उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के औद्योगिक विकास में खनिजों के महत्व का विश्लेषण करें । (200 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश में निचली गंगा नहर प्रणाली की मुख्य विशेषताएं और महत्व परिचय निचली गंगा नहर प्रणाली भारत की सबसे बड़ी सिंचाई प्रणालियों में से एक है, जिसका निर्माण 1878 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्रों की सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गंगा नदी के जल काRead more
उत्तर प्रदेश में निचली गंगा नहर प्रणाली की मुख्य विशेषताएं और महत्व
परिचय
निचली गंगा नहर प्रणाली भारत की सबसे बड़ी सिंचाई प्रणालियों में से एक है, जिसका निर्माण 1878 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्रों की सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गंगा नदी के जल का उपयोग करती है।
मुख्य विशेषताएं
- विस्तृत कवरेज: यह नहर प्रणाली लगभग 15 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को कवर करती है, जिसमें मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा जैसे जिले शामिल हैं।
- जल प्रबंधन: इसमें डायवर्जन वियर और उप-नहरों का नेटवर्क शामिल है, जो खेतों में प्रभावी ढंग से पानी का वितरण सुनिश्चित करता है, जिससे फसल की सिंचाई सुचारू होती है।
- मुख्य फसलें: यह प्रणाली मुख्य रूप से गेहूं, गन्ना और धान जैसी महत्वपूर्ण फसलों की सिंचाई में मदद करती है।
महत्व
- कृषि उत्पादकता: इस नहर प्रणाली ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि उत्पादन में वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे क्षेत्र का आर्थिक विकास हुआ है।
- सूखा प्रबंधन: यह प्रणाली सूखे के समय एक विश्वसनीय जल स्रोत के रूप में काम करती है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
निष्कर्ष
निचली गंगा नहर प्रणाली उत्तर प्रदेश की कृषि और आर्थिक स्थिरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे सिंचाई और कृषि विकास को मजबूती मिलती है।
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उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के औद्योगिक विकास में खनिजों के महत्व का विश्लेषण 1. खनिज संसाधनों का आर्थिक योगदान: बुन्देलखण्ड क्षेत्र में चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, और ग्रेनाइट जैसे खनिजों की प्रचुरता है। चूना पत्थर का उपयोग मुख्य रूप से सीमेंट निर्माण में होता है। उत्कर्ष सीमेंट प्लांट जैसे उद्Read more
उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के औद्योगिक विकास में खनिजों के महत्व का विश्लेषण
1. खनिज संसाधनों का आर्थिक योगदान: बुन्देलखण्ड क्षेत्र में चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, और ग्रेनाइट जैसे खनिजों की प्रचुरता है। चूना पत्थर का उपयोग मुख्य रूप से सीमेंट निर्माण में होता है। उत्कर्ष सीमेंट प्लांट जैसे उद्योग स्थानीय चूना पत्थर पर निर्भर करते हैं, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को संबल मिलता है और रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं।
2. अवसंरचना विकास: बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट का उपयोग निर्माण और अवसंरचना परियोजनाओं में किया जाता है। हाल ही में, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत सड़कों और पुलों का निर्माण स्थानीय बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से किया गया, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है।
3. औद्योगिक विकास और निवेश: खनिज संसाधनों की उपलब्धता औद्योगिक निवेश को आकर्षित करती है। आयरन ओर के भंडार ने छोटे पैमाने पर खनन संचालन और आयरन ओर आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा दिया है। भिलाई स्टील प्लांट ने हाल ही में इस क्षेत्र से कच्चे माल की आपूर्ति के लिए रुचि दिखाई है, जिससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला है।
4. चुनौतियाँ और सतत विकास: खनिज संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद, बुन्देलखण्ड क्षेत्र को संसाधन की कमी और पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 के तहत सतत खनन प्रथाओं और पुनर्निर्माण परियोजनाओं पर जोर दिया जा रहा है, ताकि औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बना रहे।
निष्कर्ष: खनिज बुन्देलखण्ड के औद्योगिक विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, जो आर्थिक विकास, अवसंरचना निर्माण और निवेश को प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि, सतत प्रथाओं और प्रभावी संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता है ताकि खनिज उपयोग क्षेत्र को लाभ पहुंचा सके और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को भी बनाए रखा जा सके।
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