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जैव विविधता संरक्षण से क्या आशय है? इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रयास हुए हैं?
जैव विविधता संरक्षण: आशय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास परिचय जैव विविधता संरक्षण का तात्पर्य पृथ्वी पर जीवन की विविधता, जिसमें पारिस्थितिक तंत्र, प्रजातियाँ और आनुवंशिक विविधता शामिल है, को सुरक्षित रखने और बनाए रखने से है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी जीवों के विविध रूप और उनके पारिस्थितिकीय कार्य अच्Read more
जैव विविधता संरक्षण: आशय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास
परिचय जैव विविधता संरक्षण का तात्पर्य पृथ्वी पर जीवन की विविधता, जिसमें पारिस्थितिक तंत्र, प्रजातियाँ और आनुवंशिक विविधता शामिल है, को सुरक्षित रखने और बनाए रखने से है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी जीवों के विविध रूप और उनके पारिस्थितिकीय कार्य अच्छी स्थिति में बने रहें, जो मानव जीवन की गुणवत्ता और पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता के लिए आवश्यक है।
जैव विविधता संरक्षण का आशय
राष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता संरक्षण के प्रयास
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
निष्कर्ष
जैव विविधता संरक्षण पृथ्वी पर जीवन की विविधता और पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। भारत में, कानूनी उपाय, संरक्षित क्षेत्र, संरक्षण कार्यक्रम, और समुदाय की भागीदारी के माध्यम से महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। भविष्य में, आवास हानि, जलवायु परिवर्तन, और आक्रमणकारी प्रजातियों जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए, जैव विविधता संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास और नई रणनीतियों की आवश्यकता होगी।
See lessपवित्र उपवन क्या हैं? संरक्षण में इनका क्या योगदान है?
पवित्र उपवन: परिभाषा और संरक्षण में योगदान परिचय पवित्र उपवन (Sacred Groves) वे वन या वनस्पति क्षेत्र हैं जिन्हें स्थानीय समुदाय धार्मिक, सांस्कृतिक या आध्यात्मिक महत्व के कारण संरक्षित करते हैं। इन क्षेत्रों की सुरक्षा किसी भी प्रकार के शोषण, जैसे वनों की कटाई, शिकार, और चराई से की जाती है, क्योंकिRead more
पवित्र उपवन: परिभाषा और संरक्षण में योगदान
परिचय पवित्र उपवन (Sacred Groves) वे वन या वनस्पति क्षेत्र हैं जिन्हें स्थानीय समुदाय धार्मिक, सांस्कृतिक या आध्यात्मिक महत्व के कारण संरक्षित करते हैं। इन क्षेत्रों की सुरक्षा किसी भी प्रकार के शोषण, जैसे वनों की कटाई, शिकार, और चराई से की जाती है, क्योंकि इन्हें धार्मिक मान्यता प्राप्त होती है। पवित्र उपवन विश्वभर की विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों में पाए जाते हैं, और इनका संरक्षण पारिस्थितिकीय संतुलन और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण होता है।
पवित्र उपवन की विशेषताएँ
संरक्षण में योगदान
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
निष्कर्ष
पवित्र उपवन सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, और पारिस्थितिकीय मान्यता का एक अनूठा संयोजन होते हैं। ये जैव विविधता, पारिस्थितिकीय सेवाओं, और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि ये आधुनिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, पारंपरिक प्रथाओं और आधुनिक प्रबंधन तकनीकों का एकीकृत दृष्टिकोण उनकी सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगा।
See lessमॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल क्या है?
