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'मनोवृत्ति में बल' क्या इंगित करता है?
सकारात्मक दृष्टिकोण आपके जीवन में एक महान दृढ़ संकल्प का ध्यान रखता है जो आपकी सफलता या आपकी चुनौतियों से छुटकारा पाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके मूलभूत पहलू इस प्रकार हैंः 1. आंतरिक शक्ति-चीजें अनुपयुक्त लगने पर भी उभरने की शक्ति और मन की स्थिरता। 2. ध्यान और दृढ़ता-लक्ष्य के बारे में एक स्पष्ट औरRead more
सकारात्मक दृष्टिकोण आपके जीवन में एक महान दृढ़ संकल्प का ध्यान रखता है जो आपकी सफलता या आपकी चुनौतियों से छुटकारा पाने के लिए महत्वपूर्ण है।
इसके मूलभूत पहलू इस प्रकार हैंः
1. आंतरिक शक्ति-चीजें अनुपयुक्त लगने पर भी उभरने की शक्ति और मन की स्थिरता।
2. ध्यान और दृढ़ता-लक्ष्य के बारे में एक स्पष्ट और उद्देश्यपूर्ण मन रखने की क्षमता।
3. लचीलापन-परिस्थितियों की आवश्यकता होने पर दृष्टिकोण और उपायों को बदलने की क्षमता होना।
4. “विचारों का प्रभाव”-यह समझना कि एक अच्छा रवैया कार्यों और परिणामों को बहुत अच्छी तरह से प्रभावित कर सकता है।
‘मनोवृत्ति में बल’ मानव मार्ग को निर्धारित करने और जीवन की जटिल स्थितियों से निपटने में मानसिकता की ताकत के बारे में बात करती है।
See lessसंतुलन सिद्धान्त किसने दिया था और यह सिद्धान्त क्या अध्ययन करता है?
संतुलन सिद्धांत: निर्माता और अध्ययन संतुलन सिद्धांत (Balance Theory) को फ्रिट्ज हाइडर (Fritz Heider) ने 1958 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति अपने विचारों, दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रेरितRead more
संतुलन सिद्धांत: निर्माता और अध्ययन
संतुलन सिद्धांत (Balance Theory) को फ्रिट्ज हाइडर (Fritz Heider) ने 1958 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और इसका उद्देश्य यह समझना है कि व्यक्ति अपने विचारों, दृष्टिकोणों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए कैसे प्रेरित होते हैं।
1. संतुलन सिद्धांत का निर्माण
संतुलन सिद्धांत यह समझाता है कि व्यक्ति अपनी सामाजिक और व्यक्तिगत धाराओं में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित होते हैं।
2. संतुलन सिद्धांत की मुख्य अवधारणाएँ
संतुलन सिद्धांत तीन तत्वों के बीच संबंधों का अध्ययन करता है:
यह सिद्धांत निम्नलिखित सुझाव देता है:
3. संतुलन सिद्धांत के अनुप्रयोग
संतुलन सिद्धांत के अनुप्रयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होते हैं:
4. आधुनिक संदर्भ और प्रासंगिकता
संतुलन सिद्धांत आधुनिक मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में इस प्रकार उपयोगी है:
निष्कर्ष
संतुलन सिद्धांत, जिसे फ्रिट्ज हाइडर ने प्रस्तुत किया, व्यक्तियों के विचारों और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा और प्रक्रिया का अध्ययन करता है। यह सिद्धांत संतुलित और असंतुलित स्थितियों के बीच के रिश्तों को समझने में मदद करता है और इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि विपणन, विवाद समाधान, और राजनीतिक रणनीतियाँ। हाल के उदाहरण और आधुनिक संदर्भ इस सिद्धांत की प्रभावशीलता और प्रासंगिकता को दर्शाते हैं।
See lessअनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण क्या है?
अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण (Heuristic Processing in Persuasive Communication) स्वतः शोध प्रक्रमण या heuristic processing एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति त्वरित और आसान निर्णय लेने के लिए सरल नियमों या संकेतन का उपयोग करता है, बिना गहराई से विश्लेषण किए। अनुनयात्मक संचार में, यह प्Read more
अनुनयात्मक संचार में स्वतः शोध प्रक्रमण (Heuristic Processing in Persuasive Communication)
स्वतः शोध प्रक्रमण या heuristic processing एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति त्वरित और आसान निर्णय लेने के लिए सरल नियमों या संकेतन का उपयोग करता है, बिना गहराई से विश्लेषण किए। अनुनयात्मक संचार में, यह प्रक्रिया संदेशों की प्रभावशीलता को समझने और प्रतिक्रिया देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
1. स्वतः शोध प्रक्रमण की परिभाषा
स्वतः शोध प्रक्रमण और गहन विश्लेषण (systematic processing) के बीच अंतर है, जहां गहन विश्लेषण में सूचनाओं की विस्तार से जांच की जाती है।
2. स्वतः शोध प्रक्रमण की तंत्रिकाएँ
स्वतः शोध प्रक्रमण में निम्नलिखित तंत्रिकाएँ शामिल होती हैं:
3. विज्ञापन और विपणन में स्वतः शोध प्रक्रमण
विज्ञापन और विपणन में, स्वतः शोध प्रक्रमण का उपयोग इस प्रकार किया जाता है:
4. जनमत और व्यवहार पर प्रभाव
स्वतः शोध प्रक्रमण जनमत और व्यवहार को इस प्रकार प्रभावित करता है:
निष्कर्ष
स्वतः शोध प्रक्रमण अनुनयात्मक संचार में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो त्वरित निर्णय लेने और संज्ञानात्मक शॉर्टकट्स का उपयोग करती है। यह विज्ञापन, विपणन, और जनस्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग होता है। हाल के उदाहरण जैसे कि राजनीतिक अभियान, विज्ञापन रणनीतियाँ, और स्वास्थ्य संचार इस प्रक्रिया की प्रभावशीलता और महत्व को दर्शाते हैं। स्वतः शोध प्रक्रमण के माध्यम से, व्यक्तियों और संगठनों को त्वरित और प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलती है।
See lessविभेद कीजियेः a. वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा में b. अभिवृत्ति की संरचना एवं प्रकार्यों में। (125 Words) [UPPSC 2021]
a. वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा वस्तुनिष्ठता परिभाषा: वस्तुनिष्ठता (Objectivity) किसी विषय के प्रति निष्पक्ष दृष्टिकोण है, जो व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों या भावनाओं से मुक्त होता है। उदाहरण: एक जज का निर्णय कानूनी तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित होना चाहिए, न कि व्यक्तिगत मान्यताओं पर। निष्ठा परिभाषा: निRead more
a. वस्तुनिष्ठता एवं निष्ठा
b. अभिवृत्ति की संरचना एवं प्रकार
निष्कर्ष
वस्तुनिष्ठता निष्पक्षता को दर्शाती है, जबकि निष्ठा नैतिकता और ईमानदारी को। अभिवृत्ति की संरचना और प्रकार व्यक्ति के मानसिक रुझानों और प्रतिक्रियाओं को विभिन्न परिप्रेक्ष्य में व्यक्त करते हैं।
See lessनिम्नलिखित में विभेद कीजिये: a.अभिवृत्ति एवं मूल्य। b.अभिवृत्ति एवं मत।(125 Words) [UPPSC 2018]
a. अभिवृत्ति एवं मूल्य अभिवृत्ति परिभाषा: अभिवृत्ति एक व्यक्ति की किसी विशेष विषय, वस्तु, या व्यक्ति के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक भावना होती है, जो उनके व्यवहार को प्रभावित करती है। उदाहरण: किसी व्यक्ति की सरकारी स्कूलों के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति हो सकती है, जिससे वह सरकारी स्कूलों को समर्थन कRead more
a. अभिवृत्ति एवं मूल्य
b. अभिवृत्ति एवं मत
निष्कर्ष
अभिवृत्ति और मूल्य व्यक्ति की स्थायी मानसिकता और विश्वासों को दर्शाते हैं, जबकि अभिवृत्ति और मत समयानुसार बदलने वाले विचार और राय को प्रदर्शित करते हैं।
See lessलोक सेवकों की लोकतंत्रीय अभिवृत्ति एवं अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति में अंतर बताइए । (125 Words) [UPPSC 2022]
लोक सेवकों की लोकतंत्रीय अभिवृत्ति एवं अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति में अंतर 1. लोकतंत्रीय अभिवृत्ति: लोकतंत्रीय अभिवृत्ति में लोक सेवक जनता की सेवा और जनसामान्य के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं। इसका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है। उदाहरण के लिए, आधिकारिक सूचना की पारदर्शिता सRead more
लोक सेवकों की लोकतंत्रीय अभिवृत्ति एवं अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति में अंतर
