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जीवन, कार्य, अन्य व्यक्तियों एवं समाज के प्रति हमारी अभिवृत्तियाँ आमतौर पर अनजाने में परिवार एवं उस सामाजिक परिवेश के द्वारा रूपित हो जाती हैं, जिसमें हम बड़े होते हैं। अनजाने में प्राप्त इनमें से कुछ अभिवृत्तियाँ एवं मूल्य अक्सर आधुनिक लोकतांत्रिक एवं समतावादी समाज के नागरिकों के लिए अवांछनीय होते हैं।
आपने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। वास्तव में, हमारे परिवार और सामाजिक परिवेश का हमारी सोच, अभिवृत्तियों और मूल्यों पर गहरा असर पड़ता है। जब हम किसी विशेष सामाजिक परिवेश में बड़े होते हैं, तो उसकी सांस्कृतिक मान्यताएँ और आदतें हमें बिना सोचे-समझे प्रभावित कर देती हैं। इन प्रभावों के कारण हमें कभी-कRead more
आपने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। वास्तव में, हमारे परिवार और सामाजिक परिवेश का हमारी सोच, अभिवृत्तियों और मूल्यों पर गहरा असर पड़ता है। जब हम किसी विशेष सामाजिक परिवेश में बड़े होते हैं, तो उसकी सांस्कृतिक मान्यताएँ और आदतें हमें बिना सोचे-समझे प्रभावित कर देती हैं। इन प्रभावों के कारण हमें कभी-कभी आधुनिक लोकतांत्रिक और समतावादी समाज के मूल्यों के साथ टकराव का सामना करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई परिवार या समाज जातिवाद, लिंग भेदभाव, या अन्य प्रकार की असमानताओं को सामान्य मानता है, तो वे मान्यताएँ हमें स्वाभाविक रूप से प्रभावित कर सकती हैं, भले ही हम बड़े होकर एक समानता आधारित समाज में जीना चाहें। इस स्थिति में, हमें अपने पूर्वाग्रहों और पुरानी आदतों को पहचानकर उनके खिलाफ सजग रहना पड़ता है, ताकि हम एक समतावादी दृष्टिकोण अपना सकें।
समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयासरत रहना भी जरूरी है। इसके लिए शिक्षा, संवाद, और आत्मचिंतन महत्वपूर्ण उपकरण हो सकते हैं। क्या आप इस विषय पर और कुछ जानना चाहेंगे या किसी विशेष पहलू पर चर्चा करना चाहेंगे?
See less'घृणा व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण के लिए संहारक है जो राष्ट्र के चित् को विषाक्त कर सकती है।' क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर की तर्कसंगत व्याख्या करें। (150 words) [UPSC 2020]
घृणा और इसके प्रभाव **1. घृणा का प्रभाव a. बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण पर प्रभाव: घृणा व्यक्ति की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यह तर्कशीलता को धुंधला करती है और पूर्वाग्रहों को प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के तौर पर, नफरत आधारित हिंसा और भेदभाव समाज में विभाजन औरRead more
घृणा और इसके प्रभाव
**1. घृणा का प्रभाव
a. बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण पर प्रभाव:
घृणा व्यक्ति की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। यह तर्कशीलता को धुंधला करती है और पूर्वाग्रहों को प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के तौर पर, नफरत आधारित हिंसा और भेदभाव समाज में विभाजन और असंतोष को जन्म देते हैं।
b. राष्ट्र के चित्त पर विषाक्त प्रभाव:
घृणा राष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा को विषाक्त कर सकती है। भारत में हालिया सांप्रदायिक दंगे, जैसे दिल्ली दंगे 2020, इस विचार को साबित करते हैं, जहां घृणा ने समाज में बड़े पैमाने पर हिंसा और अराजकता को जन्म दिया।
**2. प्रसार और समाधान
a. घृणा का प्रसार:
सामाजिक मीडिया और प्रचार माध्यम घृणा को फैलाने में सहायक हो सकते हैं, जिससे समाज में द्वेष और हिंसा को बढ़ावा मिलता है। फेसबुक और ट्विटर पर भ्रामक सूचनाओं और नफरत भरे भाषणों का प्रसार इसका उदाहरण है।
