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भारत के वित्तीय आयोग का गठन किस प्रकार किया जाता है? हाल में गठित वित्तीय आयोग के विचारार्थ विषय (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) के बारे में आप क्या जानते हैं? विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2018]
भारत के वित्तीय आयोग का गठन और टर्म्स ऑफ रेफरेंस वित्तीय आयोग का गठन: भारत में वित्तीय आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है। इसका उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण और संघीय वित्तीय संबंधों को व्यवस्थित करना है। वित्तीय आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपतिRead more
भारत के वित्तीय आयोग का गठन और टर्म्स ऑफ रेफरेंस
वित्तीय आयोग का गठन:
भारत में वित्तीय आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है। इसका उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण और संघीय वित्तीय संबंधों को व्यवस्थित करना है। वित्तीय आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। आयोग में एक अध्यक्ष और एक या दो सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य आमतौर पर वित्तीय और प्रशासनिक अनुभव वाले व्यक्ति होते हैं।
हाल में गठित वित्तीय आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस:
1. वित्तीय समन्वय: आयोग को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय समन्वय के लिए सुझाव देने का कार्य सौंपा गया है। इसमें राज्य सरकारों को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता और उनकी योजनाओं के लिए आवश्यक अनुदान की सिफारिश शामिल है।
2. संसाधनों का वितरण: आयोग को यह तय करने की जिम्मेदारी दी जाती है कि केंद्रीय वित्तीय संसाधनों का वितरण राज्यों के बीच किस प्रकार किया जाएगा। इसमें केंद्रीय करों के आवंटन और राज्यों को दिए जाने वाले वित्तीय हिस्से की सिफारिश करना शामिल है।
3. ऋण और अन्य वित्तीय मामलों पर सलाह: आयोग को राज्य सरकारों के ऋणों की स्थिति और उनकी वित्तीय स्थिरता पर भी सलाह देने का कार्य सौंपा गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्यों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ रहे, आयोग राज्य सरकारों के ऋण प्रबंधन और वित्तीय अनुशासन पर भी विचार करता है।
4. विशेष समस्याओं पर ध्यान: आयोग को उन राज्यों या क्षेत्रों के लिए विशेष समाधान सुझाने का भी कार्य सौंपा गया है जो आर्थिक रूप से पिछड़े या विशेष समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसमें विशेष अनुदान और वित्तीय सहायता की सिफारिश करना शामिल हो सकता है।
5. रिपोर्ट और सिफारिशें: वित्तीय आयोग अपनी रिपोर्ट को राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जिसमें वे अपने सिफारिशों को विस्तृत रूप से बताते हैं। रिपोर्ट को सरकार द्वारा लागू करने के लिए उचित कदम उठाए जाते हैं।
उपसंहार:
वित्तीय आयोग का गठन और इसके टर्म्स ऑफ रेफरेंस भारत के संघीय वित्तीय संरचना को संतुलित और व्यवस्थित रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। आयोग के द्वारा की जाने वाली सिफारिशें और उनके आधार पर उठाए गए कदम केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सहयोग को सुगम बनाते हैं और आर्थिक समन्वय को सुनिश्चित करते हैं।
See lessकेन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में वित्त आयोग की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2022]
वित्त आयोग की भूमिका: केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में समालोचनात्मक परीक्षण 1. वित्त आयोग की संरचना और कार्य: वित्त आयोग संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक संस्था है, जिसका मुख्य कार्य केन्द्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण सुनिश्चित करना है। आयोग हर पाँच वर्ष में पुनर्निर्धारित होतRead more
वित्त आयोग की भूमिका: केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में समालोचनात्मक परीक्षण
1. वित्त आयोग की संरचना और कार्य:
2. वित्त आयोग की भूमिका:
3. समालोचनात्मक दृष्टिकोण:
निष्कर्ष