1. लोकतंत्रीय अभिवृत्ति: लोकतंत्रीय अभिवृत्ति में लोक सेवक जनता की सेवा और जनसामान्य के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं। इसका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है। उदाहरण के लिए, आधिकारिक सूचना की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए RTI (सूचना का अधिकार) अधिनियम का कार्यान्वयन, जो नागरिकों को सरकारी कार्यों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है।
2. अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति: अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति में लोक सेवक सत्ता और नियंत्रण पर जोर देते हैं, और रूल बुक और प्रोटोकॉल के अनुसार काम करते हैं। यह अभिवृत्ति कभी-कभी लोक सेवक और नागरिक के बीच दूरी पैदा कर सकती है। उदाहरण के लिए, बंगाल के निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान प्रक्रिया के दौरान अनावश्यक बाधाएँ उत्पन्न करना, जिससे नागरिकों को कठिनाइयाँ हुईं।
मूल अंतर: लोकतंत्रीय अभिवृत्ति में सेवा और पारदर्शिता की प्राथमिकता होती है, जबकि अधिकारीतंत्रीय अभिवृत्ति में अधिकार और नियमों के प्रति कड़ाई होती है। दोनों अभिवृत्तियाँ लोक सेवकों की भूमिका में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन लोकतंत्रीय अभिवृत्ति को अधिक प्राथमिकता देने से जनता के प्रति संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व बढ़ता है।
See less"अभिवृत्तियाँ हमारे अनुभवों का परिणाम है।" इस कथन के संदर्भ में अभिवृत्ति निर्माण हेतु उत्तरदायी कारकों की व्याख्या एवं मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
अभिवृत्तियाँ हमारे अनुभवों का परिणाम हैं 1. परिभाषा और निर्माण: अभिवृत्तियाँ लोगों, वस्तुओं या परिस्थितियों के प्रति मूल्यात्मक निर्णय और भावनाएँ होती हैं, जो हमारे अनुभवों और अंतःक्रियाओं से आकार लेती हैं। ये स्वाभाविक नहीं होतीं, बल्कि समय के साथ विभिन्न उत्तेजनाओं और स्थितियों के आधार पर विकसित हRead more
अभिवृत्तियाँ हमारे अनुभवों का परिणाम हैं
1. परिभाषा और निर्माण: अभिवृत्तियाँ लोगों, वस्तुओं या परिस्थितियों के प्रति मूल्यात्मक निर्णय और भावनाएँ होती हैं, जो हमारे अनुभवों और अंतःक्रियाओं से आकार लेती हैं। ये स्वाभाविक नहीं होतीं, बल्कि समय के साथ विभिन्न उत्तेजनाओं और स्थितियों के आधार पर विकसित होती हैं। उदाहरण के लिए, किसी विशेष करियर पथ के प्रति व्यक्ति की अभिवृत्ति सकारात्मक या नकारात्मक अनुभवों द्वारा प्रभावित हो सकती है।
2. अभिवृत्ति निर्माण के कारक
1. व्यक्तिगत अनुभव: प्रत्यक्ष अनुभव अभिवृत्तियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, कोविड-19 टीकाकरण अभियान में सकारात्मक अनुभव और प्रभावी संचार ने टीकों के प्रति सार्वजनिक अभिवृत्तियों को प्रभावित किया।
2. सामाजिक प्रभाव: परिवार, मित्र, और सांस्कृतिक मानदंड अभिवृत्ति निर्माण पर प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, एक परिवार जो शिक्षा को अत्यधिक महत्व देता है, उसके सदस्य आमतौर पर अकादमिक उपलब्धियों के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति विकसित करते हैं। हाल की सोशल मीडिया अध्ययन ने दिखाया है कि साथी प्रभाव कैसे सामाजिक मुद्दों पर अभिवृत्तियों को आकार दे सकते हैं।
3. शिक्षा और अध्ययन: औपचारिक शिक्षा और प्रशिक्षण ज्ञान और अनुभव प्रदान करते हैं, जो अभिवृत्तियों को आकार देते हैं। स्वच्छ भारत अभियान जैसे शैक्षिक कार्यक्रमों ने स्वच्छता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति अभिवृत्तियों को प्रभावित किया है।
4. मीडिया और संचार: मीडिया चित्रण और जनसंचार अभियानों से अभिवृत्तियों पर प्रभाव पड़ता है। #MeToo आंदोलन ने लिंग समानता और यौन उत्पीड़न के प्रति अभिवृत्तियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है, जो मीडिया की भूमिका को दर्शाता है।
5. भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ: भावनात्मक अनुभव भी अभिवृत्तियों को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को किसी विशेष तकनीक के साथ आघात का अनुभव हुआ हो तो वह तकनीक के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति विकसित कर सकता है।
मूल्यांकन: अभिवृत्ति निर्माण के कारकों को समझना नीति और सार्वजनिक कार्यक्रमों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। सकारात्मक अनुभवों और सामाजिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए प्रभावी जन अभियान और शैक्षिक कार्यक्रम तैयार किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य सार्वजनिक अभियानों द्वारा सकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों पर ध्यान केंद्रित कर अभिवृत्तियों में सुधार किया जा सकता है।
See lessअभिवृत्ति के प्रकार्यों की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