b. समाधान:
घृणा के खिलाफ नीतिगत उपाय और शैक्षिक कार्यक्रम प्रभावी हो सकते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए चलाए गए सरकारी और गैर-सरकारी अभियानों ने समाज में समझ और सहनशीलता को प्रोत्साहित किया है।
निष्कर्ष:
See lessघृणा न केवल व्यक्ति की बुद्धिमत्ता और अन्तःकरण को संहारक रूप में प्रभावित करती है, बल्कि यह राष्ट्र की सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता को भी विषाक्त कर सकती है। इससे निपटने के लिए शिक्षा और संवेदनशीलता महत्वपूर्ण हैं।
सकारात्मक अभिवृत्ति एक लोक सेवक की अनिवार्य विशेषता मानी जाती है जिसे प्रायः नितान्त दबाव में कार्य करना पड़ता है। एक व्यक्ति की सकारात्मक अभिवृत्ति में क्या योगदान देता है ? (150 words) [UPSC 2020]
सकारात्मक अभिवृत्ति में योगदान देने वाले तत्व 1. आत्म-जागरूकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता: स्वयं की क्षमताओं और कमजोरियों की समझ और भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है। उदाहरण के लिए, आईएएस अधिकारी आयुक्त अनुपम सिन्हा ने अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए कोविRead more
सकारात्मक अभिवृत्ति में योगदान देने वाले तत्व
1. आत्म-जागरूकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता: स्वयं की क्षमताओं और कमजोरियों की समझ और भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है। उदाहरण के लिए, आईएएस अधिकारी आयुक्त अनुपम सिन्हा ने अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए कोविड-19 संकट के दौरान राहत कार्यों में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा।
2. लचीलापन और अनुकूलनशीलता: असफलताओं से उबरने और नई परिस्थितियों के अनुसार ढलने की क्षमता सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखती है। आईपीएस अधिकारी विजय कुमार, जिन्होंने कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में कठिन परिस्थितियों का सामना किया, ने अपने लचीलेपन के माध्यम से सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा।
3. सतत सीखना और सुधार: स्वयं को निरंतर अपडेट और नया सीखना सकारात्मक मानसिकता को प्रोत्साहित करता है। डिजिटल इंडिया के तहत, कर्मचारी और अधिकारियों ने नई तकनीकों के प्रशिक्षण में सक्रिय भाग लिया, जिससे उनके दृष्टिकोण में सकारात्मकता बनी रही।
4. सहायक वातावरण और रिश्ते: एक समर्थन प्रणाली, जिसमें मेंटर्स और सहकर्मी शामिल हैं, सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रखने में सहायक होती है। कोविड-19 महामारी के दौरान, सिविल सेवकों का सहयोग और आपसी समर्थन ने उनकी सकारात्मकता और काम करने की क्षमता को बनाए रखा।
निष्कर्ष
एक व्यक्ति की सकारात्मक अभिवृत्ति में आत्म-जागरूकता, लचीलापन, सतत सीखना, और सहायक वातावरण जैसे तत्व महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जो नितान्त दबाव में भी एक संतुलित और प्रभावी दृष्टिकोण बनाए रखने में सहायक होते हैं।
See lessअभिवृत्ति एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो मानव के विकास में निवेश (इन्पुट) का काम करता है। ऐसी उपयुक्त अभिवृत्ति का विकास कैसे करें, जो एक लोक सेवक के लिए आवश्यक है? (150 words) [UPSC 2021]
उपयुक्त अभिवृत्ति का विकास 1. सेवा की भावना लोक सेवक के रूप में, सेवा की भावना सबसे महत्वपूर्ण है। यह समझना आवश्यक है कि जन सेवा का उद्देश्य समाज के प्रति योगदान करना है, न कि व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करना। इसे विकसित करने के लिए, नियमित रूप से समाज के विभिन्न वर्गों के साथ संपर्क और संवाद करना चाहिए,Read more
