प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं में अन्तर स्पष्ट करें। साथ ही, भारत में आपदा प्रबन्धन प्रणाली की प्रभावशीलता स्पष्ट करें । (200 Words) [UPPSC 2023]
भारत में आकस्मिक बाढ़ के कारण और प्रभाव आकस्मिक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) तीव्र और अचानक उत्पन्न होने वाली बाढ़ है, जो निचले इलाकों में भारी तबाही का कारण बनती है। भारत के कई हिस्सों में बार-बार आकस्मिक बाढ़ आने के कारण निम्नलिखित हैं: कारण: तेज वर्षा: मॉनसून की सक्रियता: मानसून के दौरान अत्यधिक वर्षा के काRead more
भारत में आकस्मिक बाढ़ के कारण और प्रभाव
आकस्मिक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) तीव्र और अचानक उत्पन्न होने वाली बाढ़ है, जो निचले इलाकों में भारी तबाही का कारण बनती है। भारत के कई हिस्सों में बार-बार आकस्मिक बाढ़ आने के कारण निम्नलिखित हैं:
कारण:
- तेज वर्षा:
- मॉनसून की सक्रियता: मानसून के दौरान अत्यधिक वर्षा के कारण जलग्रहण क्षेत्र में अचानक पानी का स्तर बढ़ जाता है। विशेषकर, हिमालयी क्षेत्रों में मूसलधार बारिश और ग्लेशियरों से पिघलता पानी तेजी से नदियों में भर जाता है।
- चक्रवात और भारी वर्षा: चक्रवात और आंधी-तूफान के कारण अचानक भारी वर्षा होती है, जिससे नदियाँ उफन जाती हैं और जलस्तर तेजी से बढ़ता है।
- भौगोलिक विशेषताएँ:
- निचले और संवेदनशील क्षेत्र: भारत के निचले क्षेत्र जैसे गंगा डेल्टा और यमुनापार क्षेत्र आकस्मिक बाढ़ के लिए संवेदनशील हैं। यहाँ की भूमि निम्न स्तर की होती है और जल निकासी की क्षमता कम होती है।
- शहरीकरण और भूमि उपयोग परिवर्तन: अवैध निर्माण, सड़कें और जल निकासी प्रणालियों का अभाव बाढ़ की स्थिति को और बिगाड़ते हैं।
- जलवायु परिवर्तन:
- मौसमी पैटर्न में बदलाव: जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की अनियमितता और अधिक तीव्र वर्षा की घटनाएँ आम हो गई हैं।
प्रभाव:
- विनाशकारी प्रभाव:
- मानव जीवन और संपत्ति पर प्रभाव: आकस्मिक बाढ़ से हजारों लोग प्रभावित होते हैं, घर और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचता है। राहत कार्यों में कठिनाइयाँ आती हैं।
- कृषि पर असर: बाढ़ से खेतों में पानी भर जाता है, जिससे फसलों का नुकसान होता है और खाद्य संकट उत्पन्न होता है।
- स्वास्थ्य और सुरक्षा:
- स्वास्थ्य संकट: बाढ़ के बाद स्वच्छता समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जिससे जलजनित बीमारियाँ जैसे डेंगू, मलेरिया, और हैजा फैलती हैं।
- संवेदनशील क्षेत्रों में जोखिम: बाढ़ के कारण सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे राहत कार्य और आपातकालीन सेवाओं में बाधाएँ आती हैं।
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- पर्यावरणीय नुकसान: बाढ़ से प्राकृतिक आवास और वन्य जीवन प्रभावित होते हैं। नदी तटों की कटाई और अवसंरचना के क्षति से पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचता है।
निष्कर्ष:
भारत में आकस्मिक बाढ़ की समस्या के कारण जटिल हैं, जिसमें अत्यधिक वर्षा, भौगोलिक विशेषताएँ, और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। इसके विनाशकारी प्रभाव मानव जीवन, संपत्ति, और पर्यावरण पर गहरा असर डालते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए जलवायु अनुकूलन, बेहतर जल निकासी प्रणालियों और प्रभावी आपातकालीन प्रबंधन की आवश्यकता है।
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प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं में अन्तर
भारत में आपदा प्रबंधन प्रणाली की प्रभावशीलता
निष्कर्ष: भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली ने संस्थागत ढांचे, तैयारी और प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं, जिससे आपदा की स्थिति में प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा रही है। फिर भी, स्थानीय स्तर पर सुधार और सतत निगरानी की आवश्यकता है।
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