संविधान की उद्देशिका में वर्णित न्याय के विविध निहितार्थों को स्पष्ट करते हुए, यह विवेचन कीजिए कि उन्हें मूल अधिकारों एवं राज्य की नीति के निदेशक तत्त्वों द्वारा किस प्रकार सुनिश्चित किया गया है। (उत्तर सीमा: 100 शब्द, अंक: 10) [RPSC 2023]
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Sarath NayarEnthusiast
संविधान की उद्देशिका में वर्णित न्याय—सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक—समानता और समता की भावना पर आधारित है। सामाजिक न्याय का अर्थ है सभी वर्गों को समान अवसर, जिसे जाति, धर्म, और लिंग भेदभाव के उन्मूलन से सुनिश्चित किया जाता है। आर्थिक न्याय, संपत्ति के समान वितरण और गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित है। राजनीतिक न्याय, सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्रदान करता है। मूल अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता, और शोषण के विरुद्ध सुरक्षा देकर न्याय की गारंटी देते हैं, जबकि राज्य के नीति निदेशक तत्त्व न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए कल्याणकारी योजनाओं का मार्गदर्शन करते हैं।
न्याय के प्रकार
सुनिश्चितता के माध्यम
इस प्रकार, संविधान की उद्देशिका में वर्णित न्याय के निहितार्थ मूल अधिकारों और नीति के निदेशक तत्वों के माध्यम से प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किए गए हैं।
न्याय के प्रकार
सुनिश्चितता के माध्यम
इस प्रकार, संविधान की उद्देशिका में वर्णित न्याय के निहितार्थ मूल अधिकारों और नीति के निदेशक तत्वों के माध्यम से प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किए गए हैं।