अभिवृत्ति के प्रकार्यों की विवेचना 1. संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Function): अभिवृत्तियाँ जानकारी को संगठित और विश्लेषित करने में मदद करती हैं। ये लोगों को विश्व की समझ और व्याख्या प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, पर्यावरणीय अभिवृत्तियाँ जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर लोगों की धारणाओं को प्रभावितRead more
अभिवृत्ति के प्रकार्यों की विवेचना
1. संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Function): अभिवृत्तियाँ जानकारी को संगठित और विश्लेषित करने में मदद करती हैं। ये लोगों को विश्व की समझ और व्याख्या प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, पर्यावरणीय अभिवृत्तियाँ जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर लोगों की धारणाओं को प्रभावित करती हैं।
2. भावनात्मक कार्य (Affective Function): अभिवृत्तियाँ भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करती हैं। स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक अभिवृत्तियाँ लोगों की मानसिक स्थिति और संतोष को बेहतर बनाती हैं। उदाहरण के लिए, मानसिक स्वास्थ्य पहल सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती हैं, जो तनाव प्रबंधन में सहायक होती हैं।
3. व्यवहारात्मक कार्य (Behavioral Function): अभिवृत्तियाँ व्यवहार और निर्णय लेने को मार्गदर्शित करती हैं। यह विभिन्न स्थितियों में लोगों के कार्यों को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया ट्रेंड्स यह दर्शाते हैं कि अभिवृत्तियाँ उपभोक्ता व्यवहार को कैसे प्रभावित करती हैं।
4. समायोजनात्मक कार्य (Adjustment Function): अभिवृत्तियाँ वातावरण के साथ समायोजित करने और लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, कार्यस्थल विविधता कार्यक्रम समावेशिता के प्रति सकारात्मक अभिवृत्तियाँ उत्पन्न करके टीमवर्क और उत्पादकता में सुधार करती हैं।
अभिवृत्तियाँ संज्ञान, भावनाओं, व्यवहार और समायोजन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
See lessसामाजिक समस्याओं के प्रति व्यक्ति की अभिवृत्ति (ऐटिट्यूड) के निर्माण में कौन-से कारक प्रभाव डालते हैं? हमारे समाज में अनेक सामाजिक समस्याओं के प्रति विषम अभिवृत्तियाँ व्याप्त हैं। हमारे समाज में जाति प्रथा के बारे में क्या-क्या विषम अभिवृत्तियाँ आपको दिखाई देती हैं? इन विषम अभिवृत्तियों के अस्तित्व को आप किस प्रकार स्पष्ट करते हैं?(150 words) [UPSC 2014]
सामाजिक समस्याओं के प्रति अभिवृत्ति के निर्माण में प्रभाव डालने वाले कारक व्यक्ति की सामाजिक समस्याओं के प्रति अभिवृत्ति (ऐटिट्यूड) के निर्माण में कई कारक प्रभाव डालते हैं: परिवार और पालन-पोषण: परिवार द्वारा दिए गए मूल्यों और मान्यताएँ एक व्यक्ति की अभिवृत्ति को आकार देती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसRead more
सामाजिक समस्याओं के प्रति अभिवृत्ति के निर्माण में प्रभाव डालने वाले कारक
व्यक्ति की सामाजिक समस्याओं के प्रति अभिवृत्ति (ऐटिट्यूड) के निर्माण में कई कारक प्रभाव डालते हैं:
जाति प्रथा के प्रति विषम अभिवृत्तियाँ
जाति प्रथा के प्रति विषम अभिवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं:
विषम अभिवृत्तियों के अस्तित्व की व्याख्या
इन विषम अभिवृत्तियों के अस्तित्व को इन विभिन्न कारकों के प्रभाव से समझा जा सकता है, जो समाज में जाति प्रथा के प्रति विभिन्न दृष्टिकोण उत्पन्न करते हैं।
See lessमनोवृत्ति को परिभाषित कीजिये तथा मनोवृत्ति एवं अभिक्षमता के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य संबंधों की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
मनोवृत्ति की परिभाषा और अभिक्षमता के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में संबंध 1. मनोवृत्ति की परिभाषा (Definition of Attitude): मनोवृत्ति: मनोवृत्ति एक मानसिक स्थिति या प्रवृत्ति है जो किसी व्यक्ति के विचारों, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करती है। यह एक विशेष व्यक्ति, वस्तु, या स्थिति के प्रति सकारात्मक याRead more
मनोवृत्ति की परिभाषा और अभिक्षमता के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में संबंध
1. मनोवृत्ति की परिभाषा (Definition of Attitude):
2. मनोवृत्ति और अभिक्षमता के संबंध (Relationship Between Aptitude and Attitude):
निष्कर्ष: ऐतिहासिक रूप से, मनोवृत्ति को मानसिक प्रवृत्ति के रूप में देखा गया है, जो अभिक्षमता के उपयोग को प्रभावित करती है। अभिक्षमता आंतरिक क्षमताओं को दर्शाती है, जबकि मनोवृत्ति यह निर्धारित करती है कि ये क्षमताएँ कितनी प्रभावी ढंग से उपयोग की जाती हैं।
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