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प्रधान मंत्री जन-धन योजना (पी० एम० जे० डी० वाइ०) बैंकरहितों को संस्थागत वित्त में लाने के लिए आवश्यक है। क्या आप सहमत हैं कि इससे भारतीय समाज के गरीब तबके के लोगों का वित्तीय समावेश होगा? अपने मत की पुष्टि के लिए तर्क प्रस्तुत कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMJDY) और वित्तीय समावेश वित्तीय समावेश की दिशा में प्रभाव: 1. बैंकिंग पहुँच: प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) का उद्देश्य बैंकरहित लोगों को संस्थानिक वित्त से जोड़ना है। इस योजना के तहत, 2014 से शुरू होकर, लाखों लोगों को बैंक खाते खोले गए हैं, जिनमें न्यूनतम बैलेंस की आवशRead more
प्रधान मंत्री जन-धन योजना (PMJDY) और वित्तीय समावेश
वित्तीय समावेश की दिशा में प्रभाव:
1. बैंकिंग पहुँच: प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) का उद्देश्य बैंकरहित लोगों को संस्थानिक वित्त से जोड़ना है। इस योजना के तहत, 2014 से शुरू होकर, लाखों लोगों को बैंक खाते खोले गए हैं, जिनमें न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता नहीं होती।
2. सामाजिक सुरक्षा: PMJDY खाताधारकों को साधारण बचत खातों के साथ-साथ बीमा कवर (जैसे कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन जॉति बीमा योजना) भी प्रदान किया गया है। इससे गरीब तबके को आर्थिक सुरक्षा और सवास्थ्य लाभ मिल रहा है।
3. डिजिटल लेनदेन: योजना के अंतर्गत, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दिया गया है। जनधन खातों की डिजिटल बैंकिंग सुविधाएँ जैसे कि AEPS (आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) और UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) ने वित्तीय समावेश को सुगम बनाया है।
4. सरकारी लाभ: PMJDY के अंतर्गत सरकारी सब्सिडी और लाभार्थियों के भुगतान सीधे खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं, जो वित्तीय समावेश को बढ़ावा देते हैं। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री आवास योजना और राशन वितरण के लिए खातों का उपयोग किया जाता है।
विवाद और चुनौतियाँ:
1. डिजिटल साक्षरता: डिजिटल साक्षरता की कमी गरीब तबके के लिए वित्तीय समावेश में बाधा बन सकती है। कई ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में लोग डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं।
2. बैंकिंग सुविधाएँ: कई क्षेत्रों में बैंक शाखाओं और ATM की कमी भी वित्तीय समावेश में रुकावट डालती है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) ने भारतीय समाज के गरीब तबके को वित्तीय समावेश के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यद्यपि कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं, इस योजना ने बैंकरहित लोगों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान कर आर्थिक समावेशिता में सुधार किया है।
See lessभारत की संभाव्य संवृद्धि के अनेक कारको में बचत दर, सर्वाधिक प्रभावी है। क्या आप इससे सहमत हैं ? संवृद्धि संभाव्यता के अन्य कौन से कारक उपलब्ध हैं ? (150 words) [UPSC 2017]
भारत की संभाव्य संवृद्धि में बचत दर की भूमिका: 1. बचत दर का महत्व: पूंजी निर्माण: उच्च बचत दर पूंजी निर्माण को बढ़ावा देती है, जो आधारभूत संरचना, तकनीकी उन्नति, और उद्योगों में निवेश के लिए आवश्यक है। हाल के वर्षों में, भारत की सकल घरेलू बचत दर लगभग 30% रही है, जो आर्थिक विकास को समर्थन प्रदान करतीRead more
भारत की संभाव्य संवृद्धि में बचत दर की भूमिका:
1. बचत दर का महत्व:
2. संवृद्धि संभाव्यता के अन्य कारक:
**1. मानव संसाधन विकास:
**2. आधारभूत संरचना विकास:
**3. प्रौद्योगिकी और नवाचार:
**4. आर्थिक सुधार:
इस प्रकार, जबकि बचत दर आर्थिक स्थिरता और पूंजी निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है, मानव संसाधन विकास, आधारभूत संरचना, प्रौद्योगिकी और आर्थिक सुधार भी भारत की संवृद्धि संभाव्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessयह तर्क दिया जाता है कि समावेशी संवृद्धि की रणनीति का आशय एकसाथ समावेशिता और धारणीयता के उद्देश्यों को प्राप्त किया जाना है। इस कथन पर टिप्पणी कीजिए। (250 words) [UPSC 2019]
