यम से सक्रिय ऑनलाइन मोर्चे और अदृश्य नेटवर्क, औपचारिक दबाव समूहों की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली हो गए हैं। ये समूह त्वरित और व्यापक जन समर्थन प्राप्त करने में सक्षम हैं, और इसी कारण से अधिक शक्ति और प्रभाव के रूप में उभरे हैं।
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