वित्त आयोग केन्द्र-राज्य वित्तीय सम्बन्धों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसकी सिफारिशों और उनके प्रभाव पर निरंतर समालोचनात्मक मूल्यांकन आवश्यक है। आयोग को आर्थिक असमानताओं और वित्तीय घाटों को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशों को सुधारना चाहिए।
See lessभारत के 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों ने राज्यों को अपनी राजकोषीय स्थिति सुधारने में कैसे सक्षम किया है? (150 words) [UPSC 2021]
भारत के 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से राज्यों की राजकोषीय स्थिति में सुधार 1. केंद्रीय करों में बढ़ी भागीदारी: 14वें वित्त आयोग ने राज्यों को केंद्रीय करों में उनकी हिस्सेदारी 32% से बढ़ाकर 42% कर दी। इससे राज्यों को अधिक वित्तीय संसाधन प्राप्त हुए, जिससे उनके राजकोषीय स्थिति में सुधार हुआ। 2.Read more
भारत के 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से राज्यों की राजकोषीय स्थिति में सुधार
1. केंद्रीय करों में बढ़ी भागीदारी: 14वें वित्त आयोग ने राज्यों को केंद्रीय करों में उनकी हिस्सेदारी 32% से बढ़ाकर 42% कर दी। इससे राज्यों को अधिक वित्तीय संसाधन प्राप्त हुए, जिससे उनके राजकोषीय स्थिति में सुधार हुआ।
2. लचीले अनुदान: आयोग ने प्रदर्शन आधारित अनुदान और बिना शर्त अनुदान की सिफारिश की, जिससे राज्यों को अपने अनुसार धन का उपयोग करने की स्वतंत्रता मिली। यह स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार खर्च करने में सहायक साबित हुआ।
3. ऋण प्रबंधन: आयोग ने राज्यों के ऋण प्रबंधन के लिए ऋण राहत कोष की सिफारिश की, जिससे राज्यों को अपने ऋण बोझ को कम करने और राजकोषीय स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली।
4. राजकोषीय जिम्मेदारी: आयोग ने राजकोषीय जिम्मेदारी के मानदंडों का पालन करने की सिफारिश की, जिससे बेहतर वित्तीय प्रबंधन और अनुशासन को बढ़ावा मिला।
निष्कर्ष: 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों ने राज्यों को अधिक संसाधन, लचीलापन और बेहतर ऋण प्रबंधन के माध्यम से अपनी राजकोषीय स्थिति सुधारने में सक्षम किया।
See lessआदर्श आचार-संहिता के उद्भव के आलोक में, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका का विवेचन कीजिए । (250 words) [UPSC 2022]
आदर्श आचार-संहिता के उद्भव के आलोक में, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका 1. निर्वाचन आयोग की भूमिका भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है जो संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति-उपाध्यक्ष चुनावों का आयोजन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता, निष्पक्षता, औरRead more
आदर्श आचार-संहिता के उद्भव के आलोक में, भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका
1. निर्वाचन आयोग की भूमिका
भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) एक स्वायत्त संवैधानिक संस्था है जो संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति-उपाध्यक्ष चुनावों का आयोजन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता, निष्पक्षता, और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना है।
प्रमुख जिम्मेदारियाँ:
2. आदर्श आचार-संहिता (MCC) का उद्भव और विकास
उद्भव: आदर्श आचार-संहिता (MCC) की शुरुआत 1968 में की गई थी। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और व्यवस्थित बनाए रखना है और सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण को नियंत्रित करना है। यह संहिता चुनावी वातावरण को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और पारदर्शी बनाने के लिए बनाई गई थी।
विकास:
हालिया उदाहरण: 2019 के आम चुनाव में MCC का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया गया। निर्वाचन आयोग ने सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग और सोशल मीडिया पर अनुचित प्रचार के खिलाफ कार्रवाई की, जो MCC के विकसित स्वरूप को दर्शाता है।
निष्कर्ष: भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका आदर्श आचार-संहिता के माध्यम से चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है। MCC का विकास और कार्यान्वयन आयोग के प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह चुनावी प्रक्रिया को समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुसार समायोजित करता है।
