कृषि में मृदा प्रोफाइल एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्या आप सहमत हैं ? (125 Words) [UPPSC 2023]
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1960 के दशक में शुद्ध खाद्य आयातक से भारत के विश्व में एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- हरित क्रांति: 1960 के दशक के अंत में, हरित क्रांति के अंतर्गत नई कृषि तकनीकों और उच्च उपज वाली किस्मों का परिचय हुआ। इससे भारत ने खाद्य उत्पादन में तेजी से वृद्धि की। विशेष रूप से, गेहूं और चावल की फसल में सुधार हुआ, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई और अधिशेष उत्पादन हुआ।
- सिंचाई परियोजनाएँ: बड़े पैमाने पर सिंचाई परियोजनाओं का कार्यान्वयन, जैसे कि नहरों और जलाशयों का निर्माण, ने कृषि उत्पादन को बढ़ाया। इससे भूमि की अधिकतम उपयोगिता और वर्षा के आधार पर निर्भरता कम हुई, जिससे स्थिर और बढ़ी हुई फसलें सुनिश्चित हुईं।
- कृषि अनुसंधान और प्रौद्योगिकी: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और अन्य संस्थानों द्वारा कृषि अनुसंधान और विकास ने नई तकनीकों, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा दिया। इससे उत्पादकता में सुधार हुआ और उत्पादन की लागत कम हुई।
- सरकारी नीतियाँ: भारतीय सरकार ने कृषि क्षेत्र में समर्थन मूल्य योजनाओं, सब्सिडी और क्रेडिट सुविधाओं के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित किया। इन नीतियों ने उत्पादन बढ़ाने में मदद की और किसानों को लाभकारी कीमतों पर फसल बेचने के लिए प्रेरित किया।
- उत्पादन की विविधता: भारत ने केवल खाद्यान्नों का उत्पादन नहीं बढ़ाया, बल्कि अन्य फसलों जैसे कि दालें, तेल बीज, और ताजे फल भी उगाए, जो निर्यात के लिए उपलब्ध थे।
- वैश्विक बाजार में प्रवेश: भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों और वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति को बढ़ावा दिया। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की और एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरा।
इन कारणों के परिणामस्वरूप, भारत ने खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की और वैश्विक खाद्य बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया।
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कृषि में मृदा प्रोफाइल की भूमिका 1. उर्वरता निर्धारण: मृदा प्रोफाइल में मृदा की परतें और उनकी संरचना उर्वरता को निर्धारित करती हैं। ऊपरी परत में ह्यूमस और पोषक तत्वों की उपलब्धता फसलों की वृद्धि पर सीधा असर डालती है। 2. जल संचयन: मृदा प्रोफाइल का जल धारण क्षमता फसलों की जल आपूर्ति और सिंचाई की आवश्यRead more
कृषि में मृदा प्रोफाइल की भूमिका
1. उर्वरता निर्धारण: मृदा प्रोफाइल में मृदा की परतें और उनकी संरचना उर्वरता को निर्धारित करती हैं। ऊपरी परत में ह्यूमस और पोषक तत्वों की उपलब्धता फसलों की वृद्धि पर सीधा असर डालती है।
2. जल संचयन: मृदा प्रोफाइल का जल धारण क्षमता फसलों की जल आपूर्ति और सिंचाई की आवश्यकता को प्रभावित करती है। पानी के स्तर और संचयन क्षमता की जानकारी से बेहतर कृषि प्रबंधन संभव है।
3. रूट विकास: मृदा की गहराई और सघनता पौधों की जड़ प्रणाली के विकास को प्रभावित करती है। एक अच्छा मृदा प्रोफाइल जड़ों को गहराई से विकास करने की सुविधा देता है।
4. नियंत्रण और सुधार: सही मृदा प्रोफाइल का अध्ययन मृदा सुधार और नियंत्रण उपायों की योजना बनाने में मदद करता है, जिससे कृषि उत्पादन में सुधार होता है।
निष्कर्ष: मृदा प्रोफाइल कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उर्वरता, जल संचयन, और पौधों के विकास को प्रभावित करता है। सही मृदा प्रोफाइल का अध्ययन कृषि प्रबंधन में सुधार के लिए आवश्यक है।
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