महान विचारकों के तीन उद्धरण नीचे दिए गए हैं। वर्तमान संदर्भ में प्रत्येक उद्धरण आपको क्या संप्रेषित करता है ? (150 words)[UPSC 2023] a. “दयालुता के सबसे सरल कार्य प्रार्थना में एक हज़ार बार झुकने वाले सिरों से कहीं अधिक शक्तिशाली ...
कौटिल्य के भ्रष्टाचार पर विचार 1. सरकारी राजकोष का दुरुपयोग: व्याख्या: कौटिल्य की अर्थशास्त्र में भ्रष्टाचार को राज्य के संसाधनों के दुरुपयोग के रूप में देखा गया है। भ्रष्ट अधिकारी सरकारी धन का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करते हैं, जिससे राज्य को वित्तीय हानि होती है। उदाहरण: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला जैRead more
कौटिल्य के भ्रष्टाचार पर विचार
1. सरकारी राजकोष का दुरुपयोग:
- व्याख्या: कौटिल्य की अर्थशास्त्र में भ्रष्टाचार को राज्य के संसाधनों के दुरुपयोग के रूप में देखा गया है। भ्रष्ट अधिकारी सरकारी धन का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करते हैं, जिससे राज्य को वित्तीय हानि होती है।
- उदाहरण: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला जैसे मामले दिखाते हैं कि कैसे भ्रष्टाचार के कारण सरकारी धन का अत्यधिक दुरुपयोग होता है।
2. प्रशासनिक अदक्षता:
- व्याख्या: कौटिल्य के अनुसार, भ्रष्टाचार प्रशासनिक दक्षता को नष्ट करता है। जब अधिकारियों में भ्रष्टाचार होता है, तो वे अपने कर्तव्यों में लापरवाह हो जाते हैं और निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
- उदाहरण: पासपोर्ट जारी करने में देरी जैसी समस्याएँ अक्सर भ्रष्टाचार के कारण प्रशासनिक अदक्षता को दर्शाती हैं।
3. राष्ट्रीय विकास में बाधा:
- व्याख्या: कौटिल्य का मानना था कि भ्रष्टाचार राष्ट्रीय विकास की राह में बड़ी बाधा उत्पन्न करता है। यह सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी और विकास की गति को धीमा कर देता है।
- उदाहरण: राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में भ्रष्टाचार से जुड़ी समस्याएँ, जैसे कि विलंब और लागत में वृद्धि, विकास की दिशा में बाधाएँ उत्पन्न करती हैं।
निष्कर्ष: कौटिल्य के विचार दर्शाते हैं कि भ्रष्टाचार न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक दक्षता को प्रभावित करता है, बल्कि यह राष्ट्रीय विकास की गति को भी रोकता है। इसका प्रभाव व्यापक और विनाशकारी होता है।
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महात्मा गाँधी का उद्धरण: “दयालुता के सबसे सरल कार्य प्रार्थना में एक हज़ार बार झुकने वाले सिरों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं।” वर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण हमें बताता है कि सच्ची दयालुता और मानवता के कार्य आध्यात्मिक अनुष्ठानों से अधिक प्रभावी होते हैं। आज के समय में, जब सामाजिक समस्याओं और संकटों काRead more
महात्मा गाँधी का उद्धरण: “दयालुता के सबसे सरल कार्य प्रार्थना में एक हज़ार बार झुकने वाले सिरों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं।”
वर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण हमें बताता है कि सच्ची दयालुता और मानवता के कार्य आध्यात्मिक अनुष्ठानों से अधिक प्रभावी होते हैं। आज के समय में, जब सामाजिक समस्याओं और संकटों का सामना किया जा रहा है, दयालुता जैसे सरल और व्यावहारिक कार्य समाज को वास्तविक रूप से सशक्त और समर्थनकारी बना सकते हैं।
जवाहरलाल नेहरू का उद्धरण: “लोगों को जागरूक करने के लिए महिलाओं को जागृत होना चाहिए। जैसे ही वे आगे बढ़ती हैं, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है, देश आगे बढ़ता है।”
यह उद्धरण वर्तमान में महिलाओं के सशक्तिकरण की महत्वपूर्णता को दर्शाता है। जब महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और समान अवसरों में आगे बढ़ती हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव परिवार, समुदाय और राष्ट्र पर व्यापक रूप से पड़ता है, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
स्वामी विवेकानंद का उद्धरण: “किसी से घृणा मत कीजिए, क्योंकि जो घृणा आपसे उत्पन्न होगी वह निश्चित ही एक अंतराल के बाद आप तक लौट आएगी। यदि आप प्रेम करेंगे, तो वह प्रेम चक्र को पूरा करता हुआ आप तक वापस आएगा।”
See lessवर्तमान संदर्भ में, यह उद्धरण यह सिखाता है कि नफरत और नकारात्मकता केवल बुरे परिणाम लाते हैं, जबकि प्रेम और सहानुभूति से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। व्यक्तिगत और सामाजिक रिश्तों में प्रेम और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से समाज में अमन और समझदारी को बढ़ावा मिलता है।