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: एक अवलोकन परिभाषा और उद्देश्य मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो ओज़ोन परत की रक्षा करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसे 16 सितंबर 1987 को अपनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ओज़ोन-क्षीण करने वाले पदार्थों के उत्पादन और उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है, ताकि पRead more
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: एक अवलोकन
परिभाषा और उद्देश्य मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो ओज़ोन परत की रक्षा करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसे 16 सितंबर 1987 को अपनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ओज़ोन-क्षीण करने वाले पदार्थों के उत्पादन और उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है, ताकि पृथ्वी की ओज़ोन परत की रक्षा की जा सके।
मुख्य उद्देश्य:
हाल के उदाहरण और उपलब्धियाँ
चुनौतियाँ और निरंतर प्रयास
अवैध ODS व्यापार:
वैश्विक भागीदारी:
तकनीकी नवाचार:
निष्कर्ष मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक अत्यंत सफल पर्यावरणीय संधि के रूप में खड़ा है, जो ओज़ोन परत की रक्षा में वैश्विक सहयोग की मिसाल प्रस्तुत करता है। इसके द्वारा ओज़ोन-क्षीण करने वाले पदार्थों में कमी और किगाली संशोधन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास इसकी प्रासंगिकता और सफलता को दर्शाते हैं।
See lessभारत सरकार द्वारा आरम्भ किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एन० सी० ए० पी०) की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? (250 words) [UPSC 2020]
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की प्रमुख विशेषताएँ परिचय भारत सरकार ने जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में वायु प्रदूषण की समस्या को कम करना और वायु गुणवत्ता में सुधार करना है। प्रमुख विशेषताएँ उद्देश्य और दायरा NCAP का मुख्य उद्देश्यRead more
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की प्रमुख विशेषताएँ
परिचय
भारत सरकार ने जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में वायु प्रदूषण की समस्या को कम करना और वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
प्रमुख विशेषताएँ
NCAP का मुख्य उद्देश्य 2017 की तुलना में 2024 तक वायु प्रदूषण स्तर को 20-30% तक कम करना है। यह कार्यक्रम 132 शहरों को लक्षित करता है, जिन्हें वायु गुणवत्ता के मामले में खराब माना गया है।
प्रत्येक शहर के लिए शहर-विशिष्ट कार्य योजनाएँ तैयार की जाती हैं, जो स्थानीय प्रदूषण स्रोतों को संबोधित करती हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में वायु गुणवत्ता की निगरानी बढ़ाने, सख्त वाहन उत्सर्जन मानकों को लागू करने, और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के कदम उठाए गए हैं।
NCAP सांठ-गांठ और सहयोग को प्रोत्साहित करता है, जिसमें राज्य सरकारें, नगर निगम, और नागरिक समाज शामिल हैं। विभिन्न स्तरों पर सरकार के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम पर जोर दिया गया है।
वायु गुणवत्ता की निगरानी और डेटा संग्रह पर जोर दिया गया है। राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क जैसे वास्तविक समय पर्यावरण वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (RAQMS) की स्थापना इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
NCAP जन जागरूकता अभियानों को शामिल करता है, जिससे नागरिकों को वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव और व्यवहार परिवर्तन के महत्व के बारे में जानकारी मिलती है। स्वच्छ हवा सप्ताह जैसी पहलों के माध्यम से समुदायों को शामिल किया जाता है।
कार्यक्रम के तहत राज्य और शहर स्तर की पहलों को समर्थन देने के लिए पर्याप्त वित्तपोषण आवंटित किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और अन्य निकायों को फंड वितरण और संसाधनों के प्रभावी उपयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हालिया उदाहरण
