भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी प्रकृति में संरचनात्मक है। भारत में बेरोजगारी की गणना के लिए अपनाई गई पद्धति का परीक्षण कीजिए और सुधार के सुझाव दीजिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत सरकार की वर्तमान औद्योगिक नीति: 'मेक इन इंडिया' और 'स्टैंड अप इंडिया' 'मेक इन इंडिया': उद्देश्य: 2014 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाना है। सफलताएँ: इसने FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) को आकर्षित किया और उद्योगों के विकास को बढ़ावा दिया। उदाहरण के लिए, भारत केRead more
भारत सरकार की वर्तमान औद्योगिक नीति: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टैंड अप इंडिया’
‘मेक इन इंडिया’:
- उद्देश्य: 2014 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाना है।
- सफलताएँ: इसने FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) को आकर्षित किया और उद्योगों के विकास को बढ़ावा दिया। उदाहरण के लिए, भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
- चुनौतियाँ: बुनियादी ढांचे की कमी और नौकरशाही बाधाएँ अभी भी उपलब्धि में अवरोध हैं।
‘स्टैंड अप इंडिया’:
- उद्देश्य: 2016 में शुरू की गई योजना का उद्देश्य SC/ST और महिलाओं को उद्यमिता के अवसर प्रदान करना है।
- सफलताएँ: इसने नवीन उद्यमियों को कर्ज प्राप्त करने में सहायता प्रदान की है, जिससे नए व्यवसाय और रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं।
- चुनौतियाँ: वित्तीय साक्षरता और लघु वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की कमी एक बड़ी चुनौती है।
मूल्यांकन: ये नीतियाँ औद्योगिक वृद्धि और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देती हैं, लेकिन कार्यान्वयन में सुधार और चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता है।
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भारत में संरचनात्मक बेरोजगारी: संरचनात्मक बेरोजगारी भारत में एक महत्वपूर्ण समस्या है, जिसका मुख्य कारण श्रमिकों की क्षमताओं और नौकरी बाजार की आवश्यकताओं के बीच असंगति है। यह बेरोजगारी अक्सर लंबे समय तक बनी रहती है और आर्थिक, तकनीकी, और शैक्षिक परिवर्तन के कारण होती है। बेरोजगारी की गणना के लिए अपनाईRead more
भारत में संरचनात्मक बेरोजगारी:
बेरोजगारी की गणना के लिए अपनाई गई पद्धति:
सुधार के सुझाव:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष: भारत में बेरोजगारी की गणना के लिए अपनाई गई पद्धति विभिन्न सर्वेक्षणों और डेटा संग्रहण पर निर्भर करती है, लेकिन वास्तविक समय डेटा सटीकता, कौशल संरेखण, क्षेत्रीय विश्लेषण, और संस्थागत समर्थन में सुधार की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों को संबोधित करके संरचनात्मक बेरोजगारी को कम किया जा सकता है और श्रमिकों को बाजार की मांग के साथ बेहतर ढंग से संरेखित किया जा सकता है।
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