ई-शासन ने प्रशासनिक तंत्र को किस सीमा तक अधिक नागरिक केंद्रित बनाया है? क्या ई-शासन प्रणाली को और अधिक सहभागी बनाया जा सकता है? (200 Words) [UPPSC 2020]
डिजिटल भारत: अर्थ, स्तंभ और चुनौतियाँ **1. अर्थ डिजिटल भारत 2015 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटली सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है। इसका फोकस ऑनलाइन अवसंरचना, ई-गवर्नेंस, और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने पर है। **2. डिजिटल भारत के स्तंभ *Read more
डिजिटल भारत: अर्थ, स्तंभ और चुनौतियाँ
**1. अर्थ
डिजिटल भारत 2015 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटली सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है। इसका फोकस ऑनलाइन अवसंरचना, ई-गवर्नेंस, और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने पर है।
**2. डिजिटल भारत के स्तंभ
**a. प्रत्येक नागरिक के लिए अवसंरचना
यह स्तंभ उच्च गति इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने का लक्ष्य रखता है, विशेषकर गाँवों में। भारतनेट और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
**b. गवर्नेंस और सेवाएँ ऑन डिमांड
ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए आधार, ई-हॉस्पिटल, और डिजिटल सर्टिफिकेट्स जैसी सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। PMGDISHA डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देती है।
**c. नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण
डिजिटल साक्षरता और स्किल्स को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल साक्षरता अभियान और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) जैसे कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
**d. डिजिटल अर्थव्यवस्था
डिजिटल भुगतान और फिनटेक नवाचारों को प्रोत्साहित किया जाता है, जैसे UPI और ई-वॉलेट्स।
**3. चुनौतियाँ
**a. डिजिटल विभाजन
डिजिटल विभाजन एक बड़ी चुनौती है, जहाँ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अंतर बना हुआ है। हालाँकि भारतनेट ने प्रगति की है, लेकिन दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी अभी भी सीमित है।
**b. साइबर सुरक्षा संकट
डिजिटल सेवाओं के विस्तार के साथ साइबर सुरक्षा संकट और डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ भी बढ़ रही हैं। हाल ही में जम्मू और कश्मीर डेटा लीक जैसे उदाहरण हैं।
**c. अवसंरचना और प्रशिक्षण
कुछ क्षेत्रों में अवसंरचना और डिजिटल साक्षरता की कमी प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालती है।
सारांश में, जबकि डिजिटल भारत योजना का लक्ष्य डिजिटल परिदृश्य को बदलना है, इसके स्तंभों में अवसंरचना, गवर्नेंस, सशक्तिकरण, और अर्थव्यवस्था शामिल हैं, चुनौतियाँ जैसे डिजिटल विभाजन, साइबर सुरक्षा और अवसंरचना की कमी को संबोधित करना आवश्यक है।
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ई-शासन और नागरिक केंद्रित प्रशासनिक तंत्र 1. ई-शासन का प्रभाव: सुलभता और पारदर्शिता: ई-शासन ने प्रशासनिक सेवाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाया है। आधिकारिक वेबसाइटें और मोबाइल एप्स के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं की जानकारी और सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि हुई है। उदाहरण के तौर पर, माय गवर्नमेंट और गवर्नमेंटRead more
ई-शासन और नागरिक केंद्रित प्रशासनिक तंत्र
1. ई-शासन का प्रभाव:
ई-शासन ने प्रशासनिक सेवाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाया है। आधिकारिक वेबसाइटें और मोबाइल एप्स के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं की जानकारी और सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि हुई है। उदाहरण के तौर पर, माय गवर्नमेंट और गवर्नमेंट ई-मेल पोर्टल्स ने नागरिकों को पेशेवर तरीके से सेवाएं प्रदान की हैं।
ई-शासन ने रियली टाइम डेटा और शिकायत निवारण प्रणाली को सशक्त किया है। सुकन्या समृद्धि योजना और म्हारो गांव मेरा योगदान जैसी पहलें नागरिकों को सीधे प्रशासनिक तंत्र से जोड़ती हैं।
डिजिटल कक्षाएं और ऑनलाइन प्रशिक्षण ने शिक्षा और सूचना पहुंच को सुधार दिया है। ई-शिक्षा और डिजिटल लाइब्रेरी पहलें स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंडिया के अंतर्गत आती हैं।
2. अधिक सहभागिता कैसे सुनिश्चित की जाए:
ई-शासन को अधिक सहभागी बनाने के लिए, डिजिटल साक्षरता और उन्नत इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना आवश्यक है। ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच को सुधारना आवश्यक है।
फीडबैक और सहभागिता के लिए ऑनलाइन मंच को सशक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जनसुनवाई पोर्टल्स और सार्वजनिक मंचों को सशक्त करना, जिससे नागरिक प्रशासनिक निर्णयों में सक्रिय भागीदारी कर सकें।
डिजिटल सुरक्षा और निजता की सुनिश्चितता के लिए उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए जाने चाहिए, ताकि नागरिक सुरक्षित रूप से सेवाओं का उपयोग कर सकें।
निष्कर्ष:
See lessई-शासन ने प्रशासनिक तंत्र को अधिक नागरिक केंद्रित बनाया है, लेकिन इसे अधिक सहभागी बनाने के लिए डिजिटल साक्षरता, सुविधाजनक फीडबैक मंच, और नागरिक डेटा सुरक्षा को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।