NCAP के तहत हाल ही में दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया गया, जो उच्च प्रदूषण स्तरों के दौरान आपातकालीन उपायों को लागू करता है। इसके अतिरिक्त, मुंबई ने अपने वायु गुणवत्ता निगरानी सिस्टम को सुदृढ़ किया और सख्त वाहन उत्सर्जन मानकों को लागू किया है।
निष्कर्ष
See lessNCAP भारत में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए एक संरचित और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। शहर-विशिष्ट योजनाएँ, सांठ-गांठ, निगरानी, और जन जागरूकता के माध्यम से, यह कार्यक्रम वायु प्रदूषण को प्रभावी और स्थायी रूप से संबोधित करने का प्रयास करता है।
जल संरक्षण एवं जल सुरक्षा हेतु भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित जल शक्ति अभियान की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? (उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) (150 words) [UPSC 2020]
परिचय भारत सरकार ने 2019 में जल शक्ति अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और जल सुरक्षा को बढ़ावा देना है। यह अभियान जल संकट की गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। प्रमुख विशेषताएँ जल-आवश्यक क्षेत्र पर ध्यान अभियान ने जल की कमी वाले जिलों और राज्यों को प्राथमिकताRead more
परिचय
भारत सरकार ने 2019 में जल शक्ति अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और जल सुरक्षा को बढ़ावा देना है। यह अभियान जल संकट की गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है।
प्रमुख विशेषताएँ
अभियान ने जल की कमी वाले जिलों और राज्यों को प्राथमिकता दी है। उदाहरण के लिए, राजस्थान में चेक डैम और जल पुनर्भरण पिट का निर्माण किया गया है, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
स्थानीय जल प्रबंधन समितियों के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित किया जाता है। मध्य प्रदेश में “नई खेती” पहल किसानों को सतत प्रथाओं के बारे में शिक्षित करती है।
वृष्टि जल संचयन और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा दिया गया है, जैसे गुजरात में जल संचयन संरचनाओं का निर्माण।
जन जागरूकता अभियान के माध्यम से जल बचाने की संस्कृति को प्रोत्साहित किया गया है। जनसमूह को जल उपयोग में दक्षता और संरक्षण की दिशा में शिक्षित किया गया है।
निष्कर्ष
See lessजल शक्ति अभियान का समग्र दृष्टिकोण, जल-संकट वाले क्षेत्रों पर ध्यान, सामुदायिक भागीदारी, वृष्टि जल संचयन और जन जागरूकता, भारत के जल संकट को हल करने और दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक है।
सिक्किम भारत में प्रथम 'जैविक राज्य' है। जैविक राज्य के पारिस्थितिक एवं आर्थिक लाभ क्या-क्या होते हैं? (150 words) [UPSC 2018]
प्रस्तावना सिक्किम, जिसे भारत का पहला 'जैविक राज्य' माना जाता है, ने जैविक खेती को अपनाकर पारिस्थितिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाया है। पारिस्थितिक लाभ जैव विविधता का संरक्षण: जैविक खेती प्रथाएँ जैव विविधता को बढ़ावा देती हैं, जिससे स्थानीय पौधों और जीवों की प्रजातियाँ सुरक्षित रहती हैं। सिक्किम की विRead more
प्रस्तावना
सिक्किम, जिसे भारत का पहला ‘जैविक राज्य’ माना जाता है, ने जैविक खेती को अपनाकर पारिस्थितिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ाया है।
पारिस्थितिक लाभ
आर्थिक लाभ
निष्कर्ष
See lessइस प्रकार, सिक्किम की जैविक खेती न केवल पारिस्थितिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाती है, जिससे यह भारत में सतत विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनता है।
ऊर्जा ऑडिट क्या होता है? इसकी आवश्यकता क्यों है?
ऊर्जा ऑडिट क्या होता है? इसकी आवश्यकता क्यों है? ऊर्जा ऑडिट का परिचय ऊर्जा ऑडिट एक प्रणालीबद्ध प्रक्रिया है जिसमें किसी संगठन या सुविधा की ऊर्जा उपयोग और खपत का विस्तृत मूल्यांकन किया जाता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता में सुधार, लागत कम करना, और पर्यावरणीय प्रभाव को घटाना होता है। ऊर्जा ऑडिट से यहRead more
ऊर्जा ऑडिट क्या होता है? इसकी आवश्यकता क्यों है?
