भारतीय समाज में परंपरागत मूल्य क्या हैं? आधुनिक मूल्यों से इसकी क्या भिन्नता है? व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
सहानुभूति की परिभाषा और कमजोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में सहानुभूति की भूमिका 1. सहानुभूति की परिभाषा (Definition of Empathy): सहानुभूति किसी व्यक्ति की भावनाओं और अनुभवों को समझने और साझा करने की क्षमता है। इसमें किसी दूसरे के दृष्टिकोण को अपनाना और उनके भावनात्मक अनुभवों को महसूस करना शामिल होतRead more
सहानुभूति की परिभाषा और कमजोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में सहानुभूति की भूमिका
1. सहानुभूति की परिभाषा (Definition of Empathy):
- सहानुभूति किसी व्यक्ति की भावनाओं और अनुभवों को समझने और साझा करने की क्षमता है। इसमें किसी दूसरे के दृष्टिकोण को अपनाना और उनके भावनात्मक अनुभवों को महसूस करना शामिल होता है, जो करुणा और संवेदनशीलता को बढ़ावा देता है।
2. कमजोर वर्ग की समस्याओं के समाधान में सहानुभूति की भूमिका (Role of Empathy in Solving Problems of Weaker Sections):
- समस्याओं की समझ: सहानुभूति अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को कमजोर वर्गों की वास्तविक समस्याओं को समझने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान गरीबों की खाद्य जरूरतों को समझने से आयुष्मान भारत योजना के तहत बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की गईं।
- प्रभावी समाधान: सहानुभूति की मदद से समाधान जड़ों की समस्याओं को सुलझाते हैं। जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) ने गरीबों के लिए आवास की वास्तविक स्थिति को समझकर समाधान पेश किया।
- विश्वास का निर्माण: सहानुभूति से विश्वास और सहयोग बढ़ता है। स्वच्छ भारत मिशन में स्थानीय मुद्दों की समझ ने स्वच्छता अभियानों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निष्कर्ष: सहानुभूति कमजोर वर्ग की समस्याओं को प्रभावी ढंग से सुलझाने के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह समाधान को उनकी वास्तविक जरूरतों के अनुसार अनुकूलित करती है और सहायक वातावरण बनाती है।
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भारतीय समाज में परंपरागत मूल्य 1. परिवार की केंद्रीयता: भारतीय परंपरागत समाज में परिवार को सामाजिक जीवन का केंद्र माना जाता है। विस्तारित परिवार, जिसमें कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं, पारंपरिक सामाजिक संरचना का हिस्सा है। यह आधुनिक समय के न्यूक्लियर परिवार से भिन्न है। 2. बुजुर्गों का सम्मान: परंपरागतRead more
भारतीय समाज में परंपरागत मूल्य
1. परिवार की केंद्रीयता: भारतीय परंपरागत समाज में परिवार को सामाजिक जीवन का केंद्र माना जाता है। विस्तारित परिवार, जिसमें कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं, पारंपरिक सामाजिक संरचना का हिस्सा है। यह आधुनिक समय के न्यूक्लियर परिवार से भिन्न है।
2. बुजुर्गों का सम्मान: परंपरागत मूल्यों में बुजुर्गों के प्रति आदर और उनके अनुभव का सम्मान महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के तौर पर, दिवाली जैसे त्योहारों पर बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना इस मूल्य को दर्शाता है।
3. जाति व्यवस्था: ऐतिहासिक रूप से, जाति व्यवस्था भारतीय समाज की सामाजिक संरचना में गहरी पैठ बनाये हुए थी। हालांकि, आधुनिक भारत में जातिवाद को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है, फिर भी कुछ स्थानों पर इसके प्रभाव देखे जाते हैं।
आधुनिक मूल्य
1. व्यक्तिवाद: आधुनिक मूल्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों पर जोर देते हैं। न्यूक्लियर परिवार और कैरियर-उन्मुख जीवनशैली इसका उदाहरण हैं।
2. लिंग समानता: लिंग समानता पर बढ़ते फोकस के साथ महिलाओं के अधिकार और अवसरों में सुधार हो रहा है। समान वेतन और कार्यस्थल पर प्रतिनिधित्व का बढ़ावा इस बदलाव को दर्शाता है।
3. धर्मनिरपेक्षता: आधुनिक भारत में धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे धर्म आधारित भेदभाव कम हो रहा है। उदाहरणस्वरूप, ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 इस मूल्य की ओर एक कदम है।
भिन्नताएँ: परंपरागत मूल्य सामूहिक जीवन और पदानुक्रम का सम्मान करते हैं, जबकि आधुनिक मूल्य व्यक्तिवादी स्वातंत्र्य और समान अधिकारों पर जोर देते हैं। यह बदलाव पारिवारिक संरचनाओं, कार्यस्थल की संस्कृति और सामाजिक नीतियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
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