बेरोज़गारी के विभिन्न प्रकार क्या हैं? भारत में बेरोजगारी को दूर करने के लिये सरकार द्वारा किये गये विभिन्न प्रयासों का उल्लेख कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के उद्देश्य 1. विनिर्माण जीडीपी में वृद्धि: उद्देश्य: राष्ट्रीय विनिर्माण नीति का उद्देश्य 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र के जीडीपी में 25% योगदान बढ़ाना है। वर्तमान में, विनिर्माण का जीडीपी में योगदान लगभग 17% है। 2. रोजगार सृजन: उद्देश्य: युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करRead more
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के उद्देश्य
1. विनिर्माण जीडीपी में वृद्धि:
- उद्देश्य: राष्ट्रीय विनिर्माण नीति का उद्देश्य 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र के जीडीपी में 25% योगदान बढ़ाना है। वर्तमान में, विनिर्माण का जीडीपी में योगदान लगभग 17% है।
2. रोजगार सृजन:
- उद्देश्य: युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करना। नीति का लक्ष्य 2025 तक 100 मिलियन नौकरियाँ सृजित करना है।
3. वैश्विक प्रतिस्पर्धा:
- उद्देश्य: भारत की विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना और तकनीक, गुणवत्ता, और नवाचार के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत करना। इसके तहत विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचा और तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है।
4. सतत विकास:
- उद्देश्य: विनिर्माण में सतत विकास को बढ़ावा देना और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना। हरित तकनीक और ऊर्जा-कुशल प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट अप इंडिया’ का आलोचनात्मक मूल्यांकन
1. मेक इन इंडिया:
- उद्देश्य: 2014 में शुरू की गई इस पहल का लक्ष्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, विदेशी निवेश आकर्षित करना, और रोजगार के अवसर सृजित करना है। इसका प्रभावी पहलू बढ़ते एफडीआई प्रवाह और इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में वृद्धि है।
- आलोचना: बुनियादी ढाँचे की कमी, नौकरशाही अड़चने, और नीति कार्यान्वयन में असमानता जैसी समस्याएँ सामने आई हैं। हालिया रिपोर्टों में परियोजना अनुमोदनों और भूमि अधिग्रहण में देरी का उल्लेख किया गया है।
2. स्टार्ट अप इंडिया:
- उद्देश्य: 2016 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, फंडिंग प्रदान करना, और स्टार्टअप के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है। मुख्य उपलब्धियों में फंड ऑफ फंड्स (FFS) की स्थापना और नियामक प्रक्रियाओं की सरलीकरण शामिल है।
- आलोचना: वित्त तक पहुँच, बाजार में प्रवेश की बाधाएँ, और स्केलिंग समस्याएँ जैसे चुनौतियाँ बनी हुई हैं। हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि कई स्टार्टअप्स scaling और संचालन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
निष्कर्ष: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट अप इंडिया’ दोनों ही भारत के विनिर्माण और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, इनकी सफलता निर्भर करती है मौजूदा चुनौतियों को दूर करने और प्रभावी कार्यान्वयन पर।
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बेरोज़गारी के विभिन्न प्रकार सीजनल बेरोजगारी: यह उन लोगों की बेरोजगारी है जो मौसमी कार्यों पर निर्भर होते हैं और जो किसी विशेष समय पर काम नहीं मिल पाने के कारण बेरोजगार होते हैं। उदाहरण: कृषि क्षेत्रों में कटाई के बाद बेरोजगारी। फ्रिक्शनल बेरोजगारी: यह अस्थायी बेरोजगारी है जो तब होती है जब लोग एक नौRead more
बेरोज़गारी के विभिन्न प्रकार
भारत में बेरोजगारी को दूर करने के प्रयास
इन प्रयासों से बेरोजगारी की समस्याओं को कम करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहायता मिलती है, जिससे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है।
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