प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2022] प्लेटो के अनुसार, ‘इंद्रिय प्रत्यक्ष’, ज्ञान क्यों नहीं है?
काण्ट का नीतिशास्त्र: आकारवादी एवं कठोरतावादी मत का आलोचनात्मक परीक्षण 1. आकारवादी स्वभाव: काण्ट का नीतिशास्त्र आकारवादी (Formalist) माना जाता है क्योंकि यह नैतिक कानूनों की रूपरेखा पर जोर देता है, न कि उनके सामग्री पर। काण्ट के अनुसार, नैतिक क्रियाएँ उन सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए जिRead more
काण्ट का नीतिशास्त्र: आकारवादी एवं कठोरतावादी मत का आलोचनात्मक परीक्षण
1. आकारवादी स्वभाव: काण्ट का नीतिशास्त्र आकारवादी (Formalist) माना जाता है क्योंकि यह नैतिक कानूनों की रूपरेखा पर जोर देता है, न कि उनके सामग्री पर। काण्ट के अनुसार, नैतिक क्रियाएँ उन सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए जिन्हें सभी पर लागू किया जा सके। उदाहरण के लिए, काण्ट का Categorical Imperative इस बात की मांग करता है कि क्रियाएँ ऐसे सिद्धांतों के अनुसार की जाएँ जिन्हें सभी सामान्य परिस्थितियों में अपनाया जा सके। यह आकारवाद सुनिश्चित करता है कि नैतिक नियम वस्तुनिष्ठ हों और व्यक्तिगत इच्छाओं या स्थितियों से प्रभावित न हों।
2. कठोरतावादी स्वभाव: काण्ट का नीतिशास्त्र कठोरतावादी (Rigorist) है, क्योंकि यह कर्तव्य और नैतिक कानूनों के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्धता की मांग करता है। काण्ट का तर्क है कि नैतिक क्रियाएँ केवल कर्तव्य के आधार पर की जानी चाहिए, परिणामों की परवाह किए बिना। उदाहरण के लिए, दरवाजे पर खड़े हत्यारे का मामला में, काण्ट झूठ बोलने के खिलाफ हैं, भले ही यह किसी की जान बचा सकता है। यह कठोरता दर्शाती है कि काण्ट का नैतिकता प्रणाली कितनी लचीली नहीं है।
नैतिक जीवन में काण्ट के सिद्धांतों का महत्त्व
1. सार्वभौमिकता: काण्ट के सिद्धांत सार्वभौमिकता पर जोर देते हैं, जो सुनिश्चित करता है कि नैतिक क्रियाएँ सभी के लिए समान रूप से लागू होनी चाहिए। यह आधुनिक मानवाधिकार के विचारों के साथ मेल खाता है, जो सभी व्यक्तियों को समान सम्मान और विचार देने की आवश्यकता पर आधारित है।
2. व्यक्तियों की सम्मान: काण्ट का सिद्धांत व्यक्तियों को स्वायत्त उद्देश्यों के रूप में मानता है, न कि साधनों के रूप में। यह वर्तमान नैतिक प्रथाओं जैसे व्यावसायिक नैतिकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्तियों का शोषण नहीं किया जाए और उन्हें सम्मान दिया जाए।
3. नैतिक स्थिरता: काण्ट का कठोरतावादी दृष्टिकोण नैतिक स्थिरता और अखंडता प्रदान करता है। यह व्यक्तियों को जटिल नैतिक दुविधाओं का समाधान करने में मदद करता है, स्पष्ट और सार्वभौमिक सिद्धांतों के आधार पर निर्णय लेने में सहायक होता है।
