Roadmap for Answer Writing To effectively answer the question about the functions of the UPSC and the constitutional provisions that protect its independence and impartiality, you can follow this structured roadmap: 1. Introduction Briefly introduce the UPSC as a constitutional body. Mention its establishment ...
मॉडल उत्तर स्वदेशी आंदोलन का अंत 1908 के मध्य तक स्वदेशी आंदोलन, जो 1905 के विभाजन-विरोधी आंदोलन से उत्पन्न हुआ, बंगाल के विभाजन के खिलाफ एक सशक्त प्रतिक्रिया थी। हालांकि इस आंदोलन में विभिन्न वर्गों की व्यापक भागीदारी थी, यह 1908 के मध्य तक समाप्त हो गया। इसके अंत के पीछे कई कारण थे। 1. सरकारी दमनRead more
मॉडल उत्तर
स्वदेशी आंदोलन का अंत 1908 के मध्य तक
स्वदेशी आंदोलन, जो 1905 के विभाजन-विरोधी आंदोलन से उत्पन्न हुआ, बंगाल के विभाजन के खिलाफ एक सशक्त प्रतिक्रिया थी। हालांकि इस आंदोलन में विभिन्न वर्गों की व्यापक भागीदारी थी, यह 1908 के मध्य तक समाप्त हो गया। इसके अंत के पीछे कई कारण थे।
1. सरकारी दमन
ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर उपाय किए। सार्वजनिक सभाओं, जुलूसों और प्रेस पर प्रतिबंध लगाया गया। आंदोलनकारियों को सरकारी शिक्षण संस्थानों से निष्कासित किया गया और कई बार उन्हें पुलिस द्वारा पीटा गया। उदाहरण के लिए, 1906 के बारीसाल सम्मेलन के दौरान पुलिस ने सम्मेलन को बलपूर्वक तितर-बितर किया और प्रतिभागियों को निर्ममता से पीटा।
स्रोत: स्वदेशी आंदोलन के ऐतिहासिक अध्ययन।
2. आंतरिक झगड़े
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर आंदोलन की दिशा को लेकर मतभेद थे। सूरत विभाजन (1907) ने आंदोलन को और कमजोर कर दिया, जिससे एकजुटता की कमी आई।
स्रोत: सूरत विभाजन पर ऐतिहासिक विश्लेषण।
3. सीमित प्रभाव
यद्यपि स्वदेशी आंदोलन का प्रसार बंगाल के बाहर हुआ, लेकिन अन्य क्षेत्रों में लोग नई राजनीतिक शैली को अपनाने के लिए तैयार नहीं थे।
स्रोत: क्षेत्रीय अध्ययन रिपोर्ट।
4. नेतृत्वकर्ताओं का अभाव
1907 और 1908 के बीच, कई प्रमुख नेता जैसे अश्विनी कुमार दत्त और तिलक को निर्वासित किया गया या जेल में डाल दिया गया। बिपिन चंद्र पाल और अरबिंदो घोष ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया, जिससे आंदोलन नेतृत्व विहीन हो गया।
स्रोत: नेताओं के बायोग्राफिकल अध्ययन।
5. प्रभावी संगठन का अभाव
हालांकि निष्क्रिय प्रतिरोध और अहिंसा जैसी तकनीकों का उपयोग किया गया, लेकिन उनका कार्यान्वयन केंद्रीकृत और अनुशासित नहीं था।
स्रोत: सामाजिक आंदोलनों की संगठनात्मक संरचना पर शोध।
6. जन आंदोलनों की अवधिः
जन आंदोलनों को लंबे समय तक एक ही स्तर की आक्रामकता के साथ बनाए रखना कठिन होता है, विशेष रूप से जब उन्हें गंभीर दमन का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार, आंदोलन को विराम लेना पड़ा और अगले संघर्ष के लिए बल समेकित करने की आवश्यकता महसूस हुई।
स्रोत: राजनीतिक थ्योरी पर साहित्य।
निष्कर्ष
हालांकि स्वदेशी आंदोलन का अंत हुआ, इसे विफलता के रूप में देखना गलत होगा। इसने राष्ट्रवाद के विचार को विकसित करने और इसे नई जनता तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
See less
Functions According to Article 320 of the Constitution of India, the Commission, inter alia, is mandatorily to be consulted on all matters concerning recruitment to civil services and posts. The functions of the Commission under Article 320 of the Constitution are: Print question papers for the examRead more
Functions
According to Article 320 of the Constitution of India, the Commission, inter alia, is mandatorily to be consulted on all matters concerning recruitment to civil services and posts. The functions of the Commission under Article 320 of the Constitution are:
The Constitution has made the following provisions to safeguard and ensure the independent and impartial functioning of the UPSC: