1960 के दशक में शुद्ध खाद्य आयातक से, भारत विश्व में एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरा। कारण दीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली दहन वायु प्रदूषण की महामारी के रूप में सामान्य हो गया है, खासकर शीतकालीन महीनों में। यह वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और एक सामाजिक-आर्थिक मुद्दा भी बन चुका है। समस्या का समाधान तकनीकी, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलों से होना चाहिए। पहले, कृषि प्रौद्योगिकियोRead more
उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली दहन वायु प्रदूषण की महामारी के रूप में सामान्य हो गया है, खासकर शीतकालीन महीनों में। यह वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और एक सामाजिक-आर्थिक मुद्दा भी बन चुका है।
समस्या का समाधान तकनीकी, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलों से होना चाहिए। पहले, कृषि प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके फसल अवशेष को नष्ट करने के लिए उन्नत तरीके विकसित करने चाहिए। दूसरे, किसानों की जागरूकता बढ़ानी चाहिए ताकि उन्हें पराली का सही तरीके से प्रबंधन करने के लिए जागरूक किया जा सके।
समाज में जागरूकता फैलाने के लिए सरकार को जन साझेदारी योजनाएं चलानी चाहिए। इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर सामुदायिक संगठनों को समर्थित करना चाहिए ताकि उन्हें स्थानीय स्तर पर समस्या का सामना करने में मदद मिल सके।
इस समस्या का समाधान केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी होना चाहिए। सरकार को नीतियों और योजनाओं के माध्यम से समस्या का समाधान करने में सक्षम होना चाहिए, जैसे कि पराली का उपयोग और उसके प्रबंधन के लिए निर्देशिकाएं जारी करना।
इस प्रकार, तकनीकी, सामाजिक और आर्थिक पहलों को मिलाकर एक समग्र समाधान विकसित किया जा सकता है जो उत्तर भारत में फसल अवशेष और पराली दहन से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान कर सकता है।
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1960 के दशक में शुद्ध खाद्य आयातक से भारत के विश्व में एक शुद्ध खाद्य निर्यातक के रूप में उभरने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
इन कारणों के परिणामस्वरूप, भारत ने खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की और वैश्विक खाद्य बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया।
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