सार्वभौम धर्म क्या हैं? इसके प्रमुख तत्त्वों की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
प्रेरणादायक व्यक्तित्व: मदन मोहन मालवीय शिक्षाओं का सार: मदन मोहन मालवीय, नैतिक आचरण के प्रेरणास्रोत, सत्य, अहिंसा, और सेवाभाव जैसे मौलिक सिद्धांतों पर बल दिया। उनकी शिक्षाएं 'सर्वोदय' - सभी का कल्याण, और 'सत्याग्रह' - सत्य की शक्ति और 'अहिंसा' - हिंसा रहितता को सामाजिक परिवर्तन के उपकरण के रूप मेंRead more
प्रेरणादायक व्यक्तित्व: मदन मोहन मालवीय
शिक्षाओं का सार: मदन मोहन मालवीय, नैतिक आचरण के प्रेरणास्रोत, सत्य, अहिंसा, और सेवाभाव जैसे मौलिक सिद्धांतों पर बल दिया। उनकी शिक्षाएं ‘सर्वोदय’ – सभी का कल्याण, और ‘सत्याग्रह’ – सत्य की शक्ति और ‘अहिंसा’ – हिंसा रहितता को सामाजिक परिवर्तन के उपकरण के रूप में स्थापित करती हैं।
नैतिक विकास में लागू करना:
1. सत्यवाद: मैंने सभी क्षेत्रों में ईमानदारी को अपनाया है, मुश्किल परिस्थितियों में भी, जैसे गांधी ने ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ नमक सत्याग्रह के दौरान अपना संकल्प दिखाया।
2. अहिंसा: शांतिपूर्ण तरीके से विवादों का समाधान करना, गांधी के अन्याय के खिलाफ आंदोलन में हिंसा का सहारा न लेते हुए, जैसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका।
3. सेवाभाव: समुदाय सेवा के लिए स्वयं स्वेच्छा से योगदान देना और समुदाय के कल्याण को प्राथमिकता देना, जैसे गांधी का समाज के उत्थान के लिए समर्पित जीवन।
निष्कर्ष: मालवीय के नैतिक सिद्धांत मेरे नैतिक विकास की दिशा दिखाते हैं, जिससे मेरा नैतिक विकास एक अधिक धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदार जीवन की ओर बढ़ता है।
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सार्वभौम धर्म: अवधारणा और प्रमुख तत्त्व **1. सार्वभौम धर्म की अवधारणा: सार्वभौम धर्म का उद्देश्य सांस्कृतिक, जातीय, और भौगोलिक सीमाओं को पार कर एक साझा आध्यात्मिक समझ को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न जातियों के बीच एकता को प्रोत्साहित करता है। **2. प्रमुख तत्त्व: सामान्य नैतिक सिद्धांत: दयालुता, न्याय,Read more
सार्वभौम धर्म: अवधारणा और प्रमुख तत्त्व
**1. सार्वभौम धर्म की अवधारणा: सार्वभौम धर्म का उद्देश्य सांस्कृतिक, जातीय, और भौगोलिक सीमाओं को पार कर एक साझा आध्यात्मिक समझ को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न जातियों के बीच एकता को प्रोत्साहित करता है।
**2. प्रमुख तत्त्व:
निष्कर्ष: सार्वभौम धर्म भिन्नताओं को दूर करके एक एकीकृत आध्यात्मिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, सामान्य नैतिक मानदंड और समावेशिता पर केंद्रित होता है।
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