See lessराष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सांविधिक निकाय से संवैधानिक निकाय में रूपांतरण को ध्यान में रखते हुए इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) का सांविधिक निकाय से संवैधानिक निकाय में रूपांतरण भारतीय समाज में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इस परिवर्तन से आयोग को अधिक प्रभावशाली और स्वतंत्र भूमिका मिलती है। संविधानिक स्थिति प्राप्त करने के बाद, NCBC को स्वतंत्रता और शक्ति पRead more
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) का सांविधिक निकाय से संवैधानिक निकाय में रूपांतरण भारतीय समाज में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इस परिवर्तन से आयोग को अधिक प्रभावशाली और स्वतंत्र भूमिका मिलती है।
संविधानिक स्थिति प्राप्त करने के बाद, NCBC को स्वतंत्रता और शक्ति प्राप्त होती है कि वह अधिक प्रभावी ढंग से अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सामाजिक और आर्थिक उन्नयन के लिए काम कर सके। आयोग का यह नया दर्जा उसे स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देता है और उसके सुझाव और सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी हो सकती हैं।
इससे आयोग की सिफारिशों की गंभीरता और महत्व में वृद्धि होगी, जिससे सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। यह बदलाव अनुसूचित जातियों और जनजातियों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देगा।
See lessअधिकरण क्या हैं? अनुच्छेद 323A, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323B से किस प्रकार भिन्न है?(उत्तर 200 शब्दों में दें)
अधिकरण एक शक्ति या अधिकार होता है जो किसी व्यक्ति, संगठन, या सरकारी अधिकारी को निर्धारित कार्य करने की अनुमति देता है। अधिकरण संविधान, कानून, नियमों या प्रथाओं द्वारा प्राप्त किया जाता है और समाज में व्यवस्था और न्याय को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुच्छेद 323A और अनुच्छेद 323B Read more
अधिकरण एक शक्ति या अधिकार होता है जो किसी व्यक्ति, संगठन, या सरकारी अधिकारी को निर्धारित कार्य करने की अनुमति देता है। अधिकरण संविधान, कानून, नियमों या प्रथाओं द्वारा प्राप्त किया जाता है और समाज में व्यवस्था और न्याय को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अनुच्छेद 323A और अनुच्छेद 323B दो संविधानीय प्रावधान हैं जो भारतीय संविधान में संबंधित हैं।
इस प्रकार, अनुच्छेद 323A और 323B दोनों वर्गीकृत सेवा संबंधित विषयों पर न्यायाधिकरण और सेवा आयोग की स्थापना के लिए विवरण प्रदान करते हैं, परंतु उनके अधिकार और कार्यक्षेत्र में भिन्नता है।
See lessयू.पी.एस.सी. की भूमिका का विवरण दीजिए। साथ ही, यू.पी.एस.सी. की स्वतंत्रता और निष्पक्ष कामकाज की सुरक्षा और उन्हें बनाए रखने के लिए संवैधानिक प्रावधानों को सूचीबद्ध कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
यू.पी.एस.सी. (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की भूमिका: यू.पी.एस.सी. भारत सरकार के अधीन संघीय सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया का प्रबंधन करने वाला अभिकरण है। इसका मुख्य उद्देश्य संविधानीय प्रक्रिया के माध्यम से उच्च गुणवत्ता और निष्पक्षता से भर्ती प्रक्रिया को संचालित करना है। यू.पी.एस.सी. की स्वतंत्रताRead more
यू.पी.एस.सी. (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) की भूमिका:
यू.पी.एस.सी. भारत सरकार के अधीन संघीय सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया का प्रबंधन करने वाला अभिकरण है। इसका मुख्य उद्देश्य संविधानीय प्रक्रिया के माध्यम से उच्च गुणवत्ता और निष्पक्षता से भर्ती प्रक्रिया को संचालित करना है।
यू.पी.एस.सी. की स्वतंत्रता और निष्पक्ष कामकाज की सुरक्षा:
संवैधानिक प्रावधानों की सूची:
यू.पी.एस.सी. की स्वतंत्रता और निष्पक्षता की सुरक्षा और संविधानिक प्रावधानों की महत्वपूर्ण भूमिका भारतीय संविधान में निर्धारित की गई है।
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