उपयुक्त अभिवृत्ति का विकास
1. सेवा की भावना
लोक सेवक के रूप में, सेवा की भावना सबसे महत्वपूर्ण है। यह समझना आवश्यक है कि जन सेवा का उद्देश्य समाज के प्रति योगदान करना है, न कि व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करना। इसे विकसित करने के लिए, नियमित रूप से समाज के विभिन्न वर्गों के साथ संपर्क और संवाद करना चाहिए, उनकी समस्याओं को समझने और समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
2. नैतिकता और ईमानदारी
नैतिकता और ईमानदारी लोक सेवक के कर्तव्यों का मूल है। ईमानदारी से कार्य करना और नैतिक निर्णय लेना महत्वपूर्ण है। हाल ही में, आईएएस अधिकारी डॉ. शाह फैसल ने समाज के प्रति अपनी ईमानदारी और निष्ठा के लिए प्रशंसा प्राप्त की है, जो इस दिशा में एक आदर्श उदाहरण है।
3. स्थिरता और सहनशीलता
स्थिरता और सहनशीलता को बढ़ावा देना आवश्यक है। कार्य के दबाव और चुनौतियों के बावजूद, धैर्य और समर्पण बनाए रखना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट ने कोविड-19 महामारी के दौरान लगातार काम किया, जिसने स्थिरता और धैर्य का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।
4. संचार कौशल
संचार कौशल का विकास भी आवश्यक है। प्रभावी संवाद और सक्रिय सुनवाई के माध्यम से जनता की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
इन अभिवृत्तियों को अपनाकर और निरंतर अभ्यास करके लोक सेवक अपने कर्तव्यों का सर्वोत्तम ढंग से निर्वहन कर सकते हैं।
See lessअभिवृत्ति के विभिन्न अवयवों का वर्णन कीजिए तथा अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का विवेचन कीजिए । (125 Words) [UPPSC 2023]
अभिवृत्ति के विभिन्न अवयव और निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक 1. अभिवृत्ति के अवयव संज्ञानात्मक अवयव: यह धारणाएं और विचार होते हैं, जो किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति हमारी सोच को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति का मानना कि स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहिए, उसकी संज्ञानात्मक अभिवृत्ति है।Read more
अभिवृत्ति के विभिन्न अवयव और निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक
1. अभिवृत्ति के अवयव
2. अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक
निष्कर्ष: अभिवृत्ति के अवयवों में संज्ञानात्मक, भावनात्मक, और व्यवहारिक तत्व शामिल होते हैं, और इन्हें प्रभावित करने वाले कारकों में परिवार, शिक्षा, और मीडिया शामिल हैं।
See lessकार्य किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति में गहन बदलाव के लिए उत्प्रेरक होता है।" आप इस कथन से कहां तक सहमत हैं? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए उपयुक्त उदाहरण दीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
"कार्य किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति में गहन बदलाव के लिए उत्प्रेरक होता है" इस कथन से सहमत हुआ जा सकता है। कार्य और अनुभव व्यक्ति की सोच और व्यवहार को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के रूप में, एक व्यक्ति जो शुरू में समाजसेवा में संलग्न नहीं था, यदि वह किसी सामाजिक परियोजना पर काम करताRead more