समावेशी संवृद्धि की रणनीति: समावेशिता और धारणीयता का समन्वय 1. समावेशी संवृद्धि का आशय: समावेशी संवृद्धि एक ऐसी रणनीति है जिसका उद्देश्य सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों को विकास की धारा में शामिल करना है। इसका लक्ष्य केवल आर्थिक वृद्धि नहीं है, बल्कि सामाजिक समानता और धारणीयता को भी सुनिश्चित करना है।Read more
समावेशी संवृद्धि की रणनीति: समावेशिता और धारणीयता का समन्वय
1. समावेशी संवृद्धि का आशय:
2. समावेशिता की दिशा:
3. धारणीयता की दिशा:
4. प्रासंगिक उदाहरण:
5. चुनौतियाँ और समाधान:
समावेशी संवृद्धि की रणनीति समाज और पर्यावरण दोनों की धारणीयता को सुनिश्चित करने के लिए समाज के सभी वर्गों को विकास की धारा में शामिल करने की दिशा में एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
See lessसमावेशी संवृद्धि एवं संपोषणीय विकास के परिप्रेक्ष्य में, आंतर्पीढ़ी एवं अंतर्पीढ़ी साम्या के विषयों की व्याख्या कीजिए। (150 words) [UPSC 2020]
आंतर्पीढ़ी (Intra-regional) और अंतर्पीढ़ी (Inter-regional) साम्या की व्याख्या आंतर्पीढ़ी साम्या: परिभाषा: एक ही क्षेत्र के भीतर विभिन्न सामाजिक और आर्थिक समूहों के बीच समानता। उदाहरण: आंध्र प्रदेश में अमरावती का विकास - इस परियोजना ने न केवल क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दिया बल्कि स्थानीय जनसंख्या के लRead more
आंतर्पीढ़ी (Intra-regional) और अंतर्पीढ़ी (Inter-regional) साम्या की व्याख्या
आंतर्पीढ़ी साम्या:
अंतर्पीढ़ी साम्या:
समावेशी संवृद्धि एवं संपोषणीय विकास के परिप्रेक्ष्य में:
इन उपायों के माध्यम से समावेशी संवृद्धि और संपोषणीय विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है, जो सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देते हैं।
See less"तीव्रतर एवं समावेशी आर्थिक संवृद्धि के लिए आधारिक-अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।" भारतीय अनुभव के परिप्रेक्ष्य में विवेचना कीजिए। (250 words) [UPSC 2021]
आधारिक-अवसंरचना में निवेश और समावेशी आर्थिक संवृद्धि आधारिक-अवसंरचना का महत्व: आधारिक-अवसंरचना में निवेश आर्थिक संवृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उत्पादन और वितरण क्षमताओं को बढ़ाता है, रोजगार सृजन करता है, और समग्र जीवन गुणवत्ता में सुधार करता है। इसके अलावा, यह आर्थिक विकास के लिए एक मजबूतRead more
आधारिक-अवसंरचना में निवेश और समावेशी आर्थिक संवृद्धि
आधारिक-अवसंरचना का महत्व: आधारिक-अवसंरचना में निवेश आर्थिक संवृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उत्पादन और वितरण क्षमताओं को बढ़ाता है, रोजगार सृजन करता है, और समग्र जीवन गुणवत्ता में सुधार करता है। इसके अलावा, यह आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
भारतीय अनुभव:
चुनौतियाँ और सुझाव:
निष्कर्ष: भारत में आधारिक अवसंरचना में निवेश ने समावेशी आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहित किया है, लेकिन असमान विकास और वित्तीय चुनौतियों को संबोधित करने के लिए सतत और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। यह निवेश न केवल आर्थिक विकास को तेज करता है बल्कि सामाजिक समावेश और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है।
See lessक्या बाज़ार अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत समावेशी विकास संभव है ? भारत में आर्थिक विकास की प्राप्ति के लिए वित्तीय समावेश के महत्त्व का उल्लेख कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
क्या बाज़ार अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत समावेशी विकास संभव है? बाज़ार अर्थव्यवस्था और समावेशी विकास: बाज़ार अर्थव्यवस्था में समावेशी विकास संभव है, लेकिन इसके लिए सही नीतियों और नियामक ढांचे की आवश्यकता होती है। समावेशी विकास का मतलब है कि आर्थिक विकास का लाभ सभी समाज के वर्गों तक पहुंचे, न कि केवल कुछRead more
क्या बाज़ार अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत समावेशी विकास संभव है?
