ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) के कारणों और प्रभाव की व्याख्या कीजिए। इस संदर्भ में सरकार द्वारा कौन-से उपाय किए गए हैं?(250 शब्दों में उत्तर दें)
प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं में अन्तर प्राकृतिक आपदाएँ: परिभाषा: ये ऐसी आपदाएँ हैं जो पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण होती हैं, जैसे भूकंप, चक्रवात, सुनामी, मूसलधार बारिश, और आग। उदाहरण: 2019 का केरल बाढ़ और 2004 का भारतीय महासागर सुनामी प्राकृतिक आपदाएँ हैं, जो प्राकृतिक घटनाओं के कारणRead more
प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं में अन्तर
- प्राकृतिक आपदाएँ:
- परिभाषा: ये ऐसी आपदाएँ हैं जो पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण होती हैं, जैसे भूकंप, चक्रवात, सुनामी, मूसलधार बारिश, और आग।
- उदाहरण: 2019 का केरल बाढ़ और 2004 का भारतीय महासागर सुनामी प्राकृतिक आपदाएँ हैं, जो प्राकृतिक घटनाओं के कारण हुईं।
- मानव निर्मित आपदाएँ:
- परिभाषा: ये आपदाएँ मानव क्रियाओं या लापरवाहियों के परिणामस्वरूप होती हैं, जैसे औद्योगिक दुर्घटनाएँ, नाभिकीय दुर्घटनाएँ, तेल रिसाव, और आतंकी हमले।
- उदाहरण: 1984 का भोपाल गैस त्रासदी और 2020 का दिल्ली आग मानव निर्मित आपदाएँ हैं, जिनका कारण मानव गतिविधियाँ या लापरवाही है।
भारत में आपदा प्रबंधन प्रणाली की प्रभावशीलता
- संस्थागत ढांचा:
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): यह प्राधिकरण नीतियाँ तैयार करता है और आपदा प्रबंधन के समन्वय को सुनिश्चित करता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) के तहत, इसके द्वारा सतर्कता और प्रतिक्रिया योजनाएँ बनाई जाती हैं।
- राज्य और जिला प्राधिकरण: राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के कार्यान्वयन में सहायक होते हैं।
- तैयारी और प्रबंधन:
- तैयारी योजनाएँ: प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए नियमित प्रशिक्षण और सिमुलेशन अभ्यास किए जाते हैं।
- प्रतिक्रिया: संचार प्रणाली और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रिया को सक्षम बनाती हैं।
- हालिया उदाहरण:
- साइकलोन अम्फान (2020): तेजी से प्रतिक्रिया और प्रभावी निकासी योजनाओं ने जीवन के नुकसान को कम किया।
- COVID-19 महामारी: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA) का उपयोग करके व्यापक स्वास्थ्य सुविधाएँ और सप्लाई चेन मैनेजमेंट को सफलतापूर्वक लागू किया गया।
निष्कर्ष: भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली ने संस्थागत ढांचे, तैयारी और प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, जिससे आपदा की स्थिति में प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा रही है। फिर भी, स्थानीय स्तर पर सुधार और सतत निगरानी की आवश्यकता है।
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ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) तब होते हैं जब ग्लेशियल झीलें अचानक फट जाती हैं, जिससे भारी मात्रा में पानी और मलबा तेजी से निचले इलाकों में बहता है। यह एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा हो सकती है, जिसके कई कारण और गंभीर प्रभाव होते हैं। कारण: जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ रही है, जRead more
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) तब होते हैं जब ग्लेशियल झीलें अचानक फट जाती हैं, जिससे भारी मात्रा में पानी और मलबा तेजी से निचले इलाकों में बहता है। यह एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा हो सकती है, जिसके कई कारण और गंभीर प्रभाव होते हैं।
कारण:
जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियरों के पिघलने की दर बढ़ रही है, जिससे झीलों में पानी का स्तर बढ़ जाता है और उनमें दबाव बढ़ता है, जिससे वे टूट सकती हैं।
मोराइन बांधों की अस्थिरता: मोराइन (ग्लेशियरों द्वारा जमा की गई मिट्टी और पत्थर) से बनी बांधें अस्थिर होती हैं। भूकंप, भूमि धसाव, या हिमस्खलन जैसी घटनाएं इन बांधों को कमजोर कर सकती हैं, जिससे झीलें फट सकती हैं।
बर्फ के पुलों का ध्वंस: कई बार ग्लेशियर झीलों के ऊपर बर्फ के पुल या आइस डैम्स होते हैं। जब ये बर्फ के पुल टूटते हैं, तो झील का पानी अचानक बाहर निकल सकता है।
प्रभाव:
निचले इलाकों में बाढ़: GLOFs के कारण निचले इलाकों में अचानक बाढ़ आ सकती है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है।
पर्यावरणीय क्षति: बाढ़ से वनस्पतियों, कृषि भूमि, और जल स्रोतों को नुकसान पहुंचता है। साथ ही, यह नदी तंत्र और पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित करता है।
बुनियादी ढांचे का नुकसान: GLOFs से पुल, सड़कों, और भवनों जैसे बुनियादी ढांचे को भारी क्षति पहुंचती है, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।
सरकारी उपाय:
मॉनिटरिंग और अर्ली वार्निंग सिस्टम: सरकार ने हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियल झीलों की निगरानी के लिए उपग्रह आधारित प्रणाली और अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किए हैं, जिससे समय पर चेतावनी दी जा सके।
जोखिम मूल्यांकन: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने GLOFs के संभावित जोखिमों का मूल्यांकन करने के लिए परियोजनाएं शुरू की हैं, जो संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करने में मदद करती हैं।
समुदाय की तैयारी: सरकार ने स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और आपदा प्रबंधन योजनाओं में उन्हें शामिल करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिससे GLOFs की स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
इन उपायों के माध्यम से, सरकार GLOFs के खतरों को कम करने और इससे होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है।
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