“कार्य किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति में गहन बदलाव के लिए उत्प्रेरक होता है” इस कथन से सहमत हुआ जा सकता है। कार्य और अनुभव व्यक्ति की सोच और व्यवहार को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उदाहरण के रूप में, एक व्यक्ति जो शुरू में समाजसेवा में संलग्न नहीं था, यदि वह किसी सामाजिक परियोजना पर काम करता है, तो उसकी दृष्टि में बदलाव आ सकता है। समाजसेवा के दौरान उसे समाज की समस्याओं और जरूरतों का गहरा अनुभव होता है, जिससे उसकी सोच में बदलाव आ सकता है और वह समाज के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, एक नया पेशेवर चुनौतीपूर्ण परियोजना को अपनाते समय अपनी क्षमता और दक्षताओं को समझता है, जिससे आत्म-संवाद और आत्मविश्वास में सुधार होता है। इन कार्यों के अनुभव से उसकी अभिवृत्ति और सोच में परिवर्तन आता है।
इस प्रकार, कार्य व्यक्तिगत विकास और अभिवृत्ति में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने में सक्षम हो सकता है।
See lessसामाजिक समस्या के प्रति व्यक्ति की मनोवृत्ति निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों की उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
सामाजिक समस्या के प्रति व्यक्ति की मनोवृत्ति निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक 1. परिवार और सामाजिक परिवेश: व्यक्ति की मनोवृत्ति पर उसके परिवार और सामाजिक परिवेश का गहरा प्रभाव होता है। उदाहरण: अगर परिवार में जातिवाद या लिंग भेदभाव को बढ़ावा दिया जाता है, तो व्यक्ति की मनोवृत्ति भी प्रभावित होती हैRead more
सामाजिक समस्या के प्रति व्यक्ति की मनोवृत्ति निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक
1. परिवार और सामाजिक परिवेश: व्यक्ति की मनोवृत्ति पर उसके परिवार और सामाजिक परिवेश का गहरा प्रभाव होता है। उदाहरण: अगर परिवार में जातिवाद या लिंग भेदभाव को बढ़ावा दिया जाता है, तो व्यक्ति की मनोवृत्ति भी प्रभावित होती है। उदाहरण: एक पारंपरिक परिवार में पलने-बढ़ने वाले व्यक्ति के लिए जातिवादी सोच सामान्य हो सकती है।
2. शिक्षा और जानकारी: शिक्षा और जानकारी व्यक्ति की सोच को दिशा देती है। उदाहरण: नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के प्रचार-प्रसार के माध्यम से, शिक्षा और जागरूकता ने स्वच्छता के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति निर्माण में मदद की है।
3. मीडिया और मनोरंजन: मीडिया और मनोरंजन का प्रभाव भी महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण: बॉलीवुड फिल्मों में महिलाओं की सशक्तिकरण की कहानियाँ जैसे कि “मांझी: द माउंटेन मैन” ने समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया।
4. कानूनी और नीतिगत ढाँचा: कानूनी और नीतिगत ढाँचा समाज की समस्याओं के प्रति मनोवृत्ति को प्रभावित करता है। उदाहरण: आरटीआई (सूचना के अधिकार) के कार्यान्वयन ने सार्वजनिक पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के प्रति लोगों की सोच में सुधार किया है।
5. व्यक्तिगत अनुभव: व्यक्ति के अपने अनुभव भी उसकी सोच को प्रभावित करते हैं। उदाहरण: किसी ने सामाजिक भेदभाव का व्यक्तिगत अनुभव किया है, तो वह इस समस्या के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है।
निष्कर्ष: सामाजिक समस्याओं के प्रति व्यक्ति की मनोवृत्ति पर परिवार, शिक्षा, मीडिया, कानूनी ढाँचा, और व्यक्तिगत अनुभव जैसे कारक गहरा प्रभाव डालते हैं। इन कारकों की समझ से सामाजिक बदलाव और जागरूकता में सुधार संभव है।
See lessलिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्ति के मूल कारणों की विवेचना कीजिये। यह इतनी दृढ़ क्यों है? (200 Words) [UPPSC 2021]
लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्ति के मूल कारण 1. सांस्कृतिक और पारंपरिक धारणाएँ: पारंपरिक सांस्कृतिक मान्यताएँ और पुरानी परंपराएँ लिंग भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण: कई समाजों में पुरुषों को उच्च दर्जा और महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित माना जाता है, जिससे लिंग असमानता बढ़ती है। 2. शिक्षा और जाRead more
लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्ति के मूल कारण
1. सांस्कृतिक और पारंपरिक धारणाएँ: पारंपरिक सांस्कृतिक मान्यताएँ और पुरानी परंपराएँ लिंग भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण: कई समाजों में पुरुषों को उच्च दर्जा और महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित माना जाता है, जिससे लिंग असमानता बढ़ती है।
2. शिक्षा और जागरूकता की कमी: शिक्षा की कमी और लिंग संवेदनशीलता के बारे में जागरूकता का अभाव लिंग भेदभाव को बढ़ावा देता है। उदाहरण: ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की शिक्षा पर कम ध्यान और लड़कों को प्राथमिकता देना।
3. कानूनी और संस्थागत असमानताएँ: कानूनों और नीतियों की कमी या उनका प्रभावी कार्यान्वयन न होने के कारण लिंग भेदभाव में कमी नहीं आती। उदाहरण: महिला श्रम अधिकारों के प्रभावी कार्यान्वयन की कमी।
4. सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ: महिलाओं और पुरुषों के बीच आर्थिक और सामाजिक असमानताएँ लिंग भेदभाव को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण: कार्यस्थलों पर वेतन असमानता और उच्च पदों पर महिलाओं की कमी।
5. मीडिया और मनोरंजन का प्रभाव: मीडिया और मनोरंजन में लिंग भेदभाव वाले स्टीरियोटाइप को बढ़ावा दिया जाता है। उदाहरण: विज्ञापनों और फिल्में जो पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को सुदृढ़ करती हैं।
क्यों इतनी दृढ़ है?
लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्ति सांस्कृतिक परंपराओं, शिक्षा की कमी, कानूनी संरचनाओं की कमी, सामाजिक असमानताओं और मीडिया के प्रभाव के कारण दृढ़ है। इन तत्वों के सम्मिलित प्रभाव से लिंग भेदभाव का उन्मूलन कठिन हो जाता है।
निष्कर्ष: लिंग संबंधी नकारात्मक अभिवृत्तियों को दूर करने के लिए सांस्कृतिक बदलाव, शिक्षा में सुधार, कानूनी सुधार और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है।
See lessमानव के नैतिक एवं राजनैतिक अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? आप इन्हें वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में किस प्रकार उचित सिद्ध करेंगे? (200 Words) [UPPSC 2021]
मानव के नैतिक एवं राजनैतिक अभिवृत्ति नैतिक अभिवृत्ति: यह व्यक्ति के आचार-व्यवहार और निर्णयों में सत्य, न्याय, और ईमानदारी जैसे मूल्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह उसकी नैतिक जिम्मेदारियों और आचार-नियमों का पालन करने की प्रवृत्ति को दर्शाती है। राजनैतिक अभिवृत्ति: यह व्यक्ति की राजनीति और सरकारी नीतिRead more
मानव के नैतिक एवं राजनैतिक अभिवृत्ति
नैतिक अभिवृत्ति: यह व्यक्ति के आचार-व्यवहार और निर्णयों में सत्य, न्याय, और ईमानदारी जैसे मूल्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह उसकी नैतिक जिम्मेदारियों और आचार-नियमों का पालन करने की प्रवृत्ति को दर्शाती है।
राजनैतिक अभिवृत्ति: यह व्यक्ति की राजनीति और सरकारी नीतियों के प्रति दृष्टिकोण और विश्वास को संदर्भित करती है। इसमें सत्ता की जिम्मेदारी, न्यायप्रियता, और पारदर्शिता जैसे तत्व शामिल हैं।
वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में उपयुक्तता:
निष्कर्ष: नैतिक और राजनैतिक अभिवृत्ति का सही अनुपालन सरकार की प्रभावशीलता और सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने में सहायक है।
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