बड़ी परियोजनाओं के नियोजन के समय मानव बस्तियों का पुनर्वास एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक संघात है, जिस पर सदैव विवाद होता है। विकास की बड़ी परियोजनाओं के प्रस्ताव के समय इस संघात को कम करने के लिए सुझाए गए उपायों पर ...
सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम (MSMEs) भारत में आर्थिक संवृद्धि तथा रोजगार संवर्धन के वाहक परिचय: सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम (MSMEs) भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये न केवल आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देते हैं, बल्कि रोजगार के अवसर भी बड़े पैमाने पर उत्पन्न करते हैं। भारत मेRead more
सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम (MSMEs) भारत में आर्थिक संवृद्धि तथा रोजगार संवर्धन के वाहक
परिचय: सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम (MSMEs) भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये न केवल आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देते हैं, बल्कि रोजगार के अवसर भी बड़े पैमाने पर उत्पन्न करते हैं। भारत में 63 मिलियन से अधिक MSMEs हैं, जो देश की GDP में लगभग 30% और कुल विनिर्माण उत्पादन में 45% का योगदान करते हैं।
आर्थिक संवृद्धि:
- GDP में योगदान: MSMEs का भारत की GDP में लगभग 30% योगदान है। ये ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय असंतुलन को कम करते हैं और समावेशी विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
- निर्यात संवर्धन: MSMEs देश के कुल निर्यात में लगभग 48% का योगदान करते हैं। कपड़ा, चमड़ा, और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों में MSMEs का दबदबा है, जो भारत को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनाए रखते हैं।
रोजगार संवर्धन:
- वृहद रोजगार सृजन: MSMEs भारत में कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता हैं, जो लगभग 110 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। ये ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं, जिससे शहरों की ओर पलायन को कम किया जा सकता है।
- कौशल विकास और उद्यमिता: MSMEs उद्यमिता और कौशल विकास के लिए आधारशिला के रूप में कार्य करते हैं। प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (PMMY) जैसे कार्यक्रमों ने 40 मिलियन से अधिक छोटे उद्यमियों को बिना गारंटी के ऋण प्रदान कर रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया है।
हाल का उदाहरण: COVID-19 महामारी के दौरान MSMEs को गंभीर व्यवधानों का सामना करना पड़ा। भारतीय सरकार ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) शुरू की, जिसके तहत MSMEs को ₹3 लाख करोड़ से अधिक के बिना गारंटी ऋण दिए गए, जिससे MSMEs को आर्थिक संवृद्धि और रोजगार सृजन में योगदान जारी रखने में मदद मिली।
चुनौतियाँ: हालांकि MSMEs की महत्वपूर्ण भूमिका है, इन्हें वित्त तक सीमित पहुंच, प्रौद्योगिकी में पिछड़ापन, और अवसंरचना की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन मुद्दों का समाधान करना उनके पूर्ण क्षमता का लाभ उठाने के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष: MSMEs निस्संदेह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो आर्थिक संवृद्धि और रोजगार संवर्धन को गति देते हैं। सही समर्थन और सुधारों के साथ, वे भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनाने में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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मानव बस्तियों का पुनर्वास: विवाद और समाधान परिचय बड़ी परियोजनाओं के नियोजन के दौरान मानव बस्तियों का पुनर्वास एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संघात होता है, जो अक्सर विवाद का कारण बनता है। इस संघात को कम करने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता होती है। उपाय सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन: परियोजना से पूर्व व्यापRead more
मानव बस्तियों का पुनर्वास: विवाद और समाधान
परिचय बड़ी परियोजनाओं के नियोजन के दौरान मानव बस्तियों का पुनर्वास एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संघात होता है, जो अक्सर विवाद का कारण बनता है। इस संघात को कम करने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता होती है।
उपाय
निष्कर्ष मानव बस्तियों के पुनर्वास के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को कम करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, जिसमें गहन मूल्यांकन, समुदाय की भागीदारी, और प्रभावी पुनर्वास योजनाएं शामिल हैं।
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