राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के उद्देश्य क्या हैं? ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘स्टार्ट अप इंडिया’ का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश और रोजगार योग्यता की चुनौतियाँ: 1. चूक और समस्याएँ: रोजगार योग्यता में कमी: भारत का बड़ा युवा जनसंख्या को जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, परंतु यह रोजगार योग्यता में कमी को नज़रअंदाज़ करता है। NASSCOM की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में इंजीनियरिंग ग्रेजुRead more
भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश और रोजगार योग्यता की चुनौतियाँ:
1. चूक और समस्याएँ:
- रोजगार योग्यता में कमी: भारत का बड़ा युवा जनसंख्या को जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, परंतु यह रोजगार योग्यता में कमी को नज़रअंदाज़ करता है। NASSCOM की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की रोजगार योग्यताएँ लगभग 64% रही हैं, जो उच्च शिक्षा और व्यावसायिक जरूरतों के बीच की खाई को दर्शाती है।
- कौशल का असंगति: FICCI की रिपोर्ट बताती है कि केवल 10% भारतीय ग्रेजुएट्स ही नौकरी के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके कारण, शिक्षा और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच की खाई है, जिससे नौकरी की उपलब्धता पर असर पड़ता है।
- अस्थायी रोजगार: बहुत से युवा लोग अस्थायी और कम वेतन वाले नौकरियों में लगे हुए हैं, जो उनके कौशल का पूरा उपयोग नहीं करती हैं।
2. जॉब्स के स्रोत:
- औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र: Make in India जैसे प्रयासों से विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सकता है। Maruti Suzuki जैसे कंपनियों ने उत्पादन बढ़ाकर रोजगार के अवसर उत्पन्न किए हैं।
- सेवा क्षेत्र का विस्तार: IT, स्वास्थ्य देखभाल, और खुदरा जैसे क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र का विस्तार रोजगार के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। Amazon के विस्तार ने लॉजिस्टिक्स और तकनीकी क्षेत्रों में हजारों नौकरियों का सृजन किया है।
- उद्यमिता और स्टार्टअप्स: Startup India और Atal Innovation Mission जैसी योजनाओं से उद्यमिता को बढ़ावा मिल सकता है। Tech startups और e-commerce कंपनियाँ नए रोजगार सृजन के उदाहरण हैं।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निवेश जैसे स्मार्ट सिटीज और ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क्स भी रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे परियोजना निर्माण और संबंधित उद्योगों में कई नौकरियाँ उत्पन्न करने की संभावना है।
हालिया उदाहरण:
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): इस योजना का उद्देश्य युवाओं को उद्योग-संबंधित कौशल और प्रमाणपत्र प्रदान करना है, जिससे रोजगार योग्यताएँ और नौकरी की संभावनाएँ बढ़ाई जा सकें।
निष्कर्ष: भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश को लेकर गर्व करते समय, रोजगार योग्यता की कमी को नजरअंदाज़ करना एक महत्वपूर्ण चूक है। सभी स्तरों पर कौशल सुधार, औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में निवेश, उद्यमिता को प्रोत्साहन, और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास से रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं।
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राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के उद्देश्य 1. विनिर्माण जीडीपी में वृद्धि: उद्देश्य: राष्ट्रीय विनिर्माण नीति का उद्देश्य 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र के जीडीपी में 25% योगदान बढ़ाना है। वर्तमान में, विनिर्माण का जीडीपी में योगदान लगभग 17% है। 2. रोजगार सृजन: उद्देश्य: युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करRead more
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के उद्देश्य
1. विनिर्माण जीडीपी में वृद्धि:
2. रोजगार सृजन:
3. वैश्विक प्रतिस्पर्धा:
4. सतत विकास:
‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट अप इंडिया’ का आलोचनात्मक मूल्यांकन
1. मेक इन इंडिया:
2. स्टार्ट अप इंडिया:
निष्कर्ष: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट अप इंडिया’ दोनों ही भारत के विनिर्माण और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, इनकी सफलता निर्भर करती है मौजूदा चुनौतियों को दूर करने और प्रभावी कार्यान्वयन पर।
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