“सामाजिक मूल्य, आर्थिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।” राष्ट्र की समावेशी संवृद्धि के संदर्भ में उपरोक्त कथन पर उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिए। (150 words) [UPSC 2015]
सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित नैतिक शिक्षाएँ उनके शासन की मानवता और शांति की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं। 1. अहिंसा और शांति: अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा की नीति अपनाई, जो युद्ध और हिंसा के स्थान पर शांति और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करती थी। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को अपने शासनRead more
सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित नैतिक शिक्षाएँ उनके शासन की मानवता और शांति की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
1. अहिंसा और शांति: अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा की नीति अपनाई, जो युद्ध और हिंसा के स्थान पर शांति और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करती थी। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को अपने शासन की आधारशिला बनाया।
2. सामाजिक कल्याण: अशोक ने अस्पताल, सड़कें और जलाशय बनवाए, और गरीबों तथा बीमारों की देखभाल के लिए पहल की।
3. धार्मिक सहिष्णुता: उन्होंने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया, जिससे विविधता में एकता का संदेश फैलाया।
4. नैतिक शासन: अशोक के शिलालेखों में न्याय, सत्य, और दया की बातें थीं, जो उनके शासन के नैतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
इन शिक्षाओं के माध्यम से अशोक ने एक उदार और न्यायपूर्ण शासन की नींव रखी, जो आज भी भारतीय राष्ट्र के मूल्यों में प्रतिबिंबित होती है।
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सामाजिक मूल्य बनाम आर्थिक मूल्य सामाजिक मूल्य और आर्थिक मूल्य दोनों महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सामाजिक मूल्य अक्सर अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये समावेशी संवृद्धि को सुनिश्चित करते हैं। सामाजिक मूल्य की महत्ता: उदाहरण: भारत की स्वच्छ भारत मिशन (2014) ने सामाजिक मूल्य जैसे स्वच्छता और स्वास्थ्य कोRead more
सामाजिक मूल्य बनाम आर्थिक मूल्य
सामाजिक मूल्य और आर्थिक मूल्य दोनों महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सामाजिक मूल्य अक्सर अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये समावेशी संवृद्धि को सुनिश्चित करते हैं।
सामाजिक मूल्य की महत्ता: उदाहरण: भारत की स्वच्छ भारत मिशन (2014) ने सामाजिक मूल्य जैसे स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया। इससे केवल पर्यावरण की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, बल्कि समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी बढ़ी, जिससे आर्थिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से समावेशी विकास को बल मिला।
आर्थिक मूल्य की सीमा: उदाहरण: एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड नीति के तहत, 2023 में भारत ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया, लेकिन इसके साथ ही गरीब और आदिवासी क्षेत्रों की अनदेखी की। इसने विकास के लाभ को पूरी तरह से समाज के सभी वर्गों तक नहीं पहुँचाया।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि सामाजिक मूल्य, जैसे समानता और समावेशिता, आर्थिक विकास के साथ मिलकर समावेशी और स्थायी विकास को सुनिश्चित करते हैं।
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