बाज़ार अर्थव्यवस्था और समावेशी विकास:
बाज़ार अर्थव्यवस्था में समावेशी विकास संभव है, लेकिन इसके लिए सही नीतियों और नियामक ढांचे की आवश्यकता होती है। समावेशी विकास का मतलब है कि आर्थिक विकास का लाभ सभी समाज के वर्गों तक पहुंचे, न कि केवल कुछ विशेष समूहों तक सीमित रहे।
हाल के उदाहरण:
इन पहलों से यह स्पष्ट होता है कि बाज़ार अर्थव्यवस्था के अंतर्गत समावेशी विकास संभव है, बशर्ते कि नीति निर्धारण और कार्यक्रमों का ध्यान सभी समाज के वर्गों की जरूरतों पर केंद्रित हो।
See lessदेश के सभी हिस्सों में प्राकृतिक गैस के पर्याप्त और समान वितरण की उपलब्धता एक समान आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति हासिल करने में कैसे मदद कर सकती है? इस संदर्भ में भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?(150 शब्दों में उत्तर दें)
देश के सभी हिस्सों में प्राकृतिक गैस का पर्याप्त और समान वितरण आर्थिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ऊर्जा स्रोत ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण, रोजगार सृजन और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाता है। साथ ही, यह ऊर्जा की सस्ती उपलब्धता के कारण खाद्यRead more
देश के सभी हिस्सों में प्राकृतिक गैस का पर्याप्त और समान वितरण आर्थिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ऊर्जा स्रोत ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण, रोजगार सृजन और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाता है। साथ ही, यह ऊर्जा की सस्ती उपलब्धता के कारण खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार करता है।
भारत को इस संदर्भ में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रमुख चुनौतियाँ हैं:
इन चुनौतियों को सुलझाने के लिए बेहतर अवसंरचना विकास और नीति सुधार की आवश्यकता है।
See less. क्या आप इस बात से सहमत हैं कि आर्थिक सुधार के बाद की अवधि में उच्च आर्थिक संवृद्धि के परिणामस्वरूप संवृद्धि का लाभ हाशिए पर मौजूद वर्गों तक नहीं पहुंच पाया है, जिससे समावेशी विकास चिंता का एक प्रमुख विषय बन गया है? अपने उत्तर का औचित्य सिद्ध </strong><strong>कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
हाँ, यह कहना उचित है कि आर्थिक सुधार के बाद की अवधि में उच्च आर्थिक संवृद्धि के परिणामस्वरूप संवृद्धि का लाभ हाशिए पर मौजूद वर्गों तक नहीं पहुंच पाया है, और समावेशी विकास एक प्रमुख चिंता बन गया है। इसके औचित्य के निम्नलिखित कारण हैं: आय असमानता: आर्थिक सुधारों ने समग्र GDP वृद्धि को बढ़ाया, लेकिन इसRead more
हाँ, यह कहना उचित है कि आर्थिक सुधार के बाद की अवधि में उच्च आर्थिक संवृद्धि के परिणामस्वरूप संवृद्धि का लाभ हाशिए पर मौजूद वर्गों तक नहीं पहुंच पाया है, और समावेशी विकास एक प्रमुख चिंता बन गया है। इसके औचित्य के निम्नलिखित कारण हैं:
आय असमानता: आर्थिक सुधारों ने समग्र GDP वृद्धि को बढ़ाया, लेकिन इस वृद्धि का लाभ अमीर वर्गों और बड़े शहरों तक सीमित रहा, जबकि गरीब और हाशिए पर मौजूद वर्गों को इसका समान लाभ नहीं मिला।
संवृद्धि का असमान वितरण: शहरी क्षेत्रों और औद्योगिक क्षेत्रों में अधिक निवेश होने से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में विकास की दर धीमी रही, जिससे असमानता बढ़ी।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: हाशिए पर मौजूद वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पाया।
इन कारणों से, समावेशी विकास, जो हर वर्ग को आर्थिक लाभ और अवसर प्रदान करता है, चिंता का एक प्रमुख विषय बन गया है।
See lessसमावेशी विकास की अवधारणा समझाइये। भारत में समावेशी विकास के क्या मुद्दे एवं चुनौतियाँ हैं ? स्पष्ट कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
समावेशी विकास की अवधारणा 1. परिभाषा और उद्देश्य: समावेशी विकास एक ऐसी अवधारणा है जिसमें सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों को विकास के लाभ समान रूप से मिलें। इसका उद्देश्य सभी व्यक्तियों और समूहों के लिए आर्थिक अवसर, सामाजिक समानता, और समान विकास सुनिश्चित करना है। इसमें गरीबों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, औरRead more
समावेशी विकास की अवधारणा
1. परिभाषा और उद्देश्य:
भारत में समावेशी विकास के मुद्दे और चुनौतियाँ
1. सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ:
2. शिक्षा और स्वास्थ्य:
3. लैंगिक असमानता:
4. बेरोजगारी और स्वरोजगार:
निष्कर्ष
समावेशी विकास की अवधारणा का उद्देश्य सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना है। भारत में सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ, शिक्षा और स्वास्थ्य की असमानता, लैंगिक असमानता, और बेरोजगारी जैसी चुनौतियाँ इस उद्देश्य को पूरा करने में बाधक हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए समन्वित और सतत प्रयासों की आवश्यकता है।
See lessउत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोशिश एक आधार है। चर्चा कीजिए। साथ ही, इसके उद्देश्यों को प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों का भी उल्लेख कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना भारतीय सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है। यह योजना विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है। यह उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने के लिए उत्कृष्Read more
उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना भारतीय सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है। यह योजना विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है। यह उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने के लिए उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए उन्नत तकनीकी और उत्पादकता को प्रोत्साहित करने के लिए माध्यम से विभिन्न उद्यमों को प्रेरित करती है।
इसके साथ ही, इस योजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने में कई चुनौतियाँ हैं। उनमें तकनीकी नवाचार, विपणन, और आपरेशनल क्षमता में सुधार करने की जरुरत है। साथ ही, विदेशी प्रतिस्पर्धा और वित्तीय संगठन भी चुनौतियाँ प्रस्तुत कर सकती हैं। इन चुनौतियों का सामना करते हुए, सरकार को नीतियों में सुधार करने और उत्पादकता में सुधार करने के लिए सक्रिय रूप से काम करने की जरुरत है।
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