ऊर्जा ऑडिट का परिचय
ऊर्जा ऑडिट एक प्रणालीबद्ध प्रक्रिया है जिसमें किसी संगठन या सुविधा की ऊर्जा उपयोग और खपत का विस्तृत मूल्यांकन किया जाता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता में सुधार, लागत कम करना, और पर्यावरणीय प्रभाव को घटाना होता है। ऊर्जा ऑडिट से यह पता चलता है कि ऊर्जा का उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है, कहाँ अपव्यय हो रहा है, और कौन से क्षेत्र में सुधार किया जा सकता है।
ऊर्जा ऑडिट की प्रक्रिया
ऊर्जा ऑडिट की आवश्यकता
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
ऊर्जा ऑडिट ऊर्जा दक्षता में सुधार, लागत कम करने, और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह संगठनों को ऊर्जा उपयोग को अनुकूलित करने, विनियमों का पालन करने, और दीर्घकालिक बचत प्राप्त करने में मदद करता है। बढ़ती स्थिरता और ऊर्जा संरक्षण पर ध्यान देने के साथ, नियमित ऊर्जा ऑडिट संगठनों के संचालन की दक्षता और पर्यावरणीय प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए अनिवार्य है।
See lessपर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रमों (प्रोग्राम्स) पर टिप्पणी कीजिये।
पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रमों (प्रोग्राम्स) पर टिप्पणी परिचय पर्यावरणीय शिक्षा (Environmental Education) का उद्देश्य लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों, उनके प्रभाव, और सतत विकास के तरीकों के बारे में जानकारी और समझ प्रदान करना है। यह शिक्षा लोगों को पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभानेRead more
पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रमों (प्रोग्राम्स) पर टिप्पणी
परिचय
पर्यावरणीय शिक्षा (Environmental Education) का उद्देश्य लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों, उनके प्रभाव, और सतत विकास के तरीकों के बारे में जानकारी और समझ प्रदान करना है। यह शिक्षा लोगों को पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है। पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रम विभिन्न स्तरों पर संचालित होते हैं, जिसमें स्कूल, कॉलेज, और सामुदायिक कार्यक्रम शामिल हैं।
मुख्य उद्देश्य और तत्व
निष्कर्ष
पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रम न केवल लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूक करते हैं बल्कि उन्हें सक्रिय रूप से इन मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रेरित भी करते हैं। हाल के उदाहरण, जैसे स्वच्छ भारत मिशन, ग्रीन स्कूल पहल, और प्लास्टिक मुक्त अभियान, यह दर्शाते हैं कि कैसे ये कार्यक्रम सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर रहे हैं। इन पहलों के माध्यम से, हम पर्यावरणीय शिक्षा को एक महत्वपूर्ण सामाजिक और शैक्षिक आवश्यकता के रूप में पहचान सकते हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी है।
See lessहरित पट्टियों के मुख्य उपयोग लिखिये।
हरित पट्टियों के मुख्य उपयोग 1. शहरी नियोजन और पर्यावरण संरक्षण हरित पट्टियाँ शहरी नियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि वे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच एक बफर के रूप में कार्य करती हैं। इसके प्रमुख उपयोग हैं: शहरी विस्तार को नियंत्रित करना: हरित पट्टियाँ शहरों के विस्तार को रोकने मेंRead more
हरित पट्टियों के मुख्य उपयोग
1. शहरी नियोजन और पर्यावरण संरक्षण
हरित पट्टियाँ शहरी नियोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि वे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच एक बफर के रूप में कार्य करती हैं। इसके प्रमुख उपयोग हैं:
2. जैव विविधता संरक्षण
हरित पट्टियाँ जैव विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं:
3. जलवायु नियमन
हरित पट्टियाँ जलवायु नियमन में योगदान करती हैं:
4. मनोरंजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य
हरित पट्टियाँ मनोरंजन और सार्वजनिक स्वास्थ्य में योगदान करती हैं:
5. कृषि संरक्षण
हरित पट्टियाँ कृषि भूमि के संरक्षण में सहायक होती हैं:
हरित पट्टियाँ शहरी नियोजन, पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु नियमन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, और कृषि संरक्षण में कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती हैं।
See lessभारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कब लागू किया गया ?
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (Environmental Protection Act, EPA) भारत में 19 दिसंबर 1986 को लागू किया गया। यह अधिनियम पर्यावरण संरक्षण और सुधार के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है और यह भारत की पर्यावरणीय चुनौतियों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुख्य बिंदु: उद्देश्य और लक्ष्यRead more
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (Environmental Protection Act, EPA) भारत में 19 दिसंबर 1986 को लागू किया गया। यह अधिनियम पर्यावरण संरक्षण और सुधार के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है और यह भारत की पर्यावरणीय चुनौतियों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष
19 दिसंबर 1986 को लागू किया गया पर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत के पर्यावरणीय कानूनों की आधारशिला है। यह पर्यावरण की रक्षा और सुधार, प्रदूषण नियंत्रण, और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है। हाल के उदाहरण, जैसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश और अद्यतन नियम, यह दर्शाते हैं कि EPA समकालीन पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान करने और पर्यावरणीय मानकों की अनुपालना सुनिश्चित करने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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