इस प्रकार, काण्ट का नीतिशास्त्र, भले ही आकारवादी और कठोरतावादी प्रतीत होता है, लेकिन इसका ध्यान सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांतों और व्यक्तियों की सम्मान पर नैतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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परिचय प्लेटो के अनुसार, 'इंद्रिय प्रत्यक्ष' को सच्चा ज्ञान नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भौतिक जगत से जुड़ा है, जो लगातार परिवर्तनशील है और इसलिए यह अविश्वसनीय है। प्लेटो के अनुसार, सच्चा ज्ञान वही हो सकता है जो स्थायी और अटल हो, और इंद्रियों से प्राप्त जानकारी ऐसा नहीं हो सकता। 1. रूपों की दुनिया औरRead more
परिचय
प्लेटो के अनुसार, ‘इंद्रिय प्रत्यक्ष’ को सच्चा ज्ञान नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भौतिक जगत से जुड़ा है, जो लगातार परिवर्तनशील है और इसलिए यह अविश्वसनीय है। प्लेटो के अनुसार, सच्चा ज्ञान वही हो सकता है जो स्थायी और अटल हो, और इंद्रियों से प्राप्त जानकारी ऐसा नहीं हो सकता।
1. रूपों की दुनिया और भौतिक जगत
प्लेटो ने वास्तविकता को दो भागों में विभाजित किया: रूपों की दुनिया और भौतिक जगत।
2. इंद्रिय प्रत्यक्ष व्यक्तिगत और अविश्वसनीय है
प्लेटो का मानना था कि इंद्रिय प्रत्यक्ष व्यक्तिगत होता है, क्योंकि अलग-अलग व्यक्ति एक ही वस्तु को अलग-अलग तरह से अनुभव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक वस्तु किसी व्यक्ति को गर्म लग सकती है जबकि दूसरे को सामान्य। चूंकि हमारी इंद्रियां भ्रम पैदा कर सकती हैं, इसलिए वे ज्ञान का विश्वसनीय स्रोत नहीं हो सकतीं। इसके विपरीत, रूपों का ज्ञान (जैसे सुंदरता या न्याय का रूप) वस्तुनिष्ठ और शाश्वत होता है।
3. गुफा का रूपक
प्लेटो के प्रसिद्ध गुफा के रूपक में, वह दिखाते हैं कि लोग छायाओं की दुनिया में फंसे होते हैं, केवल वास्तविक रूपों की परछाइयों को देखते हैं। गुफा में बंदी छायाओं को वास्तविकता मान लेते हैं, लेकिन ये केवल वास्तविक वस्तुओं (रूपों) की विकृत छवियाँ होती हैं। प्लेटो के अनुसार, यह दिखाता है कि इंद्रिय प्रत्यक्ष तर्कसंगत बौद्धिकता से कमतर होता है, जो रूपों की समझ की ओर ले जाता है।
4. इंद्रिय प्रत्यक्ष की सीमाओं का आधुनिक उदाहरण
आधुनिक समय में, इंद्रिय प्रत्यक्ष की अविश्वसनीयता को विज्ञान के क्षेत्रों में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, ऑप्टिकल इल्यूजन हमारी दृष्टि को भ्रमित कर सकती हैं, जिससे हमें वह चीज़ दिखाई देती है जो वास्तव में नहीं होती। इसी प्रकार, वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसी तकनीकें भी ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न करती हैं जो वास्तविक प्रतीत होती हैं, लेकिन कृत्रिम होती हैं। ये आधुनिक उदाहरण प्लेटो के विचारों से मेल खाते हैं कि इंद्रियों से देखी गई भौतिक दुनिया वास्तविकता का सच्चा प्रतिनिधित्व नहीं करती।
निष्कर्ष
See lessप्लेटो के दर्शन में, इंद्रिय प्रत्यक्ष को ज्ञान इसलिए नहीं माना जाता क्योंकि यह बदलते और अपूर्ण भौतिक जगत से जुड़ा होता है। प्लेटो के अनुसार, सच्चा ज्ञान बौद्धिक तर्क और अचल रूपों की समझ से आता है। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जैसा कि ऑप्टिकल इल्यूजन और वर्चुअल रियलिटी जैसे आधुनिक उदाहरणों से सिद्ध होता है, जो दिखाते हैं कि इंद्रिय प्रत्यक्ष वास्तव में भ्रमित करने वाला हो सकता है।