प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] प्राकृतिक आपदाओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
भारत में केंद्र, राज्य तथा जनपद स्तरों पर आपदा प्रबंधन परिचय: भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली एक तीन स्तरीय ढांचा है, जिसमें केंद्र, राज्य, और जनपद स्तर शामिल हैं। यह ढांचा आपदाओं से निपटने और राहत कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए जिम्मेदार है। **1. केंद्र स्तर: केंद्र स्तर पर, राष्ट्रीय आRead more
भारत में केंद्र, राज्य तथा जनपद स्तरों पर आपदा प्रबंधन
परिचय: भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली एक तीन स्तरीय ढांचा है, जिसमें केंद्र, राज्य, और जनपद स्तर शामिल हैं। यह ढांचा आपदाओं से निपटने और राहत कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए जिम्मेदार है।
**1. केंद्र स्तर: केंद्र स्तर पर, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) प्रमुख निकाय है, जिसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया है। NDMA की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और यह आपदा प्रबंधन के लिए नीतियाँ, योजनाएँ और दिशा-निर्देश तैयार करता है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), NDMA के अधीन कार्य करता है और आपातकालीन राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, 2023 के हिमाचल प्रदेश बाढ़ में, NDRF ने व्यापक बचाव और राहत कार्य किए।
**2. राज्य स्तर: राज्य स्तर पर, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) प्रत्येक राज्य में स्थापित है और इसकी अध्यक्षता राज्य के मुख्यमंत्री करते हैं। SDMA राज्य की आपदा प्रबंधन योजनाओं को तैयार करता है और कार्यान्वित करता है। 2022 के उत्तराखंड के भारी बारिश के दौरान, SDMA ने स्थानीय एजेंसियों और संगठनों के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्यों का समन्वय किया।
**3. जनपद स्तर: जनपद स्तर पर, जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA), जिसकी अध्यक्षता जनपद कलेक्टर करते हैं, आपदा प्रबंधन का पहला स्तर है। DDMA स्थानीय समस्याओं का समाधान करता है और आपातकालीन राहत कार्यों का संचालन करता है। 2021 के चमोली फ्लैश फ्लड्स के दौरान, DDMA ने तत्काल राहत, निकासी और पुनर्वास कार्यों का प्रभावी प्रबंधन किया।
हाल का उदाहरण: COVID-19 महामारी के दौरान, NDMA ने राष्ट्रीय दिशा-निर्देश जारी किए, राज्य सरकारों ने स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन और स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय लागू किए, और जनपद प्राधिकरण ने कंटेनमेंट जोन का प्रबंधन किया।
निष्कर्ष: भारत का आपदा प्रबंधन ढांचा केंद्र, राज्य, और जनपद स्तरों पर एक समन्वित प्रणाली है, जो आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन और राहत कार्यों को सुनिश्चित करता है। इस ढांचे को निरंतर सुधार और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है।
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प्राकृतिक आपदाएँ: संक्षिप्त वर्णन 1. परिभाषा और प्रकार प्राकृतिक आपदाएँ वे अचानक और चरम घटनाएँ हैं जो पर्यावरणीय कारकों के कारण होती हैं और जिनसे जीवन, संपत्ति और प्राकृतिक संसाधनों को गंभीर नुकसान होता है। इन आपदाओं को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: मौसमी आपदाएँ: ये मौसमीय स्थितियोंRead more
प्राकृतिक आपदाएँ: संक्षिप्त वर्णन
1. परिभाषा और प्रकार
प्राकृतिक आपदाएँ वे अचानक और चरम घटनाएँ हैं जो पर्यावरणीय कारकों के कारण होती हैं और जिनसे जीवन, संपत्ति और प्राकृतिक संसाधनों को गंभीर नुकसान होता है। इन आपदाओं को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
2. हालिया उदाहरण
a. मौसमी आपदाएँ
b. जलविज्ञान आपदाएँ
c. भौगोलिक आपदाएँ
d. जलवायु आपदाएँ
e. जीवविज्ञान आपदाएँ
3. प्रभाव और प्रतिक्रिया
प्राकृतिक आपदाएँ जीवन, संपत्ति और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डालती हैं। प्रतिक्रिया सामान्यतः निम्नलिखित होती है:
4. निष्कर्ष
प्राकृतिक आपदाएँ, चाहे वे मौसमी, जलविज्ञान, भौगोलिक, जलवायु या जीवविज्ञान से संबंधित हों, समाजों पर गंभीर खतरे उत्पन्न करती हैं। हालिया उदाहरण दिखाते हैं कि इन आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है, अक्सर जलवायु परिवर्तन और अन्य कारकों के कारण। प्रभावी आपदा प्रबंधन और तैयारी की रणनीतियाँ इन आपदाओं के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
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