उत्तर लिखने के लिए रोडमैप 1. परिचय मुद्रा की परिभाषा: “मुद्रा एक ऐसा माध्यम है, जो वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय, मूल्य मापन और मूल्य संचय में सहायक होता है।” मुद्रा का महत्व: इसे सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों के लिए आधारभूत माना ...
मॉडल उत्तर आरबीआई के मौद्रिक नीति के साधन मौद्रिक नीति केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु बनाए गए नियमों और साधनों को संदर्भित करती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) निम्नलिखित साधनों का उपयोग करता है- 1. परिमाणात्मक साधन विधिक आरक्षित अनुपात (SLR और CRR): वाणिजRead more
मॉडल उत्तर
आरबीआई के मौद्रिक नीति के साधन
मौद्रिक नीति केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु बनाए गए नियमों और साधनों को संदर्भित करती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) निम्नलिखित साधनों का उपयोग करता है-
1. परिमाणात्मक साधन
- विधिक आरक्षित अनुपात (SLR और CRR):
वाणिज्यिक बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत आरबीआई के पास नकद या प्रतिभूतियों के रूप में रखना होता है। - रेपो और रिवर्स रेपो दर:
रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक आरबीआई से अल्पकालिक उधारी लेते हैं। रिवर्स रेपो के तहत बैंक अपनी अधिशेष नकदी आरबीआई को ब्याज के लिए देते हैं। - खुला बाजार परिचालन (OMO):
सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री और खरीद के जरिए आरबीआई बाजार में तरलता नियंत्रित करता है। - बाजार स्थिरीकरण योजना (MSS):
इसमें ट्रेजरी बिल और सरकारी प्रतिभूतियों का उपयोग कर अधिशेष मुद्रा को अवशोषित किया जाता है।
2. गुणात्मक साधन
- शाख की राशनिंग:
चुनिंदा क्षेत्रों में ऋण आपूर्ति सीमित करना। - नैतिक सलाह:
मुद्रास्फीति या संकट के समय आरबीआई बैंकिंग संस्थानों को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
आरबीआई की बैंकर के रूप में भूमिका
वाणिज्यिक बैंकों के लिए बैंकर:
- आरबीआई नकदी की कमी होने पर बैंकों को फंड उपलब्ध कराता है।
- चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) और सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) जैसे तंत्र के जरिए बैंकों को वित्तीय सहायता दी जाती है।
सरकार के लिए बैंकर
- आरबीआई भारत सरकार और सभी राज्यों (सिक्किम को छोड़कर) के लिए बैंकर और ऋण प्रबंधक का कार्य करता है।
- सरकारी ऋण जारी करना, उनका प्रबंधन करना, और सरकार को अल्पकालिक ऋण प्रदान करना आरबीआई के दायित्व हैं।
निष्कर्ष
आरबीआई न केवल आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए विभिन्न मौद्रिक साधनों का उपयोग करता है बल्कि वाणिज्यिक बैंकों और सरकार के वित्तीय प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभाता है। इससे देश की वित्तीय प्रणाली सुचारू रूप से कार्य करती है।
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मॉडल उत्तर मुद्रा के विभिन्न कार्य मुद्रा किसी भी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं: विनिमय का माध्यम: मुद्रा क्रेता और विक्रेता के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है। लेखा की इकाई: वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य निर्धारण मौद्रिक इकाइयों में किया जाता है। मूल्य संचय: भRead more
मॉडल उत्तर
मुद्रा के विभिन्न कार्य
मुद्रा किसी भी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं:
अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में मुद्रा के लाभ
1. तरलता
मुद्रा को सबसे अधिक तरल परिसंपत्ति माना जाता है। यह तुरंत अन्य परिसंपत्तियों में परिवर्तित की जा सकती है। उदाहरण के लिए, भूमि या स्वर्ण जैसी परिसंपत्तियां तात्कालिक रूप से उपयोगी नहीं होती हैं।
2. स्वीकार्यताः
मुद्रा विधिक निविदा होने के कारण सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य होती है, जबकि अन्य परिसंपत्तियां जैसे स्वर्ण या संपत्ति सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य नहीं होतीं।
3. स्थायित्व
मुद्रा ह्रासमान वस्तुओं (जैसे अनाज या फल) की तुलना में अधिक स्थाई होती है। इसके स्थायित्व के कारण इसे भविष्य में भी उपयोग किया जा सकता है।
4. सुबाह्यता
मुद्रा को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है। उदाहरणस्वरूप, वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुएं भारी और असुविधाजनक होती थीं।
5. स्थिरता
मुद्रा अन्य परिसंपत्तियों, जैसे क्रिप्टोकरेंसी, की तुलना में अधिक स्थिर होती है। इसका मूल्य समय के साथ सीमित रूप से ही बदलता है।
6. एकरूपता और प्रतिमोच्यता
विशेष मूल्यवर्ग की मुद्रा (जैसे 100 रुपये) एक समान होती है और आसानी से अन्य छोटे मूल्यवर्ग (जैसे 10 रुपये के 10 नोट) में बदली जा सकती है।
निष्कर्ष
मुद्रा अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में अधिक तरल, स्थिर, और व्यावहारिक है। इसके विविध कार्य इसे हर अर्थव्यवस्था के लिए अपरिहार्य बनाते हैं।
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