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उत्तर प्रदेश में पाये जाने वाले खनिजों का विवरण दीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
उत्तर प्रदेश में पाये जाने वाले खनिज **1. मुख्य खनिज: चूना पत्थर: उत्तर प्रदेश में चूना पत्थर की महत्वपूर्ण खनिज depositें हैं, विशेषकर मिर्ज़ापुर और सोनभद्र जिलों में। यह सीमेंट निर्माण और भवन सामग्री के लिए आवश्यक है। बालू और बजरी: गंगा और यमुना नदी के तटों पर बालू और बजरी के बड़े भंडार हैं, जो निRead more
उत्तर प्रदेश में पाये जाने वाले खनिज
**1. मुख्य खनिज:
**2. अन्य खनिज:
**3. हालिया विकास: उत्तर प्रदेश सरकार सतत खनन प्रथाओं और खनिज क्षेत्र के विकास पर ध्यान दे रही है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके।
निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश में चूना पत्थर, बालू, बजरी, कोयला, और बॉक्साइट के भंडार हैं, और वर्तमान में इन खनिजों के सतत उपयोग को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
See lessउत्तर प्रदेश की लघु सिंचाई परियोजनाओं का शोदाहरण सहित विवरण दें। (125 Words) [UPPSC 2019]
उत्तर प्रदेश की लघु सिंचाई परियोजनाएँ **1. परियोजनाओं का अवलोकन: उत्तर प्रदेश की लघु सिंचाई परियोजनाएँ छोटे पैमाने पर जल संसाधनों को बेहतर बनाने और कृषि में सिंचाई सुविधाएँ बढ़ाने पर केंद्रित हैं। **2. परियोजनाओं के उदाहरण: गंगा योजना: यह योजना गंगा बेसिन में छोटे नहरों और जल संचयन संरचनाओं को विकसिRead more
उत्तर प्रदेश की लघु सिंचाई परियोजनाएँ
**1. परियोजनाओं का अवलोकन: उत्तर प्रदेश की लघु सिंचाई परियोजनाएँ छोटे पैमाने पर जल संसाधनों को बेहतर बनाने और कृषि में सिंचाई सुविधाएँ बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
**2. परियोजनाओं के उदाहरण:
**3. हालिया विकास: “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” के तहत नई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जो जल प्रबंधन में सुधार और फसल उत्पादन में वृद्धि को सुनिश्चित करती हैं।
निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश की लघु सिंचाई परियोजनाएँ कृषि उत्पादकता बढ़ाने और जल उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
See lessउत्तर प्रदेश में सिंचाई के साधनों में क्रमशः हो रहे परिवर्तनों को रेखांकित कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
उत्तर प्रदेश में सिंचाई के साधनों में समय के साथ कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जो कृषि उत्पादन को बढ़ाने और जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं। ये परिवर्तनों की रेखांकित विवरण निम्नलिखित है: पारंपरिक सिंचाई विधियाँ: पहले, उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से नहर सिंचाई, कुएँ औरRead more
उत्तर प्रदेश में सिंचाई के साधनों में समय के साथ कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जो कृषि उत्पादन को बढ़ाने और जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं। ये परिवर्तनों की रेखांकित विवरण निम्नलिखित है:
इन परिवर्तनों का उद्देश्य सिंचाई की कार्यक्षमता को बढ़ाना, जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना और कृषि उत्पादन को सुधारना है। हालांकि, इन उपायों के साथ-साथ जल प्रबंधन और संरक्षित जल उपयोग पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
See lessउत्तर प्रदेश में सिंचाई के कौन-कौन साधन है? कृषि विकास में सिंचाई की भूमिका की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
नहर सिंचाई: उत्तर प्रदेश में नहरों का व्यापक नेटवर्क है, जैसे कि ऊपरी गंगा नहर और निम्न गंगा नहर, जो बड़े कृषि क्षेत्रों को पानी प्रदान करती हैं। ट्यूबवेल: ट्यूबवेल का उपयोग बढ़ गया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ नहर सिंचाई की सुविधा नहीं है। ये वेल भूमिगत जल संसाधनों से पानी निकालते हैं। पंRead more
कृषि विकास में सिंचाई की भूमिका:
सिंचाई उत्तर प्रदेश में कृषि उत्पादन और ग्रामीण समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।
See lessउत्तर प्रदेश के मृदा अपरदन से प्रभावित क्षेत्रों का वर्णन कीजिये तथा इसके लिये उत्तरदायी कारकों की भी पहचान कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
उत्तर प्रदेश के मृदा अपरदन से प्रभावित क्षेत्र: तराई क्षेत्र: लखीमपुर खीरी और बहलपुर जैसे जिलों में तराई क्षेत्र अत्यधिक वर्षा और नदी प्रणालियों के कारण मृदा अपरदन से प्रभावित है। बुंदेलखंड क्षेत्र: झांसी और बांदा जैसे जिलों में स्थित बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखा और जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर मृदाRead more
उत्तर प्रदेश के मृदा अपरदन से प्रभावित क्षेत्र:
मृदा अपरदन के कारण:
इन समस्याओं के समाधान के लिए एकीकृत मृदा और जल संरक्षण योजनाएँ, सतत कृषि प्रथाएँ, और वृक्षारोपण जैसे उपायों की आवश्यकता है।
See lessउत्तर प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं का सोदाहरण सहित विस्तृत विवरण दीजिये। (125 Words) [UPPSC 2022]
