उत्तर प्रदेश के मृदा अपरदन से प्रभावित क्षेत्रों का वर्णन कीजिये तथा इसके लिये उत्तरदायी कारकों की भी पहचान कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
उत्तर प्रदेश की सिंचाई परियोजनाएँ कृषि की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। गंगा-यमुनाजी लिंक परियोजना: गंगा से यमुनाजी क्षेत्र में अतिरिक्त जल प्रवाहित करने के लिए बनाई गई, जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में जल संकट कम होगा और सिंचाई क्षमता बढ़ेगी। रजस्थान नहर परियोजना: मुख्यतः राजस्थान के लिए, लेकिन इसकी पRead more
उत्तर प्रदेश की सिंचाई परियोजनाएँ कृषि की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- गंगा-यमुनाजी लिंक परियोजना: गंगा से यमुनाजी क्षेत्र में अतिरिक्त जल प्रवाहित करने के लिए बनाई गई, जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में जल संकट कम होगा और सिंचाई क्षमता बढ़ेगी।
- रजस्थान नहर परियोजना: मुख्यतः राजस्थान के लिए, लेकिन इसकी पश्चिमी शाखा उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से को भी सिंचाई जल प्रदान करती है।
- केन-बेतवा लिंक परियोजना: यह परियोजना केन नदी से बेतवा नदी में जल स्थानांतरित करने के लिए है, जिससे बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा में सुधार होगा।
- सार्वोदय नहर: पूर्वी उत्तर प्रदेश में सिंचाई को बढ़ावा देने वाली महत्वपूर्ण नहर प्रणाली है।
इन परियोजनाओं से प्रदेश में जल प्रबंधन और कृषि उत्पादन में सुधार हो रहा है।
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उत्तर प्रदेश के मृदा अपरदन से प्रभावित क्षेत्र: तराई क्षेत्र: लखीमपुर खीरी और बहलपुर जैसे जिलों में तराई क्षेत्र अत्यधिक वर्षा और नदी प्रणालियों के कारण मृदा अपरदन से प्रभावित है। बुंदेलखंड क्षेत्र: झांसी और बांदा जैसे जिलों में स्थित बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखा और जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर मृदाRead more
उत्तर प्रदेश के मृदा अपरदन से प्रभावित क्षेत्र:
मृदा अपरदन के कारण:
इन समस्याओं के समाधान के लिए एकीकृत मृदा और जल संरक्षण योजनाएँ, सतत कृषि प्रथाएँ, और वृक्षारोपण जैसे उपायों की आवश्यकता है।
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