उत्तर प्रदेश की सिंचाई परियोजनाएँ कृषि की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। गंगा-यमुनाजी लिंक परियोजना: गंगा से यमुनाजी क्षेत्र में अतिरिक्त जल प्रवाहित करने के लिए बनाई गई, जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में जल संकट कम होगा और सिंचाई क्षमता बढ़ेगी। रजस्थान नहर परियोजना: मुख्यतः राजस्थान के लिए, लेकिन इसकी पRead more
उत्तर प्रदेश की सिंचाई परियोजनाएँ कृषि की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इन परियोजनाओं से प्रदेश में जल प्रबंधन और कृषि उत्पादन में सुधार हो रहा है।
See lessउत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के औद्योगिक विकास में खनिजों के महत्व का विश्लेषण करें । (200 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के औद्योगिक विकास में खनिजों के महत्व का विश्लेषण 1. खनिज संसाधनों का आर्थिक योगदान: बुन्देलखण्ड क्षेत्र में चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, और ग्रेनाइट जैसे खनिजों की प्रचुरता है। चूना पत्थर का उपयोग मुख्य रूप से सीमेंट निर्माण में होता है। उत्कर्ष सीमेंट प्लांट जैसे उद्Read more
उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के औद्योगिक विकास में खनिजों के महत्व का विश्लेषण
1. खनिज संसाधनों का आर्थिक योगदान: बुन्देलखण्ड क्षेत्र में चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, और ग्रेनाइट जैसे खनिजों की प्रचुरता है। चूना पत्थर का उपयोग मुख्य रूप से सीमेंट निर्माण में होता है। उत्कर्ष सीमेंट प्लांट जैसे उद्योग स्थानीय चूना पत्थर पर निर्भर करते हैं, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को संबल मिलता है और रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं।
2. अवसंरचना विकास: बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट का उपयोग निर्माण और अवसंरचना परियोजनाओं में किया जाता है। हाल ही में, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत सड़कों और पुलों का निर्माण स्थानीय बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से किया गया, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है।
3. औद्योगिक विकास और निवेश: खनिज संसाधनों की उपलब्धता औद्योगिक निवेश को आकर्षित करती है। आयरन ओर के भंडार ने छोटे पैमाने पर खनन संचालन और आयरन ओर आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा दिया है। भिलाई स्टील प्लांट ने हाल ही में इस क्षेत्र से कच्चे माल की आपूर्ति के लिए रुचि दिखाई है, जिससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला है।
4. चुनौतियाँ और सतत विकास: खनिज संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद, बुन्देलखण्ड क्षेत्र को संसाधन की कमी और पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 के तहत सतत खनन प्रथाओं और पुनर्निर्माण परियोजनाओं पर जोर दिया जा रहा है, ताकि औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बना रहे।
निष्कर्ष: खनिज बुन्देलखण्ड के औद्योगिक विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, जो आर्थिक विकास, अवसंरचना निर्माण और निवेश को प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि, सतत प्रथाओं और प्रभावी संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता है ताकि खनिज उपयोग क्षेत्र को लाभ पहुंचा सके और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को भी बनाए रखा जा सके।
See lessउत्तर प्रदेश में भूजल के उपयोग से जुड़ी प्रमुख समस्याओं एवं चुनौतियों का उल्लेख करें । (125 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश में भूजल के उपयोग से जुड़ी प्रमुख समस्याएं एवं चुनौतियां: अत्यधिक दोहन: कृषि के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन, विशेषकर बुंदेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, जलस्तर में तेज गिरावट का कारण बना है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) ने कई जिलों को "अत्यधिक दोहन वाले" क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया हैRead more
उत्तर प्रदेश में भूजल के उपयोग से जुड़ी प्रमुख समस्याएं एवं चुनौतियां:
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सतत प्रबंधन और कठोर भूजल नियम आवश्यक हैं।
See lessउत्तर प्रदेश में निचली गंगा नहर प्रणाली की मुख्य विशेषताएं और महत्व क्या हैं ? (125 Words) [UPPSC 2023]
उत्तर प्रदेश में निचली गंगा नहर प्रणाली की मुख्य विशेषताएं और महत्व परिचय निचली गंगा नहर प्रणाली भारत की सबसे बड़ी सिंचाई प्रणालियों में से एक है, जिसका निर्माण 1878 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्रों की सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गंगा नदी के जल काRead more
उत्तर प्रदेश में निचली गंगा नहर प्रणाली की मुख्य विशेषताएं और महत्व
परिचय
निचली गंगा नहर प्रणाली भारत की सबसे बड़ी सिंचाई प्रणालियों में से एक है, जिसका निर्माण 1878 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्रों की सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गंगा नदी के जल का उपयोग करती है।
मुख्य विशेषताएं
महत्व
निष्कर्ष
निचली गंगा नहर प्रणाली उत्तर प्रदेश की कृषि और आर्थिक स्थिरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे सिंचाई और कृषि विकास को मजबूती मिलती है।
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